..औरत ........,.... लांछित........ हैं
व्यथित सही ,पीड़ित सही ,पर तुझको लगे ही रहना है ,
जब तक सांसें ये बची रहें ,हर पल मरते ही रहना है .
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पिटना पतिदेव के हाथों से ,तेरी किस्मत का लेखा है ,
इस दुनिया की ये बातें ,माथे धरकर ही रहना है .
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औरत की चाहत का जग में ,कोई मोल नहीं है कभी नहीं ,
तू सुन ले कान खोल अपने ,तुझे नौकर बन ही रहना है .
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जो औरत बढे जरा आगे ,ये लांछित उसको करते हैं ,
तुझको इनकी आज्ञाओं का ,पालन करते ही रहना है .
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पल-पल की सच्चाई कहती ,'शालिनी' खुलकर के दिल से ,
नारी को जीवन जीने को ,बस दब-दबकर ही रहना है .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
बात तो सही है,शालीनी जी ।
परन्तु समय में परीवर्तन आ रही है ।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनायें।