नारी के तुल्य केवल नारी
नारी के तुल्य केवल नारी
क्या कभी कोई कर पायेगा
तुलना नारी के नाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
तुलना नारी के नाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
नारी के जीवन का पल-पल
नर सेवा में समर्पित है,
नारी के रक्त का हरेक कण
नर सम्मान में अर्पित है.
क्या चुका पायेगा कोई नर
प्यार का बदला काम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से
माँ के रूप में हो नारी
तो बेटे की बगिया सींचें,
पत्नी के रूप में होकर वह
जीवन रथ को मिलकर खींचें.
क्या कर सकता है कोई नर
दूर उनको मुश्किल तमाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
तो बेटे की बगिया सींचें,
पत्नी के रूप में होकर वह
जीवन रथ को मिलकर खींचें.
क्या कर सकता है कोई नर
दूर उनको मुश्किल तमाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
बहन के रूप में हो नारी
तो भाई की सँभाल करे,
बेटी के रूप में आकर वह
पिता सम्मान का ख्याल करे.
क्या दे पायेगा उनको वह
जीवन के सुख आराम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
शालिनी कौशिक
[kaushal]
टिप्पणियाँ
" atulniya nari huyee,tulna hai bekar,
lingbhed ki mar ne dushit kiye vichar."
नारी के विविध रूपों को आपने बहुत ही सुंदर तरीके से संजोया है। बधाई।
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डायन का तिलिस्म!
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
हम सहमत हैं इस भाव से ।।
उत्तराधिकारी हर रूप में,पाने को सम्मान,,,,,,
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ....: प्यार का सपना,,,,
जीवन के सुख आराम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
बहुत सुन्दर भावमय रचना......