भगवान ने स्वयं बनवाई रामानंद सागर जी से रामायण .

भगवान ने स्वयं बनवाई रामानंद सागर जी से रामायण .






आजकल विजयदशमी की तैयारियां ज़ोरों पर हैं .जहाँ देखो रामलीला और रामायण की धूम है .आज बहुत से फिल्म निर्देशक और निर्माता रामायण की लोक प्रियता को भुनाने के मूड में हैं और राम के चरित्र से जुड़े इस कथानक पर आधारित धारावाहिकों व् फिल्मों की बाढ़ सी आ गयी है किन्तु यदि हम इन सभी की गुणवत्ता का आकलन करते हैं तो केवल रामानंद सागर जी की ''रामायण ''ही इस कसौटी पर खरी उतरती है .

सबसे पहले तो आज के धारावाहिक कहीं भी राम सीता की वह छवि प्रस्तुत नहीं कर पाते जो जन जन के मन में बसी है रामायण के राम और सीता के रूप में अरुण गोविल और दीपिका चिखिल्या ने जो अभिनय किया है वह कहीं से भी अभिनय नहीं लगता बल्कि वह उनमे हमें उसी प्रभु की छवि दिखाता है जो हमने बरसों से अपने मन में बसा रखी है अन्य धारावाहिक केवल एक नौटंकी सी लगते हैं जो गाँव गाँव में रामलीला के रूप में सामान्य जन जन द्वारा खेली जाती है .

न केवल राम सीता बल्कि यहाँ तो हर कलाकार बिलकुल रामयुग की याद दिलाते हैं भले ही महाराजा दशरथ हों या महारानी कौशल्या ,जनकराज हों या महारानी सुकन्या ,भरत ,लक्ष्मण ,सुमंत ,रावन ,मेघनाद आदि सभी असली ही लगते हैं यही नहीं कि केवल पात्र ही असली लगते हैं बल्कि संगीत ,डायलॉग ,मंच सज्जा सभी कुछ देखकर बस यही लगता है कि भगवान ने स्वयं रामानंद सागर जी को उसी तरह इसे बनाने के लिए प्रेरित किया जैसे स्वयं ब्रह्मा जी ने आकर महर्षि वाल्मीकि को रामायण लिखने के लिए प्रेरित किया था ,जैसे तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को जन जन की जानकारी की भाषा में लिखकर इसे सभी के लिए सुलभ ग्रन्थ का स्थान दिया था वैसे ही रामानंद सागर जी ने इसे साधारण बोलचाल की भाषा में बनाकर इसे कालजयी धारावाहिक का रूप दिया है और इसी का प्रभाव है कि बरसों बरस बीतने के बाद भी हजारों लाखों बार देखने के बाद भी कोई इसे देखने के बाद उस जगह से अपने कदम नहीं हटा पता और जब तक यह चलायमान रहती है तब तक वह उसी जगह पर ठिठक कर रह जाता है .

रामायण को पढना सभी के लिए संभव नहीं और अखंड रामायण का पाठ भी सभी को अपने आदर्श राम के चरित्र से उस तरह नहीं जोड़ पाते जिस तरह रामानंद सागर जी की रामायण सभी को जोड़ देती है और इसी कारण आजकल रामलीला के दौरान लोग इसे कहीं घर में तो कहीं विभिन्न समूहों द्वारा किये गए आयोजन में देखने के लिए समय से पहले पहुँच लेते हैं और बाकायदा प्रशाद भी चढाते हैं और ये सब देख यही लगता है कि रामायण बनवाने के लिए रामानंद सागर जी को स्वयं भगवान् ने ही प्रेरणा दी होगी .

''बोलो सियावर रामचंद्र जी की जय ''

शालिनी कौशिक

[कौशल ]

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
yes i have seen ramanand sagar ji's ramayan many times .this inspires me to read ramayan .this is the the best
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (04-10-2013) लोग जान जायेंगे (चर्चा -1388) में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
virendra sharma ने कहा…
हाँ ये भी भगवान् का ही काम था जो सागर साहब कर गए। सुन्दर।
सही कहा आपनें रामानंद सागर नें वास्तव में रामायण धारावाहिक में जीवंतता दाल दी थी !!
kunwarji's ने कहा…
बोलो सियावर रामचंद्र जी की जय

बिलकुल सही कहा आपने,
मैंने सुना है कि सागर जी ने दीपिका जी(जिन्होंने सीता माता का चरित्र अभिनय किया है) के साथ एक अनुबंध ये भी किया है कि भविष्य में(एक निश्चित समय तक) वो ऐसा कोई भी चरित्र परदे पर अभिनय नहीं करेगी जिस से सीता माता अथवा नारी जाती का अपमान होता हो और इनकी गलत छवि पर्दर्शित होती हो!क्योकि उनकी सोच थी कि इसके बाद उनके अभिनेताओ में लोग वास्तविक चरित्र को ही देखेंगे!और सही में हम आज भी साधारणतया अरुण गोविल को राम और दीपिका जी को सीता ही कह देते है!
DR. ANWER JAMAL ने कहा…
Nice post.

उन्होंने Ramayan के बारे में जो कुछ समझ लिया है। वह सब सही नहीं है।
उन्हें Ramayan के बारे में शोध करने का बहुत ज़्यादा समय भी नहीं मिल पाया। जो जानकारियां आज हमें उपलब्ध हैं। वह उन्हें अपने ज़माने में सुलभ नहीं थीं। उनकी मेहनत को सामने रखते हुए हमें भी अपने हिस्से की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए। हमारी कोशिश का मक़सद यही है।
Please see:
क्या वेद 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हज़ार साल से ज़्यादा पुराने हैं?
रामायण बनाने की प्रेरणा रामानंद सागर जी को स्वयं भगवान् ने ही दी होगी,तभी तो आज तक उसके मुकाबले कोई दूसरा सीरियल नही बन सका,,


RECENT POST : पाँच दोहे,
Bhola-Krishna ने कहा…
जय श्रीराम ,
अपना तो है विश्वास एक हर काम 'राम'करवाते हैं
बंदर बन हमसब नाच रहे'श्रीराम' हमे नचवाते हैं

हमसे तुमसे वह हाथ पकड़ जो जी आता लिखवातेहैं
कौशल औ महाबीर लिखने के भाव उन्ही से आते हैं

सागर,रवीन्द्र की रामायण भी उसी स्रोत से आई है
है सत्य तुम्हारा कथन उन्होंने शक्ति राम से पाई है

शुभाकांक्षी - अंकल आंटी [भोला-कृष्णा ]






त् औ जैन
amit ने कहा…
jitne bhi mahan karye hote hen ishvr ke snket pr hi hote hen

jra ise bhi dekhen
पहला हवाई जाहाज Write Brothers ने नही भारतीय वैज्ञानिक “शिवकर बापूजी तलपडे” ने बनाया
http://www.bharatyogi.net/2013/04/write-brothers.html
Unknown ने कहा…
bakai wo kahi se bhi serial wali ramayan nahi lagti. aisa hi lagta hai jaise tretayug ka original video hi ham dekh rahe hai
Unknown ने कहा…
Ramayan pujniya hai. Sabhi kirdaaro ne aisa abhinya kiya jise dekhkar Asli bhagwan bhi anandaiye hue hoge.sabhi kalakaro ko swarg me jagh milegi.
Hum sab kismatwale hai ki hume us samporan ramayan ka anand hi nahi sabhi devo deviyo ke darsan tv ke madhyam se kar liye.jo bhi kirdar diye gaye maano uni kirdar ke liye hi paida hue ho phir chahe chot kirdar nibhane wali maa Trizata ka ho ya vibhisan ji ka

kown kumbhkaran ko bhul sakta hai Hanuman ji ka kirdar mano jiwant ho gaya ho jamant ka work mai to kahunga sabhi kalakaar pune youge chahe Rasaksh ka kirdar nibhaya ho ya Ram ji ki sena ka sat sat naman Ramanand sagar ji ko
















Unknown ने कहा…
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Unknown ने कहा…
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Rohit Kumar Namdeo ने कहा…
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