बचपन को हम कहाँ ले जा रहे हैं ?
एक फ़िल्मी गाना इस ओर हम सभी का ध्यान आकर्षित करने हेतु पर्याप्त है -
''बच्चे मन के सच्चे सारे जग की आँख के तारे ,ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे ,''
बचपन हमारे देश की अमूल्य निधि है और ये हम सभी का कर्तव्य है कि हम इसकी राहें प्रशस्त करें न कि इसके लिए आगे बढ़ने के रास्ते बंद .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
@ १००% सहमत
Gyan Darpan
आभार आदरेया ।।
recent post...: अपने साये में जीने दो.