आदमी क्या है....
आदमी क्या है एक खिलौना है,
जीवन में हँसना कम अधिक रोना है.
खुशियाँ मिलती हैं कभी कभी ,
संग दुःख लाती हैं तभी तभी.
खुशियाँ आयें या ना आयें,
दुःख के पड़ जाते हैं साये.
दुःख अपना प्यारा साथी है,
निरंतर साथ निभाता है,
खुशियाँ बुलाने पर भी ना आयें.
दुःख आ जाता बिन बुलाये.
दुःख में विधि को हम याद करें,
सुख में इसका ना ध्यान करें.
जो सुख में इसका ध्यान करें,
तो दुःख हम सब पर कैसे पड़े.
गलती हम करते जाते हैं,
पर स्वीकार ना करते कभी.
इस कारण ही तो ऐसा है,
पड़ जाते जल्दी दुःख सभी.
दुखों की परम परंपरा है,
सुख तो एक व्यर्थ अप्सरा है.
दुखों की ही हर पल सोचें,
सुखों का कभी ना ध्यान करें.
जीवन में हँसना कम अधिक रोना है.
खुशियाँ मिलती हैं कभी कभी ,
संग दुःख लाती हैं तभी तभी.
खुशियाँ आयें या ना आयें,
दुःख के पड़ जाते हैं साये.
दुःख अपना प्यारा साथी है,
निरंतर साथ निभाता है,
खुशियाँ बुलाने पर भी ना आयें.
दुःख आ जाता बिन बुलाये.
दुःख में विधि को हम याद करें,
सुख में इसका ना ध्यान करें.
जो सुख में इसका ध्यान करें,
तो दुःख हम सब पर कैसे पड़े.
गलती हम करते जाते हैं,
पर स्वीकार ना करते कभी.
इस कारण ही तो ऐसा है,
पड़ जाते जल्दी दुःख सभी.
दुखों की परम परंपरा है,
सुख तो एक व्यर्थ अप्सरा है.
दुखों की ही हर पल सोचें,
सुखों का कभी ना ध्यान करें.
टिप्पणियाँ
भले ही अजीब लगे पर मेरा दुःख किसी के लिए सुख और मेरा सुख उसका दुःख भी हो सकता है :)
है ना ?
बहरहाल सुख और दुःख बेहद गम्भीर विषय हैं और जीवन का यथार्थ भी ! आपने अच्छा प्रयास किया !
यह तो नियति है ..लेकिन जीवन फिर भी चलता रहता है ....आपका आभार ...इस सार्थक रचना के लिए ...शुक्रिया