विरोध दिवस - बार कौंसिल उत्तर प्रदेश सही राह पर

29 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश बार कौंसिल विरोध दिवस के रूप में मनाने जा रही है और इस कदम को बार कौंसिल के नव निर्वाचित अध्यक्ष हरि शंकर सिंह जी के सही कदम के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लगातार अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं और प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
           प्रतापगढ़ के अधिवक्ता ओम मिश्रा और इलाहाबाद के अधिवक्ता सुशील पटेल की नृशंस हत्या को लेकर पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार वकीलों के कठघरे में थी उस पर आगरा में कचहरी में ही बार कौंसिल की नव निर्वाचित अध्यक्ष कुमारी दरवेश यादव की हत्या होने पर अब उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह वकीलों के निशाने पर है.
          वकीलों की सुरक्षा को लेकर जिस तरह से खतरा बढ़ता जा रहा है उस तरह से बार बार सरकार से सुरक्षा की मांग किए जाने पर भी इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार का वकीलों के प्रति उपेक्षित रवैय्या नज़र आ रहा है. जब कचहरी परिसर तक वकीलों के लिए सुरक्षित नहीं रहा है तब सार्वजनिक स्थलों पर तो सुरक्षा की दरकार ही नहीं की जा सकती. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देकर कम से कम वकीलों को आश्वासन तो देना चाहिए कि वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और अपनी तरफ से वकीलों की सुरक्षा हेतु पुख्ता इंतजाम करने को कटिबद्ध है,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा इसलिए वकीलों को यह कदम उठाने को विवश होना पड़ रहा है जिसके लिए वकील फिरसे बार बार हड़ताल किए जाने के लिए निशाने पर लिए जाएंगे.
         हमारा देश स्वतंत्र है, हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं और यहां अपनी छोटी छोटी माँग मनवाने के लिए आंदोलन करने पड़ते हैं और भारत का इतिहास गवाह है कि यहां हर बड़े आंदोलन का दारोमदार वकीलों पर रहा है इसलिए आज जब खुद पर पड़ी है तो वकील अपनी फितरत से कैसे पीछे हट सकते हैं? वकील अब अपनी हिम्मत पर आ गए हैं और वकीलों का विरोध दिवस उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी मांग मानने को विवश कर सकता है और निश्चित ही करेगा भी क्योंकि वकील जानते हैं सरकार को सही राह पर लाना -
"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)

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