मेरी माँ - मेरा सर्वस्व
वो चेहरा जो शक्ति था मेरी , वो आवाज़ जो थी भरती ऊर्जा मुझमें , वो ऊँगली जो बढ़ी थी थाम आगे मैं , वो कदम जो साथ रहते थे हरदम, वो आँखें जो दिखाती रोशनी मुझको , वो चेहरा ख़ुशी में मेरी हँसता था , वो चेहरा दुखों में मेरे रोता था , वो आवाज़ सही बातें ही बतलाती , वो आवाज़ गलत करने पर धमकाती , वो ऊँगली बढाती कर्तव्य-पथ पर , वो ऊँगली भटकने से थी बचाती , वो कदम निष्कंटक राह बनाते , वो कदम साथ मेरे बढ़ते जाते , वो आँखें सदा थी नेह बरसाती , वो आँखें सदा हित ही मेरा चाहती , मेरे जीवन के हर पहलू संवारें जिसने बढ़ चढ़कर , चुनौती झेलने का गुर सिखाया उससे खुद लड़कर , संभलना जीवन में हरदम उन्होंने मुझको सिखलाया , सभी के काम तुम आना मदद कर खुद था दिखलाया , वो मेरे सुख थ...
टिप्पणियाँ
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (10-11-2013) को सत्यमेव जयते’" (चर्चामंच : चर्चा अंक : 1425) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कितनी भी माँ कोशिश करले उसे दबा लेगी
बहुत सुन्दर |
नई पोस्ट काम अधुरा है
परिस्थितियां बदल रहीं हैं.
परिस्थितियां बदल रहीं हैं.