jo bhi ray ho avashay den..

पहले आप ये मेरे ब्लॉग व मेरी कविता का अवलोकन करें-

इस पर एक टिप्पणी पोस्ट करें: कौशल

"उचित निर्णय युक्त बनाना"

12 टिप्पणियाँ - मूल पोस्ट छिपाएँ

जो बनते हैं सबके अपने,
  निशदिन दिखाते हैं नए सपने,
      ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,
          भीतर सबका चैन चुराते,
ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं,
तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.
  ये करते हैं झूठे वादे,
    भले नहीं इनके इरादे,
       ये जीवन में जो भी पाते,
          किसी को ठग के या फिर सताके,
ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं  ,
इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते हैं.
   जब तक ऐसी जनता है,
  तब तक ऐसे नेता हैं,
  जिस दिन लोग जाग जायेंगे,
ऐसे नेता भाग जायेंगे,
      अब यदि चाहो इन्हें हटाना,
      चाहो उन्नत देश बनाना,
       सबसे पहले अपने मन को,
       उचित निर्णय युक्त बनाना.

ब्लॉगर shikha kaushik ने कहा…
bahut shandar prastuti.
१० जनवरी २०११ ८:२७ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA ने कहा…
I wish you Happy New 2011! सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली । भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज । बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति । हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद । धन्यवाद.... satguru-satykikhoj.blogspot.com
११ जनवरी २०११ १२:४२ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA ने कहा…
I wish you Happy New 2011! सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली । भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज । बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति । हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद । धन्यवाद.... satguru-satykikhoj.blogspot.com
११ जनवरी २०११ १२:४२ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर ali ने कहा…
नेताओं से बहुत नाराज़ हैं आप :) ख्याल रहे ये लोग भी हमारे जैसों के बीच से आगे आये हैं ! इनकी बुराइयों के जिम्मेदार हम भी है इसलिए आपकी कविता का आखिरी पैरा निर्णायक लगा / अच्छा लगा !
१२ जनवरी २०११ ५:४० पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर ali ने कहा…
आपने लिंक जोड़ने और गैजेट पेस्ट करने के बारे में पूछा था ,मुझे स्मरण है कि श्री संजीव तिवारी जी ने इस विषय पर पोस्ट लिखी थी मैंने उन्हें फोन करके आपके ब्लॉग कौशल का लिंक दे दिया है ,वे आज ही आपके ब्लॉग पर कमेन्ट करने आयेंगे और उन पोस्ट की लिंक आपको दे देंगे ! उम्मीद है कि उन्हें पढते हुए आपके दोनों काम बन जायेंगे !
१२ जनवरी २०११ ५:५६ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari ने कहा…
लिंक कैसे जोड़ें 1. एचटीएमएल कोड का प्रयोग करके यहां देखें लिंक कोड एचटीएमएल 2. ब्‍लॉगर पोस्‍ट बाक्‍स में जिस शव्‍द में लिंक लगाना है उसे सलेक्‍ट करें व उपर पोस्‍ट बाक्‍स में लिंक को क्लिक करें वहां वही यूआरएल डालें जिसका लिंक आप लगाना चाहती हैं। गैजेट जोड़ना इस पोस्‍ट से सहायता लेवें
१२ जनवरी २०११ ६:४७ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर क्रिएटिव मंच-Creative Manch ने कहा…
सुन्दर रचना राजनीति में भ्रष्ट नेताओं के लिए हम भी कम दोषी नहीं हैं. अच्छी लगी कविता आभार
१२ जनवरी २०११ ११:१२ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" ने कहा…
बहुत अच्छी है. # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें. श्रीमान जी, आपने अगर मुझे कभी ईमेल भेजी हो और उसका जवाब नहीं मिला हो तो नोट करें आप जब मुझसे किसी प्रकार का कोई जवाब चाहते हैं तो अपनी ईमेल में अपने विचार हिंदी में लिखकर ही भेजें अथवा मैं अंग्रेजी में भेजे गए विचारों और बातों का जवाब देने में असमर्थ हूँ. इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने. नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com, http://sirfiraa.blogspot.com, http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com, http://aap-ki-shayari.blogspot.com & http://sachchadost.blogspot.com देखें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप भी करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.
१३ जनवरी २०११ १:०३ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर Patali-The-Village ने कहा…
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति । धन्यवाद|
१३ जनवरी २०११ ५:४४ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर Kunwar Kusumesh ने कहा…
अच्छी, पठनीय पोस्ट.
१३ जनवरी २०११ ८:२६ पूर्वाह्न
हटाएँ
ब्लॉगर जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…
sundar kavita badhai
१३ जनवरी २०११ ८:५७ अपराह्न
हटाएँ
ब्लॉगर Dr. shyam gupta ने कहा…
ye tippanee karane vale kya soch kar tippanee karate hain--- ---prastut kavitaa -kavitaa hee naheen hai vaktavy hai aur lage hain prashansaa karane----is tarah sudhar ke bazay galat-salat paripatee ko hee chalane ko vaadhy karaye hain...
१४ जनवरी २०११ ७:२२ पूर्वाह्न
हटाएँ
 
मेरी इस कविता पर हर तरह की टिपण्णी आई जिसमे तारीफ भी हुई और आलोचना भी किन्तु सबसे अधिक मुझे व्यथित किया डॉ.श्याम गुप्त जी की टिपण्णी ने जिसमे इसे कविता नहीं माना गया चलिए मैं मान लूंगी की ये कविता नहीं है किन्तु वे इसमें कविता का क्या नहीं है बताते और मेरा मार्ग दर्शन करते जैसा डॉ.रूपचंद्र जी करते हैं,अली जी करते हैं और तमाम बड़े अपने बच्चों का करते हैं.यदि आपको भी ये कविता नहीं लगी तो आप भी बताएं की ऐसा क्या लिखूं जो कविता हो.साथ ही क्या गलत परिपाटी इससे बढ़ेगी वो भी अवश्य बताएं.और बताएं की क्या ऐसी टिप्पणियां ब्लॉग परिवार में होनी चाहियें?कृपया टिपण्णी अवश्य दें.

टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
aise comments ka blog parivar me koi sthan nahi hai .comments karte samay har vyakti ko yah dhayan rakhna chahiye ki aapke comments kisi ko hatotsahit n karen .hum sabhi to blog par man ke bhavon ko abhivyakt karte hain .isliye comment karen jara dhayan se .
aapne sach kaha...aapne apne anushar kuchh likha aur apne blog pe share kiya...........wo kisi ko pasand ya kisi ko na-pasand lage...lekin ye ummid rahti hai ki koi na-pasand kare to tareke se saleeke se kahe ki........taaki aage kuchh sudhar agar lage to ho sake....
:)

waise Be happy mam.......!!

aise ek-do comments aate rahenge...
aap to bas likhte rahiye..:)
उम्मतें ने कहा…
@ शालिनी कौशिक जी ,
हम जो लिखते है ज़रुरी नहीं कि वो सभी को पसंद आये ! कुछ लोग निर्धारित खांचों से बाहर नहीं निकलते जो उनकी अपनी शैली हो सकती है ! विश्वास कीजिये कि दुनिया परिवर्तनशील है !परिपाटियां टूटती हैं और टूटती रहेंगी ! आपका ब्लॉग और आपकी अभिव्यक्ति अहम है ! अगर मैं या कुछ और बंदे आपकी अभिव्यक्ति को अनुभूत कर संतुष्ट हैं तो कुछ असंतुष्ट भी होंगें ? फिर चिंता कैसी ? ज़रा गौर कीजिये पहले पहल कविता तुकांत हुआ करती थी पर अब ऐसा ज़रुरी नहीं है ...आगे और भी नया कलेवर आ सकता है , इसलिए हतोत्साहित मत होईये ! मुख्य बात ये है कि आपका सन्देश हम तक बराबर पहुंचे ! लेखन की विधाओं के खांचे / फार्मेट्स सुधरते रहेंगे और शैली भी !

बुजुर्गवार गुप्ता जी आपको कविता के फार्मेट्स और लेखन पर सुझाव देते तो अच्छा होता पर संभवतः उनके पास समय नहीं रहा होगा !

आपको कविता लेखन पर ही फोकस करना हो तो शरद कोकास जी से सलाह लीजियेगा ! उनका लिंक मैं या संजीव जी भी दे सकते हैं !

हौसला रखिये ,लिखती रहिये ,अपनी पिछली पोस्ट में आपने जो भी कहना चाहा था वो हमें समझ में आ गया बस यही काफी है अभी ! इससे आगे सीखने की उम्र कभी खत्म होती है भला !

शुभकामनाओं सहित !
Satish Saxena ने कहा…

@ शालिनी,
व्यथित नहीं होना चाहिए ! आप इन्टरनेट पर लिख और प्रदर्शित कर रही हैं यहाँ पर प्रतिक्रियाएं मनचाही आयें यह संभव नहीं है ! अच्छा प्रयास किया है अगर लिखती रहोगी तो एक दिन शिल्प ज्ञानी भी आपकी तारीफ करके जायेंगे ! आशा है खूब लिखोगी और जमकर लिखोगी ! शुभकामनायें !
Kailash Sharma ने कहा…
जब तक ऐसी जनता है,
तब तक ऐसे नेता हैं,
जिस दिन लोग जाग जायेंगे,
ऐसे नेता भाग जायेंगे,...

बहुत सार्थक प्रस्तुति..

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना