क्या दूरदर्शन में दर्शक वर्ग फालतू की श्रेणी में हैं ?और क्या यही हैं अच्छे दिन ?
Govt wants Commonwealth Games to be broadcast on DD News
NEW DELHI: In a controversial decision, the information and broadcasting (I&B) ministry has recommended that news content on DD News be replaced with broadcast of Commonwealth Games for the next 11 days starting Thursday after Prasar Bharati and Ten Sports failed to reach an agreement.
While the CWG telecast will be available to viewers, it will be at the expense of Doordarshan news. The news channel has a viewership of about 2.8 million people, according to Prasar Bharati.
The I&B ministry issued a showcase notice to Ten Sports on Tuesday evening for declining to share the feed with DD Sports. Confirming the move, I&B secretary Bimal Julka said, "We have recommended to Prasar Bharati to show the games on DD News. The board was of the opinion that it would be a loss of revenue if sports is telecast on DD National."]
While the CWG telecast will be available to viewers, it will be at the expense of Doordarshan news. The news channel has a viewership of about 2.8 million people, according to Prasar Bharati.
The I&B ministry issued a showcase notice to Ten Sports on Tuesday evening for declining to share the feed with DD Sports. Confirming the move, I&B secretary Bimal Julka said, "We have recommended to Prasar Bharati to show the games on DD News. The board was of the opinion that it would be a loss of revenue if sports is telecast on DD National."]
नई सरकार यह सपने दिखाकर सत्ता में आई है कि अच्छे दिन आने वाले हैं और सत्ता में आते ही दिखा दिया कि किसके लिए यह कहा जा रहा था साफ बात है किसी और के लिए तो ये कहा नहीं जा रहा था यह अच्छे दिन निश्चित तौर पर भाजपा के लिए ही कहे जायेंगे क्योंकि दूरदर्शन का ऐसा दुरूपयोग उससे पूर्व कि किसी सरकार ने नहीं किया जैसा कि भाजपा नीट गठबंधन वाली यह सरकार कर रही है और दूरदर्शन इसमें पूरी तरह से शामिल है क्योंकि यदि वह चाहता तो इसके लिए इंकार कर सकता था क्योंकि वह प्रसार भारती के अंतर्गत काम करता है और प्रसार भारती एक स्वायत्त संस्था है किन्तु उसने इंकार नहीं किया और इसका परिणाम सारे देश को भुगतना पड़ा तब जब उसे सारे दिन समाचारों के लिए आज के अफवाहों के प्रसारक चैनल्स पर निर्भर रहना पड़ा .वह भी दिन के १२ बजे से सुबह के ६ बजे तक .
दूरदर्शन का न्यूज़ चैंनल क्या क्या नहीं कहा जाता है इसके बारे में -प्रसिद्द निर्माता निर्देशक सुभाष घई कहते हैं कि विश्वसनीय ख़बरों के लिए मैं डी.डी.न्यूज़ ही देखता हूँ किन्तु तब क्या किया जाये जब न्यूज़ पर न्यूज़ ही न आ रही हों .दर्शकों का इतना पागल कभी किसी चैंनल ने नहीं खींचा होगा जितना इस बार डी.डी.न्यूज़चैंनल ने खींचा है .कॉमनवेल्थ खेलों के प्रसारण के लिए दिन भर के सभी समाचार गायब कर दिए गए हैं यहाँ तक कि नीचे आने वाली समाचार पट्टिका तक गायब है .जब दूरदर्शन का अलग स्पोर्ट्स चैंनल है तब यहाँ के कार्यक्रम वह आये दिन क्यों प्रभावित करता है कभी नेशनल चैंनल पर खेल के कारण कार्यक्रम बंद तो कभी डी.डी.न्यूज़ पर , अगर ये खेल इतने ही सारे देश में प्रसारित किये जाने ज़रूरी हैं तो इनका चैंनल भी उसी फ्रीक्वेंसी पर क्यों नहीं कर दिया जाता जिस पर डी.डी. नेशनल और डी.डी.न्यूज़ हैं ? आखिर कब तक दूरदर्शन के दर्शक वर्ग का यूँ उपहास उड़ाया जाता रहेगा ?दूरदर्शन को इस दिशा में जल्द विचार करना ही होगा .
और साथ ही सरकार को भी अगर डी.डी.न्यूज़ के दर्शक वर्ग का फायदा उठाकर ऐसे कार्यक्रम सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाने हैं तो उसके लिए कोई जबरदस्त रणनीति तैयार कर एक इनके जैसा चैनल बगैर केबिल या डीटी एच के जनता को उपलब्ध करना होगा .इस तरह जनता को अर्थात दूरदर्शन के दर्शकों को समाचारों से वंचित कर वे उन्हें अपने से दूर ही करेंगे क्योंकि जनता तो समाचार कहीं न कहीं से पता कर ही लेगी किन्तु सरकार को ज़रूर कठघरे में ले आएगी कि आखिर हमें ये जानने का मौका सरकार न इस तरह हमसे छीन क्यों लिया ?
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
वर्त्तमान काल के समाचार माध्यम विशेषकर निजी माध्यम लोक सेवार्थ संस्था न होकर विशुद्ध व्यावसायिक संस्था हैं, ये वही लिखते हैं वही दिखाते हैं जिसमें इनकी आय हो । व्यवसाय में जब व्यवसायी का चारित्रिक पतन होता है तब वह केवल धन देखता है काला या गोरा नहीं, धंधा देखता है बुरा या भला नहीं ।जान कल्याण से इनका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं होता । किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट के लोकसेवकों को जनता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए कि किसी व्यावसायिक संस्था के प्रति ? वर्त्तमान संचार माध्यम जिसे 'मीडिया ' कहा जाता है यदि अपने इसी स्वरूप में रही तो नव आगंतुकों का यहां कोई भविष्य नहीं है.....