तुम मुझको क्या दे पाओगे?
तुम मुझको क्या दे पाओगे?
google se sabhar |
तुम भूले सीता सावित्री ,क्या याद मुझे रख पाओगे ,
खुद तहीदस्त हो इस जग में तुम मुझको क्या दे पाओगे?
मेरे हाथों में पल बढ़कर इस देह को तुमने धारा है ,
मन में सोचो क्या ये ताक़त ताजिंदगी भी तुम पाओगे ?
संग चलकर बनकर हमसफ़र हर मोड़ पे साथ निभाया है ,
क्या रख गुरूर से दूरी तुम ताज़ीम मुझे दे पाओगे ?
कनीज़ समझ औरत को तुम खिदमत को फ़र्ज़ बताते हो,
उस शबो-रोज़ क़ुरबानी का क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
फ़ितरत ये औरत की ही है दे देती माफ़ी बार बार ,
क्या उसकी इस इनायत का इकबाल कभी कर पाओगे?
शहकार है नारी खिलक़त की ''शालिनी ''झुककर करे सलाम ,
इजमालन सुनलो इबरत ये कि खाक भी न कर पाओगे.
शब्दार्थ :तहीदस्त-खाली हाथ ,इनायत- कृपा ,ताजिंदगी -आजीवन
ताज़ीम -दूसरे को बड़ा समझना ,आदर भाव ,सलाम
कनीज़ -दासी ,इजमालन -संक्षेप में ,इबरत -चेतावनी ,
इकबाल -कबूल करना ,शहकार -सर्वोत्कृष्ट कृति ,
खिलक़त-सृष्टि
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
इजमालन सुनलो इबरत ये कि खाक भी न कर पाओगे.
बनाए हुए हैं .मर्द के पास सिर्फ पेशीय (पशु बल )बल है .सुख दुःख गर्मी सर्दी सहने की कूवत फिर भी औरत में मर्द से बहुत ज्यादा है .बेहद असरदार उर्दू पैरहन पहने आई है यह पोस्ट ,बधाई उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए .
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ४८ १८८
००१ -७३४ -४४६ -५४५१
कृपया यहाँ भी पधारें -.
ram ram bhai
रविवार, 26 अगस्त 2012
एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
"तुम मुझको क्या दे पाओगे?"
किसी ने कहा -
आसान टोटके
See
http://vinayakvaastutimes.blogspot.in/2012/08/blog-post_26.html
---------
Nice post .
Thanks.
bahut sarthak vicharon ko prakat kiya hai aapne .badhai WORLD WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION-JOIN THIS NOW
इजमालन सुनलो इबरत ये कि खाक भी न कर पाओगे.
बनाए हुए हैं .मर्द के पास सिर्फ पेशीय (पशु बल )बल है .
सुख दुःख गर्मी सर्दी सहने की कूवत फिर भी औरत में मर्द से बहुत ज्यादा है
उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाईयां .
आशा
टिप्स हिंदी में
आपकी उर्दू बड़ी ज़बरदस्त है....
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिले तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार |
खुद तहीदस्त हो इस जग में तुम मुझको क्या दे पाओगे?
Wah! Kya baat kahee aapne!
इस कायनात की सबसे सुन्दर अदा औरत !बहुत बढिया रचना है अर्द्ध नहीं पूर्ण नारीश्वर है स्त्री .मेरे ब्लॉग पे आपका आना और आके बारहा टिपियाना बेहद अच्छा लगा .
बुधवार, 29 अगस्त 2012
मिलिए डॉ .क्रैनबरी से
मिलिए डॉ .क्रैनबरी से
क्या उसकी इस इनायत का इकबाल कभी कर पाओगे?
बहुत खूब...भाव तो बहुत सुंदर हैं ही पर साथ ही शब्दों का जो प्रयोग आपने किया है वो भी लाजबाब है।
पवित्रतम क्षणों में
ईश्वर भी कृतज्ञ हो उठता है..
एक स्त्री रचती है तुम्हें
तुम्हारे अबोध मन को....
...................................
यकीनन बढ़िया.......
शानदार...