चले डूबने कॉंग्रेसी
सत्ता वह मद है जिसके नशे में नेता का बहकना लाज़मी है .यह नशा जब चढ़ता है तो बड़े से बड़े विपक्षी धुरंधर भी फ़ना कर दिए जाते हैं किन्तु जब उतरता है तो नेता व्यथित हो जाते हैं और अनाप-शनाप बकने की स्थिति में आ जाते हैं .आज कॉग्रेसी नेताओं की यही स्थिति होती जा रही है .२००४ से अब तक जो नशा इन्हें मदोन्मत्त किये था वह फ़िलहाल विरोधियों के सियासी तीरों के समक्ष नष्ट होता दिखाई दे रहा है और जैसा कि सभी जानते है कि -
''विनाश काले विपरीत बुद्धि ''
तो इसका साफ असर दिखाई दे रहा है .मनीष तिवारी जी जो वर्तमान में केन्द्रीय सूचना व् प्रसारण मंत्री हैं और राशिद अल्वी जी जो कॉंग्रेस प्रवक्ता हैं दोनों ही कॉंग्रेस हाईकमान की शैली से विपरीत दिशा में जाते नज़र आ रहे हैं .सोनिया गाँधी जी ने २ ० ० ७ में मोदी जी को ''मौत का सौदागर '' कहा और इस गलत नीति का दुष्प्रभाव उन्हें जनता ने तभी वहां के चुनाव में हार के रूप में दिया क्योंकि गलत नीति यहाँ कभी भी मानी नहीं की जा सकती और शायद इसी कारण सोनिया जी ने भी आगे अपने को इस तरह के गलत व्यक्तिगत कटाक्ष से दूर रखा और राहुल गाँधी जी भी इस नीति पर चलते नज़र आते हैं क्योंकि वे भी अपनी बातें कहते हैं विरोधी नेताओं के नाम ले उनका अपमान करते नज़र नहीं आते .किन्तु मनीष तिवारी और राशिद अल्वी इस नीति के खिलाफ जा रहे हैं .
Congress compares Narendra Modi with Yamraj
ये सत्य है कि २००२ के गोधरा दंगों को लेकर मोदी जी की भूमिका संदेह के घेरे में है किन्तु जब तक अपने पास पुख्ता सबूत न हों और पुख्ता सबूत हों किन्तु उन्हें सार्वजानिक रूप से प्रस्तुत करने की हिम्मत न हो तो बार बार उन्हें अपमानित करने के लिए उन दंगों का जिक्र किया जाना कॉंग्रेस के स्थिति ''खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे ''वाली ही कर रही है क्योंकि ऐसे में ऐसे आक्षेपों का दौर कभी थमने वाला नहीं है और विपक्षियों के पास भी बहुत से ऐसे मामले हैं जिन्हें लेकर वे बबाल मचा सकते हैं भले ही सबूतों और हिम्मत के नाम पर वे बिल्कुल खाली हाथ हो .
और दूसरे राशिद अल्वी जी का मोदी जी को ''यमराज''कहा जाना यमराज जी को भी सर पीटने को विवश करता है क्योंकि यमराज जी मृत्यु के देवता हैं और गलतियाँ उन जैसे देवता के खाते में नहीं होती हाँ उनके कुछ दूत ज़रूर गलतियाँ करते हैं और किसी की जगह किसी और को अर्थात जिसकी मृत्यु है उसकी जगह किसी और को ले जाने की गलतियाँ उनके दूत कर सकते हैं वे नहीं. और यह श्रेणी यहाँ किसी भी नेता को नहीं मिल सकती क्योंकि इन्सान तो गलतियों व् अपराधों का पुलिंदा होता है और उनके खाते में गलती का कोई स्थान नहीं होता और वे यहाँ किसी विशेष प्राणी जो बहुत ऊँचा दर्ज रखता है उसकी मृत्यु के लिए ही आते हैं जब उसका समय पूरा हो जाता है .
''विनाश काले विपरीत बुद्धि ''
तो इसका साफ असर दिखाई दे रहा है .मनीष तिवारी जी जो वर्तमान में केन्द्रीय सूचना व् प्रसारण मंत्री हैं और राशिद अल्वी जी जो कॉंग्रेस प्रवक्ता हैं दोनों ही कॉंग्रेस हाईकमान की शैली से विपरीत दिशा में जाते नज़र आ रहे हैं .सोनिया गाँधी जी ने २ ० ० ७ में मोदी जी को ''मौत का सौदागर '' कहा और इस गलत नीति का दुष्प्रभाव उन्हें जनता ने तभी वहां के चुनाव में हार के रूप में दिया क्योंकि गलत नीति यहाँ कभी भी मानी नहीं की जा सकती और शायद इसी कारण सोनिया जी ने भी आगे अपने को इस तरह के गलत व्यक्तिगत कटाक्ष से दूर रखा और राहुल गाँधी जी भी इस नीति पर चलते नज़र आते हैं क्योंकि वे भी अपनी बातें कहते हैं विरोधी नेताओं के नाम ले उनका अपमान करते नज़र नहीं आते .किन्तु मनीष तिवारी और राशिद अल्वी इस नीति के खिलाफ जा रहे हैं .
Congress compares Narendra Modi with Yamraj
Express news service : New Delhi, Sat Apr 06 2013, 08:43 hrs
ये सत्य है कि २००२ के गोधरा दंगों को लेकर मोदी जी की भूमिका संदेह के घेरे में है किन्तु जब तक अपने पास पुख्ता सबूत न हों और पुख्ता सबूत हों किन्तु उन्हें सार्वजानिक रूप से प्रस्तुत करने की हिम्मत न हो तो बार बार उन्हें अपमानित करने के लिए उन दंगों का जिक्र किया जाना कॉंग्रेस के स्थिति ''खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे ''वाली ही कर रही है क्योंकि ऐसे में ऐसे आक्षेपों का दौर कभी थमने वाला नहीं है और विपक्षियों के पास भी बहुत से ऐसे मामले हैं जिन्हें लेकर वे बबाल मचा सकते हैं भले ही सबूतों और हिम्मत के नाम पर वे बिल्कुल खाली हाथ हो .
और दूसरे राशिद अल्वी जी का मोदी जी को ''यमराज''कहा जाना यमराज जी को भी सर पीटने को विवश करता है क्योंकि यमराज जी मृत्यु के देवता हैं और गलतियाँ उन जैसे देवता के खाते में नहीं होती हाँ उनके कुछ दूत ज़रूर गलतियाँ करते हैं और किसी की जगह किसी और को अर्थात जिसकी मृत्यु है उसकी जगह किसी और को ले जाने की गलतियाँ उनके दूत कर सकते हैं वे नहीं. और यह श्रेणी यहाँ किसी भी नेता को नहीं मिल सकती क्योंकि इन्सान तो गलतियों व् अपराधों का पुलिंदा होता है और उनके खाते में गलती का कोई स्थान नहीं होता और वे यहाँ किसी विशेष प्राणी जो बहुत ऊँचा दर्ज रखता है उसकी मृत्यु के लिए ही आते हैं जब उसका समय पूरा हो जाता है .
Cong ridicules Modi, says he is Yamraj on Buffalo
New Delhi: "If Rahul was hinting at Modi (during
interaction with industry leaders), it would not be a horse but a bull,"
Congress spokesperson Rashid Alvi told reporters while comparing Modi
to Yamraj (the harbinger of death in Hindu mythology who ...
अब इस तरह की टिपण्णी कर तो वे स्वयं ही अपनी सरकार का अंत स्वीकार कर रहे हैं हाँ एक बात ज़रूर है कि वे स्वयं के लिए यहाँ भी विशेष दर्जा रख रहे हैं क्योंकि वे यमराज का जिक्र कर रहे हैं उनके दूत का नहीं और ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि जब मौत समक्ष दिखाई देती है तो मुहं से केवल जैसे सच ही निकलता है और मरता आदमी जैसे कभी झूठ नहीं बोलता ऐसे ही इन माननीय महोदय की ये बात और हरकतें इन्हें निराशा के भंवर में घिरा हुआ ही दिखा रही हैं और इनके यही तेवर दिखा रही हैं कि
''हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
अब इस तरह की टिपण्णी कर तो वे स्वयं ही अपनी सरकार का अंत स्वीकार कर रहे हैं हाँ एक बात ज़रूर है कि वे स्वयं के लिए यहाँ भी विशेष दर्जा रख रहे हैं क्योंकि वे यमराज का जिक्र कर रहे हैं उनके दूत का नहीं और ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि जब मौत समक्ष दिखाई देती है तो मुहं से केवल जैसे सच ही निकलता है और मरता आदमी जैसे कभी झूठ नहीं बोलता ऐसे ही इन माननीय महोदय की ये बात और हरकतें इन्हें निराशा के भंवर में घिरा हुआ ही दिखा रही हैं और इनके यही तेवर दिखा रही हैं कि
''हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के ''पहली गुज़ारिश '' : चर्चा मंच 1208 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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यहां किसी के चुप रहने से पार्टी को नुकसान हो रहा है और किसी के अधिक बोलने से..
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