कृतज्ञ दुनिया २ अक्टूबर की




एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,

दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .

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जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,

आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .

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लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,

देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .

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सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,

बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .

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आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,

सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

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मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,

स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .

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दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया

ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .

शालिनी कौशिक

[कौशल]

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
waah...badhiya
gandhi ji ka yogdan atulniya hai
naman unko shat shat pranam
सब को नवदुर्गा-पर्व की शुभकामना ! आज के वृद्ध-दिवस की वधाई सभी वरिष्ठ नागरिकों को !अच्छी प्रस्तुति !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2-10-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा तुगलकी फरमान { चर्चा - 1754 } में दिया गया है
आभार
नवदुर्गा और दशहरा की शुभकामनाएं ! सुन्दर प्रस्तुति !
नवरात्रों की हार्दीक शुभकामनाएं !
शुम्भ निशुम्भ बध :भाग ८
Asha Joglekar ने कहा…
सुंदर प्रस्तुति दोनो महान नेताओं के लिये।
ज्योति-कलश ने कहा…
सुन्दर प्रस्तुति !

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