होली की हार्दिक शुभकामनायें
- आज जब मैं बाज़ार से घर लौट रही थी तो देखा कि स्कूलों से बच्चे रंगे हुए लौट रहे हैं और वे खुश भी थे जबकि मैं उनकी यूनीफ़ॉर्म के रंग जाने के कारण ये सोच रही थी कि जब ये घर पहुंचेंगे तो इनकी मम्मी ज़रूर इन पर गुस्सा होंगी .बड़े होने पर हमारे मन में ऐसे ही भाव आ जाते हैं जबकि किसी भी त्यौहार का पूरा आनंद बच्चे ही लेते हैं क्योंकि वे बिलकुल निश्छल भाव से भरे होते हैं और हमारे मन चिंताओं से ग्रसित हो जाते हैं किन्तु ये बड़ों का ही काम है कि वे बच्चों में ऐसी भावनाएं भरें जिससे बच्चे अच्छे ढंग से होली मनाएं.हमें चाहिए कि हम उनसे कहें कि होली आत्मीयता का त्यौहार है इसमें हम सभी को मिलजुल कर आपस में ही त्यौहार मानना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए की हमारे काम से किसी के दिल को चोट न पहुंचे.ये कह कर कि "बुरा न मानो होली है "कहने से गलत काम को सही नहीं किया जा सकता इसलिए कोशिश करो कि हम सबको ख़ुशी पहुंचाएं .किसी उदास चेहरे पर मुस्कुराहट लाना हमारा त्यौहार मनाने का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए.फिर इस त्यौहार पर हम आज कुछ गलत वस्तुओं का प्रयोग कर दूसरों को परेशान करने की कोशिश करते हैं यह भी एक गलत बात है त्यौहार पर हमें केवल प्राकृतिक रंगों से खेलना चाहिए.हम निम्न प्रकार रंग तैयार भी कर सकते हैं-
- पिसे हुए लाल चन्दन के पाउडर को लाल रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
- हल्दी को पीले रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
- मेहँदी पाउडर को हरे रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
- गुडहल के फूलों को धूप में सुखाकर लाल रंग तैयार कर सकते हैं.
साथ ही रंग छुड़ाने के लिए भी आप इन तरकीबों का इस्तेमाल कर सकते हैं-
- जहाँ रंग लगा हो उस स्थान पर खीरे की फांक रगड़ कर रंग छुड़ा सकते हैं.
- नीम्बूँ के रस में चीनी मिलकर व् कच्चे पपीते के गूदे को रगड़ कर भी रंग छुड़ाया जा सकता है.
आज आवश्यकता इसी बात की है की हम इस त्यौहार के मानाने के कारण पर ध्यान दें न की इसके ढंग पर .और आपस में भाईचारे को बढ़ाने का काम करें न की नई दुश्मनिया बढ़ने का.जो ढंग इस वक़्त इस त्यौहार को मनाने का चल रहा है वह सही नहीं है.हम देखते हैं कि लगने के बाद सभी एक जैसे हो जाते हैं कोई बड़ा छोटा नहीं रह जाता .कोई अमीर गरीब नहीं रह जाता तो हमारी भी कोशिश सभ्यता के दायरे में रहते हुए आपसी प्रेम को बढाने की होनी चाहिए.मैं सोचती हूँ कि मेरा यह लेख इस दिशा में आपको ज़रूर प्रेरित करेगा.मैं आपको अंत में साधक गुरुशरण के शब्दों में होली मनाने के उत्तम ढंग बताते हुए होली की शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ.
"आओ खेलें ज्ञान की होली,
राग द्वेष भुलाएँ,
समता स्नेह बढ़ा के दिल में
प्रेम का रंग लगायें."
शालिनी कौशिक
(कौशल)
टिप्पणियाँ
"मचा है चारों ओर धमाल" (चर्चा अंक-2605)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'