और कितनी शहादत चाहिए नेहरू गाँधी परिवार से
राहुल गांधी अपने व्यक्तित्व व परिवारिक लोकप्रियता के कारण जनता के दिलों में अपना एक अलग मुकाम रखते हैं और जनता के दिलों में राहुल गांधी के व उनके परिवार के प्रति यह प्यार विपक्षी भाजपा को इस कदर खटकता है कि वे कुछ भी करें तो भी और कुछ न करें तो भी उसे मुद्दा बनाकर देश की भोली-भाली जनता के मन में उनके लिए जहर घोलने की कोशिशें की जाती हैं और भारतीय जनता पार्टी में तो कुछ नेताओं को, कार्यकर्ताओं को यह ही जिम्मेदारी दी गई है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी पर नज़र रखो और समय समय पर इन्हें लेकर जो कुछ भी कह सकते हो, कहो, क्योंकि ये पार्टी जानती है कि अगर निरंतर किसी जगह पर चोट की जाए तो वह चोट निशान अवश्य छोड़ती है और आज इसी निरंतर प्रहार का असर ही है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में कायम है और देश के लिए अपनी कुर्बानी देने वाला यह परिवार अंध भक्तों के द्वारा कभी चोर तो कभी भ्रष्टाचारी कहा जा रहा है किन्तु ऐसा तभी है जब इस पार्टी द्वारा अपने अंध भक्तों की आंखों पर पूरी तरह से झूठ का पर्दा डाल दिया गया है और सच देखने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं साथ ही एक ऐसी हिप्नोटिज्म की स्थिति पैदा कर दी गई है कि अंध भक्तों द्वारा सच देखने की जरूरत भी महसूस नहीं की जाती.
पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राव ने कहा कि राहुल 16 बार विदेश दौरे पर गए। इनमें से 9 बार उन्होंने यह नहीं बताया गया कि वह कहां गए। उन्होंने इस बात का खुलासा कभी क्यों नहीं किया? क्या राहुल किसी सीक्रेट ऑपरेशन में शामिल हैं?
ये भारत देश का बच्चा बच्चा जानता है कि राहुल गांधी जिस परिवार की सन्तान हैं उस परिवार ने देश के लिए अपनी शहादत दी है और ऐसा तब हुआ जब उन्हें देश की तरफ से कड़ी सुरक्षा मिली हुई थी. राहुल गांधी जी की दादी और देश की तीन बार प्रधानमंत्री रही श्रीमती इंदिरा गांधी जी को उनके सुरक्षा गार्डों ने ही 38 गोलियां मार कर उनकी जान ले ली थी उनके बाद राहुल गांधी के पिता श्री राजीव गांधी जी देश के प्रधानमंत्री हुए और समय समय पर उनकी सुरक्षा में सेंध लगाकर उनकी हत्या की कोशिश की गई जिसे देखते हुए एस पी जी का गठन किया गया एसपीजी का गठन 1985 में बीरबल नाथ समिति की सिफारिश पर हुआ था. इसके पीछे कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राजघाट जाने पर झाड़ियों में छिपा बैठा एक सिरफिरा नौजवान जो बाद में डाक्टरी जांच में कथित तौर पर पागल दिखाया गया . इस घटना के परिप्रेक्ष्य में उच्च स्तरीय बीरबल नाथ समिति बनाई गई और उसकी सिफारिश पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए 8 अप्रैल, 1985 को आनन फ़ानन में एक नए अत्याधुनिक सुरक्षा दस्ते एसपीजी का गठन हुआ.तत्कालीन स्थितियां गंभीर थीं. स्वर्ण मंदिर में हथियार जमा करने के देश विरोधी इंतज़ाम पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के देश की सुरक्षा के मद्देनजर लिए गए कठोर निर्णय की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा की साल 1984 में उनके दो सिख सुरक्षा गार्डों द्वारा हत्या से सारा देश ही अत्यंत संवेदनशील मनःस्थिति में था और फिर ऐसे में राजीव गांधी पर लगातार हमलों की योजना को देखते हुए इस संबंध में कठोर सुरक्षा इंतजाम ज़रूरी थे. इसलिए शुरु मे एस.पी.जी. की सुरक्षा मात्र प्रधानमंत्री राजीव गॉधी के लिए ही बनी थी. लेकिन जब राजीव गॉधी प्रधानमंत्री नहीं रहे तब सरकार ने तय किया कि एसपीजी पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी सुरक्षा उपलब्ध करवाएगी.
उन्हें उनके पद से मुक्त होने के पांच साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा देने का नियम था. 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी से एसपीजी सुरक्षा ले ली, जिसका परिणाम ये हुआ कि लिट्टे से जुड़े आतंकी उन्हें आसानी से श्रीपेरंबदुर में अपना शिकार बना सके और राजीव गांधी जी पर ऐसे खतरनाक बम विस्फोट द्वारा हमला किया गया जिससे उनका शरीर अनगिनत टुकड़ों में बंटकर रह गया.
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव जी की लिट्टे उग्रवादियों के हाथों हत्या के बाद सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों की एसपीजी सुरक्षा कवर की अवधि को दस साल कर दिया था जिसे बाद में संशोधित करके वार्षिक समीक्षा के आधार पर एस.पी.जी. सुरक्षा कवर रखना या हटाना तय कर दिया गया था.एसपीजी एक्ट में साल 2002 में एक बड़ा संशोधन किया गया. इसमें व्यवस्था कर दी गई कि “कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके परिवार (राहुल गांधी और प्रियंका गांधी और उनके कुनबे)को भी प्रधानमंत्री के स्तर की सुरक्षा मिलती रहेगी.”
और ये इस परिवार की सुरक्षा व देश की सुरक्षा की स्थिति के मद्देनजर ही होता है कि इनके कार्यक्रम गुप्त रखे जाते हैं ताकि इनकी और देश की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो क्योंकि देश और देशवासी इस परिवार से देश के लिए किए गए इनके बलिदान को देखते हुए इतनी गहराई से जुड़े हुए हैं कि इन पर की गई कोई भी चोट बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इसीलिए इनको कोई चोट पहुंचने पर देश में सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाता है और यही बात इस प्रमुख सत्ताधारी दल के नेताओं की बर्दाश्त के बाहर है इसीलिये ये जब देखो अपनी इन कायराना हरकतों से जनता को इनसे तोड़ने की असफल कोशिशें करते रहते हैं.
और ऐसा नहीं है कि भाजपाइयों की बक बक यहीं खत्म हो गई हो, राहुल गांधी पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी हमला बोला। मालवीय ने ट्वीट किया- यह बहुत ही शर्म की बात है कि राहुल गांधी के पास सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए समय नहीं है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं। इससे पहले भी नेहरू-गांधी परिवार ने भारत निर्माण में योगदान देने वालों का कई बार अपमान किया है।अब इन्हें कौन बताये कि राहुल गांधी ने देश से बाहर रहते हुए भी सरदार पटेल के जन्मदिन पर फ़ेसबुक के द्वारा श्रद्धांजली व्यक्त की है
"राहुल गांधी ने $फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘जन-नायक लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर उन्हें नमन।"
और अगर ऐसा करना भारत निर्माण में योगदान करने वालों का अपमान है तो इनके मोदी जी तो ऐसा नेहरू जी व इंदिरा गांधी जी के साथ करते रहे हैं
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा-पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि, देश के लिए हम उनके योगदान को याद करते हैं।
"Narendra Modi
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@narendramodi
Tributes to Pandit Jawaharlal Nehru Ji on his death anniversary. We remember his contributions to our nation.
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8:01 AM - May 27, 2019"
यही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की पुण्यतिथि (Death anniversary) पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। वहीं एक ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा- देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।
"Narendra Modi
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@narendramodi
देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।
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6:42 AM - Oct 31, 2019"
ऐसे में अगर यह बात इन कथित राष्ट्रवादी भाजपाइयों के समक्ष प्रस्तुत भी कर दीं जाए तो एक ही जवाब सामने आयेगा कि हम चोरों का, भ्रष्टाचारियों का सम्मान नहीं करते और इसीलिए हमारे द्वारा भोली भाली जनता को पागल बनाने वालों के प्रति पुष्पांजलि अर्पित नहीं की जाती, अब ऐसे में तो केवल यही कहा जा सकता है कि अगर सच यही है तो फिर भाजपा के ही शब्दों में यह सब "ड्रामा" क्यूँ किया जाता है जब एक तरफ नेहरू गाँधी परिवार की भद्दी आलोचना की जाती है तो दूसरी तरफ उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त कर अपनी ट्विटर हैंडल को चोट क्यूँ पहुंचाई जाती है, स्पष्ट है कि चित भी मेरी पट भी मेरी, मतलब यही है कि ये देश के प्रधानमंत्री रहे इसलिए ये उन्हें देश का नाम रखने के लिए याद भी करते हैं और क्योंकि इनके अनुसार ये चोर थे, भ्रष्टाचारी थे इसलिए ये जनता के बीच इनकी असलियत लाते हैं और असलियत भी वह जो इनके लिए फायदेमंद हो.
अब यह जनता को देखना है कि सच क्या है और क्या वास्तव में राहुल गांधी के सभी कार्यक्रम जनता के समक्ष खुलने चाहिए और वो भी उस स्थिति में कि उनके पिता की हत्या के पीछे के असली मुज़रिम आज तक खुले घूम रहे हैं. साथ ही, क्या राहुल गांधी ने भारत निर्माण में योगदान देने वालों का अपमान किया है जबकि उन्होंने न केवल सरदार पटेल बल्कि अपनी दादी व देश की लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी को भी सोशल मीडिया के जरिए ही श्रद्धांजलि अर्पित की है.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)
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