बेटी को इस धरा पे ,क्यूँ जन्म है दिया ?


हे प्रभु तुमने
ये क्या किया
बेटी को इस धरा पे ,क्यूँ जन्म है दिया ?
तू कुछ नहीं कर सकती
कमज़ोर हूँ तेरे ही कारण
कोई बेटी ही
शायद
ये न सुने
अपने पिता से !
फिर जन्म दिया क्यूँ
बेटी को
हे प्रभु तुमने ?
बेटी को बना तुमने
दुःख दे दिए हज़ारों
बेटी ही है इस धरा पर
मारो कभी दुत्कारो
सामर्थ्य दिखाने की
यही राह क्यूँ चुनी
हे प्रभु तुमने ?
जब बैठे थे बनाने
हाथों से अपने बेटी
अपनों से भी लड़ने की
ताकत से मलते मिटटी
क्यूँ धैर्य ,सहनशीलता ,दुःख
ही भरे थे उसमें
हे प्रभु तुमने ?
.......................
शालिनी कौशिक
    [कौशल ]

टिप्पणियाँ

Anita ने कहा…
परमात्मा ने तो शक्ति स्वरूपा ही बनाया था पर..
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-08-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1698 में दिया गया है
आभार
स्वाति ने कहा…
सिर्फ एक आह और कुछ नहीं। ।सुन्दर
Pratibha Verma ने कहा…
बहुत बार यह सवाल दिमाग में आया..
Pratibha Verma ने कहा…
बहुत बार यह सवाल दिमाग में आया..
Jyoti Dehliwal ने कहा…
बेटी का वास्तविक चित्रण...बधाई.

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