jo bhi ray ho avashay den..
पहले आप ये मेरे ब्लॉग व मेरी कविता का अवलोकन करें-
मेरी इस कविता पर हर तरह की टिपण्णी आई जिसमे तारीफ भी हुई और आलोचना भी किन्तु सबसे अधिक मुझे व्यथित किया डॉ.श्याम गुप्त जी की टिपण्णी ने जिसमे इसे कविता नहीं माना गया चलिए मैं मान लूंगी की ये कविता नहीं है किन्तु वे इसमें कविता का क्या नहीं है बताते और मेरा मार्ग दर्शन करते जैसा डॉ.रूपचंद्र जी करते हैं,अली जी करते हैं और तमाम बड़े अपने बच्चों का करते हैं.यदि आपको भी ये कविता नहीं लगी तो आप भी बताएं की ऐसा क्या लिखूं जो कविता हो.साथ ही क्या गलत परिपाटी इससे बढ़ेगी वो भी अवश्य बताएं.और बताएं की क्या ऐसी टिप्पणियां ब्लॉग परिवार में होनी चाहियें?कृपया टिपण्णी अवश्य दें.
"उचित निर्णय युक्त बनाना"
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निशदिन दिखाते हैं नए सपने,
ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,
भीतर सबका चैन चुराते,
ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं,
तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.
ये करते हैं झूठे वादे,
भले नहीं इनके इरादे,
ये जीवन में जो भी पाते,
किसी को ठग के या फिर सताके,
ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं ,
इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते हैं.
जब तक ऐसी जनता है,
तब तक ऐसे नेता हैं,
जिस दिन लोग जाग जायेंगे,
ऐसे नेता भाग जायेंगे,
अब यदि चाहो इन्हें हटाना,
चाहो उन्नत देश बनाना,
सबसे पहले अपने मन को,
उचित निर्णय युक्त बनाना.
निशदिन दिखाते हैं नए सपने,
ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,
भीतर सबका चैन चुराते,
ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं,
तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.
ये करते हैं झूठे वादे,
भले नहीं इनके इरादे,
ये जीवन में जो भी पाते,
किसी को ठग के या फिर सताके,
ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं ,
इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते हैं.
जब तक ऐसी जनता है,
तब तक ऐसे नेता हैं,
जिस दिन लोग जाग जायेंगे,
ऐसे नेता भाग जायेंगे,
अब यदि चाहो इन्हें हटाना,
चाहो उन्नत देश बनाना,
सबसे पहले अपने मन को,
उचित निर्णय युक्त बनाना.