कंछल नहीं कानून का वस्त्रहरण किया वकीलों ने .
''लखनऊ में व्यापारी नेता कंछल को वकीलों ने पीटा ,उनके कपडे फाडे और उन्हें मुर्गा बनाया ''आज के समाचार पत्रों में यह समाचार प्रमुखता से छाया रहा .सीधे तौर पर यह मामला कानून के साथ खिलवाड़ है और यह खिलवाड़ कानून के रखवालों द्वारा ही की गयी है इसलिए यह और भी ज्यादा निंदा का विषय है और देखा जाये तो यह एक ऐसा कार्य है जिसके लिए आज वकीलों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि एक तबका हमारे देश में ऐसा भी है जो इस व्यवसाय से मात्र जुड़ ही इसलिए रहा है कि इससे व्यक्ति को '' ऑथोरिटी ''मिलती है और जो ऑथोरिटी वे इससे चाहते हैं वह साफ़ तौर पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर वे दिखा ही देते हैं .अगर वकीलों द्वारा इसी तरह से कानून को अपने हाथ में लेकर आपराधिक कार्यवाहियों को अंजाम दिया जाता रहा तो कानून को इस सम्बन्ध में कठोर रवैया अख्तियार करते हुए वकीलों के समूह में जुड़ने से पहले ही बहुत सारी बाध्यताएं भी जोड़नी होंगी ताकि बाद में इनकी डिग्री या पंजीकरण पर रोक तक की स्थिति आने ही न पाये और अपने को कानून का बहुत बड़ा अधिकारी मानने वाले ये अपने कार्यों को करने के लिए कानून का ही सहारा लें न कि अपने बाहुबल का क्योंकि कानून की नज़रों में सभी बराबर हैं वकील हों या मुवक्किल और यदि वकील अपने हाथ में कानून लेकर उससे खिलवाड़ कर रहा है तो वह ज्यादा बड़ा दोषी है क्योंकि वह कानून के रक्षक का स्थान रखता है न कि भक्षक का और इसीलिए यहाँ जो भी वकील इस तरह के कुत्सित कार्य में संलग्न रहे हैं उन सभी के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ताकि आगे से अन्य वकील इस तरह की घटना से सबक लें और यदि ऐसा कुछ करने को आगे बढ़ने की सोच भी रहे हैं तो अपने कदम न चाहते हुए भी पीछे खींच लें .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
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सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'