हिन्दी को मान दिलवाने में सक्षम - हिंदी ब्लॉगिंग
हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं मातृभाषा भी है और दिल की गहराइयों से जो अभिव्यक्ति हमारी ही कही जा सकती है वह हिंदी में ही हो सकती है क्योंकि अंग्रेजी बोलते लिखते वक़्त हम अपने देश से ,समाज से ,अपने परिवार से ,अपने अपनों से वह अपनत्व महसूस नहीं कर सकते जो हिंदी बोलते वक़्त करते हैं .
हिंदी जहाँ अपनों को कभी आप ,कभी तुम व् कभी तू से स्नेह में बांधती है अपनेपन का एहसास कराती है वहीँ अंग्रेजी इस सबको ''यू ''पर टिका देती है और दूर बिठाकर रख देती है ..
आज हिंदी ब्लॉग्गिंग के जरिये दूर-दराज बैठे ,बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर औपचारिकता की टोपी पहनने वाले व्यक्तित्व साहित्यकार व् रचनाकार में परिवर्तित हो रहे हैं और इसी क्षेत्र में जुड़े अंजान ब्लोगर से जुड़ रहे हैं .अपनी अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया की इच्छा रख रहे हैं और अन्यों की अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और ये सब सुखद है इसलिए क्योंकि इससे अपने विचारों का दूसरों पर प्रभाव भी देखने में आसानी होती है और साथ ही यह भी पता चलता है कि आज भी लोगों के मन में हिंदी को लेकर मान है ,सम्मान है और हिंदी को उसका सही स्थान दिलाये जाने की महत्वाकांक्षा भी .
आज हिंदी ब्लॉगिंग के जरिये दूर-दराज बैठे ,बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर औपचारिकता की टोपी पहनने वाले व्यक्तित्व साहित्यकार व् रचनाकार में परिवर्तित हो रहे हैं और इसी क्षेत्र में जुड़े अंजान ब्लोगर से जुड़ रहे हैं .अपनी अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया की इच्छा रख रहे हैं और अन्यों की अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और ये सब सुखद है इसलिए क्योंकि इससे अपने विचारों का दूसरों पर प्रभाव भी देखने में आसानी होती है और साथ ही यह भी पता चलता है कि आज भी लोगों के मन में हिंदी को लेकर मान है ,सम्मान है और हिंदी को उसका सही स्थान दिलाये जाने की महत्वाकांक्षा भी . आज हिंदी ब्लॉगिंग का बढ़ता प्रभाव ही समाचारपत्रों में ब्लॉग के लिए स्थान बना रहा है .पत्रकारों का एक बड़ा समूह हिंदी ब्लॉग्गिंग से जुड़ा है और समाचार पत्रों में संपादक के पृष्ठ पर ब्लॉग जगत को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है .पाठकों की जिन प्रतिक्रियाओं को समाचार पत्र कूड़े के डिब्बे के हवाले कर देते थे आज उनके ब्लॉग से अनुमति ले छाप रहे हैं क्योंकि जनमत के बहुमत को लोकतंत्र में वरीयता देना सभी के लिए चाहे वह हमारे लोकतंत्र का कोई सा भी स्तम्भ हो अनिवार्य है और इसी के जरिये मीडिया आज विभिन्न मुद्दों पर जनमत जुटा रहा है और यही हिंदी ब्लॉगिंग आज हिंदी भाषियों को तो जोड़ ही रही है विश्व में अहिन्दी भाषियों को भी इसे अपनाने को प्रेरित कर रही है .यही कारण है कि आज बड़े बड़े राजनेता भी जनता से जुड़ने के लिए ब्लॉगिंग से जुड़ रहे हैं .आज वे हिंदी की जगह अपने ब्लॉग पर अंग्रेजी में लिख रहे हैं किन्तु वह दिन भी दूर नहीं जब वे जनता को अपने करीबी दिखने के लिए हिंदी के करीब आयेंगे क्योंकि जनता इससे जुडी है और जनता से जुड़ना उनकी आवश्यकता भी है और मजबूरी भी . इसलिए ये निश्चित है कि जिस तरह से हिंदी ब्लॉगिंग विश्व में अपना डंका बजा रही है वह इन राजनेताओं को भी अपना बनावटी लबादा उतरने को विवश करेगी और अपनी ताकत से परिचित कराकर सही राह भी दिखाएगी और इस तरह जनता को अपने से जोड़ने के लिए उन्हें हिंदी का हमराही बनाएगी .वैसे भी अपनी ताकत हिंदी ब्लॉगिंग ने आजकल के विभिन्न हालातों पर हर समस्या के जिम्मेदार को कठघरे में खड़ा कर दिखा ही दी है .नित्यानंद जी के शब्द यहाँ हिंदी ब्लॉगिंग की उपयोगिता व् निर्भीकता को अभिव्यक्त करने के लिए उत्तम हैं -
''उसे जो लिखना होता है ,वही वह लिखकर रहती है ,
कलम को सरकलम होने का बिलकुल डर नहीं होता .''
शालिनी कौशिक
(एडवोकेट)
टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 16 सितंबर 2022 को 'आप को फ़ुरसत कहाँ' (चर्चा अंक 4553) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
आपने बहुत सुंदर लेख प्रस्तुत किया है। हिन्दी या कोईभाषा भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बनी है। इतना सुधार कर लीजिए।
सादर,
अयंगर
laxmirangam.blogspot.com
शालिनी जी बेहतरीन