तकलीफ ज़िन्दगी है आराम मौत है..




Standing Skeleton warrior Stock Photo


दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है ,
आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .
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बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी ,
मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है .
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बेवफा है जिंदगी न करना मौहब्बत ,
रफ्ता-रफ्ता ज़हर का अंजाम मौत है .
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महबूबा बावफ़ा है दिल के सदा करीब ,
बढ़कर गले लगाती मुमताज़ मौत है .
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महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के ,
मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है .
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करती नहीं है मसखरी न करती तअस्सुब,
मनमौजी जिंदगी का तकब्बुर मौत है .
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ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से ,
तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है .
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तक़रीर नहीं सुनती न करती तकाजा ,
न पड़ती तकल्लुफ में तकदीर मौत है .
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तजुर्बे ''शालिनी''के करें उससे तज़किरा ,
तख्फीफ गम में लाने की तजवीज़ मौत है .
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शालिनी कौशिक
[कौशल]


शब्दार्थ-तकमील-पूर्णता ,मुक़र्रर-निश्चित ,बावफ़ा-वफादार , तअस्सुब-पक्षपात, तज़किरा-चर्चा ,तक़रीर-भाषण ,तकब्बुर-अभिमान ,तकाजा-मांगना ,मुमताज़-विशिष्ट ,मजरूह-घायल

टिप्पणियाँ

HARSHVARDHAN ने कहा…
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 122वीं जयंती - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
Kailash Sharma ने कहा…
महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के ,
मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है .
...वाह... बहुत ख़ूबसूरत अशआर...
Anita ने कहा…
बेहतरीन

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