पर्यावरण दिवस पर धरती माँ की चेतावनी



दुश्मन न बनो अपने ,ये बात जान लो ,
कुदरत को खेल खुद से ,न बर्दाश्त जान लो .


चादर से बाहर अपने ,न पैर पसारो,
बिगड़ी जो इसकी सूरत ,देगी घात जान लो .


निशदिन ये पेड़ काट ,बनाते इमारते ,
सीमा सहन की तोड़ ,रौंदेगी गात जान लो .


शहंशाह बन पा रहे ,जो आज चांदनी ,
करके ख़तम हवस को ,देगी रात जान लो .


जो बोओगे काटोगे वही कहती ''शालिनी ''
कुदरत अगर ये बिगड़ी ,मिले मौत जान लो .


शालिनी कौशिक

टिप्पणियाँ

कविता रावत ने कहा…
बहुत सही चेताया है
जागो अभी समय है!
कविता रावत ने कहा…
बहुत सही चेताया है
जागो अभी समय है!
प्रकृति का सम्मान करना ही होगा।

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