अभी राजनीति सीखनी होगी भाजपा को
'मोदी मूंछ के बाल हैं, राहुल पूंछ के बाल'
लोकसभा चुनाव का एक-एक दिन करीब आ रहा है और नेता एक-दूसरे पर हमला बोलते हुए मर्यादा या संयम का लिहाज भूलते जा रहे हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भाजपा के पीएम पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को 'नपुंसक' करार दिया, तो बवाल हो गया।[अमर उजाला से साभार ]
आजकल के समाचार पत्र भरे पड़े हैं ऐसी शीर्षक युक्त चटपटी सुर्ख़ियों से यही कही जा सकती हैं ऐसी टिप्पणियाँ और ये ऐसे दलों द्वारा की जा रही हैं जो कि इस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां हैं.देश की बागडोर सँभालने का जिम्मा मुख्यतया इन्हीं दोनों के कन्धों पर है .इन दोनों दलों में अनुभव ,सत्ता की दावेदारी ,लोकप्रियता ,सदस्य संख्या आदि मोर्चों पर कॉंग्रेस भाजपा से आगे है वहीँ महत्वाकांक्षा ,लोकतंत्र ,मुखालफत आदि मोर्चों पर भाजपा कॉंग्रेस से ,ऐसे में अभी अभी एक नया मोर्चा और उभरा है और वह है ''राजनीतिक शब्दावली का ज्ञान ''राजनीतिक शब्दावली अर्थात वह भाषा जिससे राजनेता अपने विपक्षियों को विभूषित करते हैं उनके परिवारों अर्थात सम्बंधित पार्टी पर कटाक्ष करते हैं और इस शब्दावली का सही ज्ञाता ,सही रचयिता भी कॉंग्रेस को ही कहा जा सकता है क्योंकि भाजपा आज तक राजनीति में अपने लिए एक मजबूत नींव वाले भवन का निर्माण तक नहीं कर सकी और कॉंग्रेस राजनीति की एक पूरी कॉलोनी ,एक सशक्त विश्विद्यालय की मालकिन है जबकि भाजपा कॉंग्रेस द्वारा स्थापित कॉलोनी में येन केन प्रकारेण किसी फ्लैट को दलाली में खरीदने की कोशिश में लगी है और सिफारिश के आधार पर कॉंग्रेस के राजनीतिक विश्विद्यालय में प्रवेश पाने में ,ताकि वहाँ जम सके और राजनीति में पारंगत हो सके जिससे उसकी भी वह क्षमता हो पाये जो ऊँगली पकड़ कर पहुंचा पकड़ने वालों की होती है .
कॉंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहा और कॉंग्रेस के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने नपुंसक ,जानते हैं कोंग्रेसी कि एक राजनेता ही ऐसी उपाधि से विभूषित हो सकता है सामान्य नागरिक नहीं क्योंकि आम आदमी के वश में नहीं मौत का कारोबार करना ,ये कारोबार वही कर सकता है जिसके हाथों में जनसमूह की ज़िंदगी हो और जब जनसमूह की ज़िंदगी एक हाथ में हो और वह उसे मौत की आग में झोंक दे तो उसे मौत का सौदागर कहा जाता है और यह संज्ञा राजनीति के शीर्ष पर विराजमान सत्तासीन शख्सियत की ही हो सकती है ऐसे ही जब शक्ति हाथ में होते हुए वह राजनीतिक शख्सियत कुछ न कर सके तब उसे नपुंसक कहा जाता है किन्तु कॉंग्रेस बुढ़िया हो गयी ,राहुल शहजादे हैं ,पप्पू हैं ,मोदी शेर हैं राहुल चिड़िया ,मोदी मूंछ के बल राहुल पूँछ के बल आदि टिप्पणियाँ भाजपा के राजनीतिक ज्ञान की अपरिपक्वता ही ज़ाहिर करती हैं ,ये राजनीति को मंडी ,चौराहा ,नाई की दुकान ,चौराहा ,पशुशाला बनाने में लगे हैं जहाँ ऐसे शब्दों को बहुतायत में शोहदों ,चरवाहों ,नाईयों ,ठलुओं आदि की ज़बान उगलती रहती है .
इसलिए आवश्यक यह है कि भाजपा पहले कॉंग्रेस से राजनीति सीखे और तभी यहाँ अपना मुंह खोले क्योंकि राजनीति को जो सड़क छाप स्वरुप देने में भाजपा लगी है और अपने स्वरुप में मुख़ालिफ़ों को ढलने की जिस नापाक कोशिश वह अंजाम दे रही है भारतीय राजनीति और भारतीय जनता उसे कभी स्वीकार नहीं करेगी हाँ इतना ज़रूर है कि अपने फुर्सत के क्षणों में चुटकुलों के स्थान पर उन अभद्र टिप्पणियों को याद कर हंस ज़रूर लिया करेगी .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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शालिनी कौशिक
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