पैदा हुए ही गला क्यूं दबा नहीं दिया .


 

न कुछ कहने की इज़ाज़त ,
न कुछ बनने की इज़ाज़त ,
न साँस लेने की इज़ाज़त ,
न आगे बढ़ने की इज़ाज़त .
      न आपसे दो बात मन की बढ़के कह सकूं ,
      न माफिक अपने फैसला खुद कोई ले सकूं ,
      जो आपको लगे सही बस वो ही मैं करूँ ,
      न उसको किसी हाल में मैं नहीं कह सकूं .

अपनी ही बात को रखा सबसे सदा ऊपर ,
हालत का मेरी दोष मढ़ा मेरे ही सिर पर ,
माना न कहा मेरा ,औरों से दबाया ,
फिर उनकी बात रखकर मारी मुझे ठोकर .
        बनते हैं वक्त के हमकदम ज़माने के लिए ,
        दूसरों की असलियत पे होंठ सी लिए ,
        देना था जहाँ साथ मेरा भविष्य के लिए ,
        पैरों में मेरे बेड़ियाँ डाल खड़े हो लिए .

बेटी को माना बोझ तो फिर जन्म क्यूं दिया ,
बेटी का भविष्य यहाँ चौपट क्यूं कर दिया ,
न देना था उसको अगर सुनहरा भविष्य ,
पैदा हुए ही गला क्यूं दबा नहीं दिया .
        बेटी तो पौध है खुले आँगन में ही चले ,
        सांसे उसे बढ़ने को उस हवा में ही मिलें ,
        रखोगे बंद कमरे में दुनिया से छिपाकर ,
        घुट जाएगी वैसे ही जैसे पौध न खिले .

    शालिनी कौशिक
     [WOMAN ABOUT MAN]


टिप्पणियाँ

Darshan jangra ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार- 28/08/2013 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः7 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra

बेनामी ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आभार! हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है ये एक सामूहिक ब्लॉग है। कोई भी इनका चर्चाकार बन सकता है। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल का उदेश्य कम फोलोवर्स से जूझ रहे ब्लॉग्स का प्रचार करना एवं उन पर चर्चा करना। यहॉ भी आमंत्रित हैं। आप @gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक चर्चाकार का हृद्य से स्वागत है। सादर...ललित चाहार
बेनामी ने कहा…
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप को चर्चाकार के रूप में शामिल किया जाता है। आपको किस दिन चर्चा करनी पसंद है। और हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
Anita ने कहा…
बेटी को अब अपनी बात कहने का हक है..उसने यह हक अपनी क्षमता से पाया है...
अजय कुमार झा ने कहा…
आज स्थिति तो सच में ही बहुत शोचनीय है किंतु निराशा से अच्छा है आक्रामक तेवर अपनाया जाए , भीतर के ताकत को पहचाना जाए
सबको उड़ने के लिये आसमान मिले।

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