हम कहाँ ले जा रहे बचपन को ?
एक फ़िल्मी गाना इस ओर हम सभी का ध्यान आकर्षित करने हेतु पर्याप्त है -
''बच्चे मन के सच्चे सारे जग की आँख के तारे ,ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे ,''
बचपन हमारे देश की अमूल्य निधि है और ये हम सभी का कर्तव्य है कि हम इसकी राहें प्रशस्त करें न कि इसके लिए आगे बढ़ने के रास्ते बंद .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-11-2014) को "वक़्त की नफ़ासत" {चर्चामंच अंक-1800} पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'