सानिया विरोध :भाजपा की अंदरुनी शक्ल
आपने एक फ़िल्मी गाना तो सुना ही होगा -
''मेरी मर्ज़ी
मैं चाहे ये करूँ ,मैं चाहे वो करूँ ,
मेरी मर्ज़ी''
और इसी गाने की तर्ज़ पर आप आजकल एक सत्तारूढ़ दल को देख व् परख सकते हैं जो इसे कुछ मोड़कर यूँ गाते फिरते हैं -
''मेरी मर्ज़ी
मैं चाहे ये कहूँ ,मैं चाहे वो कहूँ ,
मेरी मर्ज़ी''
आप सभी वैसे इनके पक्ष में कभी नहीं बोलेंगे किन्तु जो सच्चाई है उसे नाकारा भी तो नहीं जा सकता और सच्चाई ये है कि सोनिया गांधी जिनकी शादी भारतीय नागरिक राजीव गांधी से हुई उन्हें कभी भारत की बहू न स्वीकारने वाले भाजपाई हमेशा उन्हें इटली की बेटी ही कहते फिरते हैं और आज जब अपनी बेटी पर बात आई तो उसे अपनी बेटी न कहकर पाकिस्तान की बहू कहकर अपने से अलग करने की कोशिश की जा रही है .
सानिया मिर्जा भारत की एक ऐसी टेनिस स्टार जिसने भारत का नाम टेनिस के आकाश में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया .भारत में उनसे पहले कोई महिला टेनिस खिलाड़ी हुई हो हमें याद नहीं पड़ता .जिस दिन से सानिया मिर्जा ने इस क्षेत्र में पदार्पण किया उस दिन से वे भारत के लिए गौरव का विषय ही रही हैं.
कभी उनकी ड्रैस को लेकर तो कभी जीवन शैली को लेकर मुस्लिम वर्ग द्वारा ही विवाद खड़े किये जाते रहे हैं किन्तु उन सबको दरकिनार कर वे एक मजबूत शख्सियत के रूप में टेनिस से जुडी रही और निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ती रही .जहाँ भारत से प्रतिभा का निरंतर पलायन जारी है वहीँ सानिया ने पाकिस्तानी खिलाड़ी शोएब मलिक से विवाह के बावजूद भारत से ही जुड़े रहने में गर्व की अनुभूति की और इस सबके बावजूद अपने को सबसे बड़ा देशभक्त मानने वाली पार्टी के तेलंगाना के के.लक्ष्मण कहते हैं ''कि सानिया पाकिस्तान की बहू हैं .''......हाँ हैं ,पर उससे पहले वे भारत की बेटी हैं और पाकिस्तान की बहू होने से भी उन पर कोई कलंक नहीं लग जाता क्योंकि पाकिस्तान भी अपने देश का ही अंग है अपना ही भाई है इस तरह की बयानबाजी को लेकर सानिया का यह कहना -''कि उन्हें नहीं पता कि कब तक उन्हें भारतीयता और देशभक्ति साबित करनी पड़ेगी .''न केवल उनके दिल की पीड़ा को वरन भारत में रह रहे हर मुसलमान के दिल की पीड़ा को ज़ाहिर करता है .
Sania Mirza Condemns BJP Leader's Comments: 'I Am Indian, Will Always Remain One'
ऐसा नहीं है कि मात्र हिन्दूओं ने ही इस देश को आज़ादी दिलाई वरन हर धर्म हर कौम के नुमाइंदे ने इस देश को आज़ादी दिलाने में अपनी जान कुर्बान की है फिर चंद भटके हुए लोगों के कारण पूरी कौम को इस तरह गद्दार करार देना व् उसकी देशभक्ति पर शक करना इस देश की जड़ों को काटने के समान है जो आपसी प्रेम और सद्भाव की खाद और पानी से ही फलती फूलती आई हैं ..प्रसिद्द शायर मुज़फ्फर रज्मी इसी दुःख को अपने शब्दों में बहुत ही भावुक अंदाज़ में बयां करते हैं -
''वो ज़ब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने ,
लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पायी .''
साथ ही ,सानिया एक बेहतरीन खिलाडी हैं खिलाड़ी से ये उम्मीद करना कि वे उनके साथ आंदोलन में झंडे लेकर चलती ,नारे लगाती ,भूख हड़ताल करती तो इसे गलत ही कहा जायेगा ,खिलाडी का काम अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए अच्छा प्रदर्शन करना होता है और देश का नाम ऊँचा करना होता है और सानिया ने यह काम बखूबी किया है और तेलंगाना इस देश का ही एक हिस्सा है और ऐसे में उनका देश के लिए कुछ करना तेलंगाना के लिए भी करने के समान माना जायेगा .फिर किसी को ब्रांड एम्बेसडर तभी बनाया जाता है जब उसकी कुछ उपलब्धियां हो ,नाम हो ,अब किसी सड़क चलते किसी सामान्य जन को तो ब्रांड एम्बेसडर बनाया नहीं जाता .साफ है कि उसकी उपलब्धियों से फायदा उठकर अपना फायदा करना इस कार्य में निहित है ऐसे में सानिया को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर सानिया पर नहीं वरन स्वयं तेलंगाना के हित में ही कार्य किया जा रहा है क्योंकि इस तरह सानिया की उपलब्धियों से फायदा उठाया जायेगा .
और रही भाजपा की बात तो उसने हर बार महिलाओं के प्रति असम्मान की भावना को ही तरजीह दी है .जिस पद के योग्य इस बार सुषमा स्वराज जी थी उस पर नरेंद्र मोदी जी को सुशोभित किया गया है जबकि विपक्ष का नेता लोकसभा में वही होता है जो पार्टी में सर्वश्रेष्ठ हो .यही नहीं इनके एक नेता सुब्रमणियम स्वामी उन्हें तो लगता है कि सोनिया हो या सानिया सभी तरफ आग उगलनी है .इनके नेता गिरिराज किशोर सोनिया गांधी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं और पार्टी में एक आवाज़ भी उन्हें फटकारती नहीं और इस पर भी यह पार्टी महिला सम्मान और सुरक्षा की बात जोर शोर से करती है और सामान्य जन की भाषा में कहा जाये तो इसके लिए ''पदम श्री '' लेना चाहती है जबकि अपनी ऐसी विचारधारा से यह स्वयं ही अपनी मंशा को संदेह के घेरे में ले आती है जब भाजपा देश की इन सामर्थ्यवान महिलाओं के प्रति यह भाव रखती है तो सामान्य कमजोर महिलाओं के प्रति क्या भाव रखेगी इसकी सहज कल्पना की जा सकती है .कल तक यह चीख-चीखकर महिलाओं के लिए आवाज़ उठा रही थी पर आज स्थिति अलग है आज यह सत्ता मद में डूबी है अब तो इसके लिए बस यही कहा जा सकता है -
''आज माना कि इक़तदार में हो ,हुक्म रानी के तुम खुमार में हो ,
ये भी मुमकिन है वक्त ले करवट ,पाँव ऊपर हों सर तगार में हो .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
ये भी मुमकिन है वक्त ले करवट ,पाँव ऊपर हों सर तगार में हो .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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