मंज़िल पास आएगी.
मिशन लन्दन ओलम्पिक हॉकी गोल्ड
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हौसले कर बुलंद अपने ,मंज़िल पास आएगी,
जोश भर ले दिल में अपने मंज़िल पास आएगी.
तक रहा है बैठकर क्यों भागती परछाइयाँ ,
उठ ज़रा बढ़ ले तू आगे मंज़िल पास आएगी.
दूसरों का देखकर मुंह न पायेगा फ़तेह कभी ,
रख ज़रा विश्वास खुद पर मंज़िल पास आएगी.
भूल से भी मत समझना खुद को तू सबसे बड़ा,
सर झुका मेहनत के आगे मंज़िल पास आएगी.
गर नशा करना है तुझको चूर हो जा काम में ,
लक्ष्य का पीछा करे तो मंज़िल पास आएगी.
''शालिनी'' कहती है तुझको मान जीवन को चुनौती ,
बिन डरे अपना ले इसको मंज़िल पास आएगी.
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
♥
आदरणीया शालिनी कौशिक जी
सस्नेह अभिवादन !
गर नशा करना है तुझको चूर हो जा काम में ,
लक्ष्य का पीछा करे तो मंज़िल पास आएगी
वाह ! बहुत ख़ूब !!
बहुत प्रेरक रचना है …
आपकी पिछली प्रविष्टि की रचना भी बहुत अच्छी लगी ।
पहले मैं सोचता था कि आपका लेखन केवल मिशन लन्दन ओलम्पिक हॉकी गोल्ड के जुनून को ले'कर है …
आप की आज की इस रचना से जीवन के हर चुनौती-पथ में संबल संभव है …
साधुवाद !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सादर
उठ ज़रा बढ़ ले तू आगे मंज़िल पास आएगी.
हौसला बढ़ाती बुलंद रचना, वाह !!!!!!!!!!!
जरुर |
जरुर सिद्ध होगा कार्य ||
प्रेरक भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट .
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
सर झुका मेहनत के आगे मंज़िल पास आएगी.
जोश ,विवेक और काम के प्रति पेशन को ऊर्जित करती जागृत करती रचना .
शुभकामनाएँ !
झूमते गाते खिलाडी बढ़ चलो निज राह पर,
खुदबखुद इकदिन तुम्हारी मंजिल पास आयगी
चढते चढ़ते गिरें उन्हें, फिर कुछ सोपान चढाने का ||
इस समाज के बदलावों की भरी जिम्मेदारी है|
"प्रसून"महकें नव प्रेरण के, यह जीवन फुलवारी है ||