माफ़ी मांगने की अक्ल भाजपाईयों में अभी क्यूँ ?
लगता है कि चुनावों का समय बहुत करीब आ गया है और अब भाजपा जो मूलतः हिंदुओं को साथ लेकर चलने का दम भरती है और हिंदुओं के ही साथ से सत्ता में अपने लिए कुर्सी पक्की करने की कोशिश करती है अब मुस्लिमों के वोट भी अपने लिए महत्वपूर्ण समझ रही है और उनसे अपनी किसी गलती के लिए सर झुकाकर माफ़ी मांगने को भी स्वयं को प्रस्तुत कर रही है .राजनाथ जी कहते हैं कि यदि हमसे कोई भी गलती [कोई भी गलती ]का यदि आकलन किया जाये तो जो भाजपा ने आज तक किया है वह मात्र गलती नहीं कही जा सकती वह गुनाह कहा जाता है .बाबरी मस्जिद का विध्वंस न केवल धर्म विशेष के इबादत स्थल का विनाश था बल्कि वह हमारे देश की सहिष्णु संस्कृति का भी विनाश था और ऐसा करना भाजपा ने केवल अपने सत्ता की राह को सुविधाजनक बनाने के लिए किया और ऐसा कर वह जिस समुदाय को अपने से जोड़ रही थी उसकी महत्वाकांक्षा राम मंदिर के रूप में भी वह पूर्ण नहीं कर पायी बल्कि उसके कितने ही नवयुवकों को इसी भाजपा ने धर्म की ऐसी आग में धकेला कि उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया .गोधरा के दंगे इस बात का प्रमाण हैं कि मोदी कितने सहिष्णु हैं देश के इन धर्मावलम्बियों के प्रति .भाजपा की इन गतिविधियों के कारण देश का नाम आज तक विश्व में कलंकित है और कलंकित हैं स्वयं इनके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी जी .माफ़ी तो भाजपा को मांगनी ही होगी न केवल अपने पूर्व के गुनाहों की बल्कि वर्त्तमान में मोदी को अपना उम्मीदवार बनाकर सारे देश में खुलेआम घूमकर इन धर्मावलम्बियों में भय की राजनीति करने की खुली छूट देने की भी.अब ये माफ़ी मांगने की अक्ल भाजपाईयों में कब आती है ये तो वक़्त ही बतायेगा .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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