मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक......

"I am not here to make you emotional, but to wipe your tears," said BJP PM candidate Narendra Modi at a rally in Jhansi on Oct 25. That was directly aimed at Congress AICC vice-president Rahul Gandhi, who recently made an emotional speech saying, "

सुषमा स्वराज कहती हैं -''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .''

और आश्चर्य है कि ऐसी सही सोच रखने वाली सुषमा जी जिस पार्टी से सम्बध्द हैं उसी पार्टी ने जिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है उन्ही ने मर्यादित भाषा की सारी सीमायें लाँघ दी हैं.व्यक्तिगत आक्षेप की जिस राजनीती पर मोदी उतर आये हैं वह राजनीति का स्तर निरंतर नीचे ही गिरा रहा है .सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर वे यह समझ रहे हैं कि अपने लिए प्रधानमन्त्री की सीट सुरक्षित कर लेंगे जबकि उनसे पहले ये प्रयास भाजपा के ही प्रमोद महाजन ने भी किया था उन्होंने शिष्ट भाषण की सारी सीमायें ही लाँघ दी थी किन्तु तब खैर ये थी कि वे भाजपा के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नहीं थे .
अटल बिहारी वाजपेयी जी जैसे सुलझे हुए नेतृत्व में रह चुकी यह पार्टी जानती होगी कि कैसे संसदीय व् मर्यादित भाषा के इस्तेमाल के द्वारा अपने विरोधियों को भी अपना प्रशंसक बनाया जाता है .सत्ता की होड़ में लगे सभी दलों का अपना अपना स्थान बनाने की अपनी अपनी शैली होती है और सभी विरोधी दलों को उनके सिद्धांतों ,नीतियों की खुली आलोचना कर उसे जनता के समक्ष बेनकाब करते हैं किन्तु भाजपा के ये नए उम्मीदवार इस कसौटी पर कहीं भी खरे नहीं उतरते और न ही स्वयं भाजपा क्योंकि इस पार्टी में एक प्रदेश से आये व्यक्ति को बरसों बरस से दल की सेवा कर रहे अनुभवी ,योग्य ,कर्मठ नेताओं के ऊपर बिठा दिया जाता है और वह केवल इस दम पर कि वे चारों तरफ से अपना पलड़ा मजबूत कर आगे बढ़ रहे हैं बिलकुल वैसे ही जैसे पुराने राजा -महाराजाओं में कोई भी अपनी ताकत के बलपर राजा को जेल में डाल देता था और स्वयं राजा बन जाता था ठीक वैसे ही भाजपा की ओर से कब से प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले बैठे आडवाणी जी ,भाजपा के अत्यंत योग्य सुषमा स्वराज जी ,अरुण जेटली जी एक ओर बिठा दिए जाते हैं और मोदी जैसे तलवार के दम पर आगे बढ़ जाते हैं .
आज भाजपाई भारत रत्न के विवाद के बढ़ने पर कॉंग्रेस को चित करने के लिए अटल जी के लिए भारत रत्न की बात करते हैं अरे पहले अपने दल में तो उन्हें रत्न का दर्जा दीजिये ,इस तरह उन्हें नकारकर तो ये दल स्वयं को और उन्हें हंसी का पात्र ही बना रहा है स्वयं अपने घर में जिसकी कद्र न हो उसे बाहर का कुछ नहीं भाता और अटल जी के साथ ये पार्टी वही व्यवहार कर रही है जो आज इस दल की मुख्य पंक्ति करती है .भारतीय जनता में आज बुजुर्गों के साथ इसी तरह का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार का प्रयोग में लाया जाता है और सभी देख रहे हैं कि कैसे आज भाजपा ने अटल जी को एक तरफ फैंक दिया है ये तो मात्र कॉंग्रेस के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति है जो वे याद किये जा रहे हैं

आडवाणी जी ये समझ रहे हैं और इसलिए अपने को ऐसे हाल से बचाने के लिए विरोध के बावजूद ऊपर से भले ही ''नमो -नमो ''का उच्चारण कर रहे हैं किन्तु अंदर से जाप मरो-मरो का ही कर रहे हैं और यही कारण है कि मोदी की तुलना ओबामा से करते हैं खुद से क्यूँ नहीं करते ?जानते हैं कि मोदी ''देशी भेष में अमरीकन दिल ''लिए फिरते हैं और जैसे कि सभी जानते हैं कि
''इश्क़ व् मुश्क़ छिपाये नहीं छिपते ''
वैसे ही मोदी का अमरीका प्रेम भी कहाँ छिपने वाला है जब तब वहाँ के वीज़ा मिलने की ख़बरें आज की पेड़ न्यूज़ द्वारा निकलवाते रहते हैं इसलिए आडवाणी जी ओबामा से ही मोदी की तुलना में भलाई समझते हैं और इस तरह अपने दोनों हाथ तेल में और सिर कढ़ाई में रखते हैं कि अगर मोदी बाईचांस प्रधानमंत्री बन गए तो ओबामा से तुलना का श्रेय और नहीं बने तो मैंने तो पहले ही विरोध किया था और फिर आज प्रचार की जिस बुलंदी पर अन्य भाजपाइयों के मुकाबले मोदी हैं कोई भी अन्य भाजपाई ''आ बैल मुझे मार ''कह मोदी से क्यूँ भिड़ेगा ?
स्थानीय क्षेत्रों में भी वह व्यक्ति जो पुलिस वालों से बदतमीजी से ,असभ्यता से बातचीत कर लेता है वह बहुत बड़ा नेता माना जाता है क्योंकि आमतौर पर लोग पुलिस वालों के साथ चापलूसी ,खुशामदी रवैया अपनाते हैं किन्तु उनकी बहादुरी वहाँ नज़र आती है जब पुलिस वाले उनसे अपना काम निकालने के लिए उन्हें अपनी व् कानून की ताकत दिखाते हैं और तब वे बड़े बड़े बोल बोलने वाले पुलिस वालों के जूते साफ करते नज़र आते हैं ,वही स्थिति यहाँ नज़र आ रही है .यहाँ स्थानीय नेता की भूमिका में नरेंद्र मोदी हैं और पुलिस की भूमिका में राहुल व् सोनिया गांधी ,जनता पर अपना प्रभाव दिखाने को ,देश की किसी भी समस्या के बारे में जानकारी न रखने वाले ,किसी भी स्थिति का सही सामान्य ज्ञान न रखने वाले मोदी मात्र राहुल सोनिया के विरोध के दम पर ही अपने झंडे गाड़ने की कोशिश में भाजपा की कथित सभ्य ,देश की संस्कृति का सम्मान करने की छवि का रोज अपमान करते जा रहे हैं और अपमान कर रहे हैं भारतीय संविधान का जिसने १९५० में ही देश को गणतंत्र घोषित किया और सम्राट परम्परा का अंत किया .
समझ नहीं आता कि ऐसे में भाजपा को नेताओं की ऐसे क्या कमी पड़ गयी है जो मोदी जी जैसे अशिष्ट ,असभ्य और अल्पज्ञ व्यक्ति को अपना २०१४ के नेतृत्व सौंप दिया जबकि उनके जैसे नेता तो भारत की हर गली में खाक छानते फिरते हैं .

शालिनी कौशिक
[ कौशल ]

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार को (21-11-2013) चर्चा-1436 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
kb rastogi ने कहा…
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
kb rastogi ने कहा…
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
virendra sharma ने कहा…
सुन्दर। बहुत सुन्दर !अतिसुन्दर एकालाप।

एक तरफा प्रलाप है साऱी पोस्ट। कहाँ माँ -बेटा पार्टी /बकरी -मेमना पार्टी कहाँ भाजपा। एक "मोदी" कांग्रेस भी पैदा करके दिखाए आज मोदी से भाजपा है हिंदुस्तान की शिनाख्त है। मर्सिया पढ़ने वाली कांग्रेस से नहीं। जहां मेमना चुनाव सभाओं में बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। कांग्रेस का वंशवादी शिष्टाचार सारी दुनिया जानती है . नेहरू कहते थे मैं शिक्षा से ईसाई संस्कार से मुसलमान और इत्तेफाक से हिन्दू हूँ। उन्हें आलमी होने का बड़ा शौक था। मोदी ने सब कुछ अर्जित किया है। किसी कुनबे का पोस्टर बॉय नहीं हैं मोदी। चाय बेचने वाला छोटू आज आलमी हीरो हो। जलने वाले जला करें किस्मत हमारे साथ है जलने वाले जला करें। कांग्रेस क्या उसके तो समर्थक भी आज मोदी फोबिया की चपेट में हैं।
virendra sharma ने कहा…
दिलबाग भाई सुन्दर सुघड़ सेतु सजाये आप हमें भी बिठाये !शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया। शास्त्री जी का मयंक कौना सलामत रहे।

सुन्दर। बहुत सुन्दर !अतिसुन्दर एकालाप।

एक तरफा प्रलाप है साऱी पोस्ट। कहाँ माँ -बेटा पार्टी /बकरी -मेमना पार्टी कहाँ भाजपा। एक "मोदी" कांग्रेस भी पैदा करके दिखाए आज मोदी से भाजपा है हिंदुस्तान की शिनाख्त है। मर्सिया पढ़ने वाली कांग्रेस से नहीं। जहां मेमना चुनाव सभाओं में बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। कांग्रेस का वंशवादी शिष्टाचार सारी दुनिया जानती है . नेहरू कहते थे मैं शिक्षा से ईसाई संस्कार से मुसलमान और इत्तेफाक से हिन्दू हूँ। उन्हें आलमी होने का बड़ा शौक था। मोदी ने सब कुछ अर्जित किया है। किसी कुनबे का पोस्टर बॉय नहीं हैं मोदी। चाय बेचने वाला छोटू आज आलमी हीरो हो। जलने वाले जला करें किस्मत हमारे साथ है जलने वाले जला करें। कांग्रेस क्या उसके तो समर्थक भी आज मोदी फोबिया की चपेट में हैं।

एक प्रतिक्रिया ब्लागपोस्ट :

http://shalinikaushik2.blogspot.in/
virendra sharma ने कहा…
अजीब बात है शालिनी जी मोदी की पार्टी के लोगों की तो प्रशंसा कर रहीं हैं ,मोदी को लांछित कर रहीं हैं। साफ़ क्यों नहीं कहतीं क्या कहना चाहतीं हैं मोदी के बारे में। बात ऐसे कर रहीं हैं जैसे भाजपा के साथ इनका अंतरंग उठना बैठना हो ,अंदर की सब बातें यह जानतीं हों। एक कंठ से अटल जी की प्रशंसा दूसरे से उन्हें भारत रत्न दिए जाने का विरोध। मोदी के प्रति वह सिर्फ नफरत दिखा रहीं हैं। मोदी की वजह से अपने मन में कूड़ा भर रहीं हैं। बेहतर होता सोनिया जी की कोई खूबी बतलातीं अपने आराध्य राहुल बाबा की कोई खूबी बतलातीं। पता चलता आप उनके भी बारे में क्या जानतीं हैं।

फिलाल तो आपने वही किया है -

कहीं की ईंट ,कहीं का रोड़ा ,

भानुमति ने कुनबा जोड़ा।

आप एक ऐसी वकील हैं जिसके वक्तव्य से यह पता नहीं चलता आप किसके पक्ष और किसके विपक्ष में बोल रहीं हैं।एक ऐसी वकील जो अपने मवक्किल के केस को हमेशा हारती रही होगी। इसे अनर्गल प्रलाप न कहा जाए तो क्या कहा जाए। आपके बोलने का तरीका अपने मन के कूड़े को औरों पर फैंकने की कोशिश है। जितना फैंका है उतना कूड़ा अंदर और बढ़ा लिया है।

यह प्रलाप पागलपन की ओर बढ़ रहा है। जिसे पढ़कर कोई भी समझ सकता है इस शख्श को मानसिक इलाज़ की ज़रुरत है। आपने जो कुछ लिखा है अनर्गल लिखा है यह कोई राजनीतिक विश्लेषण नहीं है। जो लिखा है उसमें शालीनता भी कुछ नहीं है अपने नाम के अनुरूप कुछ तो लिख देतीं। दुर्भाग्य आपका यह है आप अपने प्रलाप का सार भी नहीं जानती।

दाल भात में मूसल चंद।

शालिनी ने मोदी को खलनायक बनाया है। लेकिन मोदी को गाली देने के लिए उन्हें दूसरों की तारीफ़ भी ढंग से करनी नहीं आई । वह जो सूर्य की ओर थूका करते हैं उनका थूक उन पर वापस आता है। सोनिया राहुल में क्या काबिलियत है आपको बताना चाहिए। मोदी की काबलियत से तो आज कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है।
Nitish Tiwary ने कहा…
किसी भी चीज़ के बारे में अपने विचार रखना सही है मगर कौन से मर्यादा की बात कर रहीं हैं आप जब पिछ्ले दस सालों में कॉंग्रेस ने सारी मर्यादा तोड़ दिया है उसका क्या .
chirag ने कहा…
I am not in favoring of any but yes I doubt on you that you speak from congress site, you understand language of Modi but your eyes close for congress loot India in last 65 years. If this kind of perception of selfishness then God will save India
virendra sharma ने कहा…


अजीब बात है शालिनी जी मोदी की पार्टी के लोगों की तो प्रशंसा कर रहीं हैं ,मोदी को लांछित कर रहीं हैं। साफ़ क्यों नहीं कहतीं क्या कहना चाहतीं हैं मोदी के बारे में। बात ऐसे कर रहीं हैं जैसे भाजपा के साथ इनका अंतरंग उठना बैठना हो ,अंदर की सब बातें यह जानतीं हों। एक कंठ से अटल जी की प्रशंसा दूसरे से उन्हें भारत रत्न दिए जाने का विरोध। मोदी के प्रति वह सिर्फ नफरत दिखा रहीं हैं। मोदी की वजह से अपने मन में कूड़ा भर रहीं हैं। बेहतर होता सोनिया जी की कोई खूबी बतलातीं अपने आराध्य राहुल बाबा की कोई खूबी बतलातीं। पता चलता आप उनके भी बारे में क्या जानतीं हैं।

फिलाल तो आपने वही किया है -

कहीं की ईंट ,कहीं का रोड़ा ,

भानुमति ने कुनबा जोड़ा।

आप एक ऐसी वकील हैं जिसके वक्तव्य से यह पता नहीं चलता आप किसके पक्ष और किसके विपक्ष में बोल रहीं हैं।एक ऐसी वकील जो अपने मवक्किल के केस को हमेशा हारती रही होगी। इसे अनर्गल प्रलाप न कहा जाए तो क्या कहा जाए। आपके बोलने का तरीका अपने मन के कूड़े को औरों पर फैंकने की कोशिश है। जितना फैंका है उतना कूड़ा अंदर और बढ़ा लिया है।

यह प्रलाप पागलपन की ओर बढ़ रहा है। जिसे पढ़कर कोई भी समझ सकता है इस शख्श को मानसिक इलाज़ की ज़रुरत है। आपने जो कुछ लिखा है अनर्गल लिखा है यह कोई राजनीतिक विश्लेषण नहीं है। जो लिखा है उसमें शालीनता भी कुछ नहीं है अपने नाम के अनुरूप कुछ तो लिख देतीं। दुर्भाग्य आपका यह है आप अपने प्रलाप का सार भी नहीं जानती।

दाल भात में मूसल चंद।

शालिनी ने मोदी को खलनायक बनाया है। लेकिन मोदी को गाली देने के लिए उन्हें दूसरों की तारीफ़ भी ढंग से करनी नहीं आई । वह जो सूर्य की ओर थूका करते हैं उनका थूक उन पर वापस आता है। सोनिया राहुल में क्या काबिलियत है आपको बताना चाहिए। मोदी की काबलियत से तो आज कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है।

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