भाजपा ही क्या अलग है कॉंग्रेस से
''वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती ,
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम .''
३ अप्रैल २०१४ सोनिया गांधी जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी से मिली जैसे एक आग सी लग गयी भाजपा के खेमे में ,शुरू हो गया अनर्गल प्रलाप और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री मोदी में ये क्षुब्धता कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रही थी .वे अपने पूर्व के ही आचरण का अनुसरण कर रहे थे काबू खो रहे थे खुद पर से और ये स्वाभाविक भी है क्योंकि मीडिया ने उन्हें उनके एक ऐसे सपने के बहुत करीब पहुंचा दिया है जिसके लालच में उन्होंने अपने घर परिवार शादी पत्नी सभी को दांव पर लगा दिया और ऐसे में कोई भी ऐसी बात जो उनके सपने को चकनाचूर कर सकती हो उन्हें क्षुब्ध कर देती है क्योंकि उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए बिलकुल उसी माँ के समान बहुत अपने बच्चे बनाने में बहुत मेहनत की है जो अपने बच्चों को रोटी के समय मेगी खिलाती है और दिनभर लेडिस क्लब में बिताती है और ये मेहनत कभी गोधरा दंगों के रूप में और कभी अमेरिका के वीज़ा की चाहत में अमेरिकी अधिकारियों के स्वागत में पालक पांवड़े बिछाए रहने में दिखाई देती है .ऐसे में इतनी मेहनत पर जब जरा सी चोट देखी तो अपनी अकुशल भाषण शैली में [अकुशल इसलिए क्योंकि इन्हीं की पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती कहती हैं कि मोदी कुशल वक्ता नहीं हैं ] बोले कि हताश कांग्रेस अब सम्प्रदाय के नाम पर वोट मांग रही है ,साथ ही शाही इमाम के बयान को लेकर कांग्रेस व् सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए उन पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया और चुनाव आयोग से शिकायत की बात की .
और १५ अप्रैल २०१४ भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद से मिलने गए ,तब मोदी बोले ,नहीं बोले ,क्यूँ बोलें वे यह कोई साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण थोड़े ही है ?ये कोई हताशा थोड़े ही है ?ये मोदी पर से राजनाथ का भरोसा उठना थोड़े ही है ?मौलाना कल्बे जव्वाद की टिप्पणी ''मोदी से मुसलमान डरता है ''चुनाव आयोग से शिकायत का विषय थोड़े ही है जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी से सोनिया गांधी की मुलाकात पर भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जनता कॉंग्रेस की इस मंशा को समझती है और चुनाव में वह उसे करारा जवाब देगी ,उन्होंने कहा कि सोनिया की यह अपील मुस्लिम समुदाय का भी अपमान है फिर अपने अध्यक्ष राजनाथ सिंह जी का कल्बे जव्वाद से मिलने जाना कौनसी मंशा का परिचायक है जो जनता इसका करारा जवाब न दे ? राम मंदिर के लिए
''पापियों के नाश को ,धर्म के प्रकाश को ,राम जी की सेना चली ''
गा-गाकर हिन्दू जनता की धार्मिक भावना को इतना उकसा देना कि वह बाबरी मस्जिद का ही विध्वंस कर दे और इन्हें सत्ता में बैठा दे ऐसी भावना मन में रखने वाले पार्टी के अध्यक्ष का इस समुदाय से चुनाव की घडी में मिलना क्या इस समुदाय के सम्मान के लिए है ?
''विकास के साथ राम की आस''संजोने वाले घोषणापत्र में उर्दू को बढ़ावा और मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा की बात कही जाती है क्या यह वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है ? क्यूँ केवल उर्दू को बढ़ावा देने की बात की जाती है जबकि हमारे लगभग सभी धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत में हैं और संस्कृत इस वक़्त प्राचीन सशक्त अवस्था में नहीं है क्यूँ संस्कृत को बढ़ावा देने की बात नहीं की जाती इसलिए तो क्योंकि जानते हैं कि संस्कृत के अनुयायी पहले से ही हमारे साथ हैं जोड़ना तो उर्दू के अनुयायियों को है .न केवल मुस्लिम बच्चियां बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही बहुत से समुदायों की बच्चियां भी शिक्षा से दूर हैं क्यूँ सभी बच्चियों की शिक्षा की बात नहीं की गयी इसलिए तो कि वे तो कहीं नहीं जा रहे ,पहले मुस्लिम को इस नाम पर जोड़ तो लें ,क्या ये ध्रुवीकरण नहीं है ? क्या वही ध्रुवीकरण होता है जो भाजपा परिभाषित करे ?क्या इसकी परिभाषा केवल भाजपा ही कर सकती है ?
''विकास के साथ राम की आस''संजोने वाले घोषणापत्र में उर्दू को बढ़ावा और मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा की बात कही जाती है क्या यह वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है ? क्यूँ केवल उर्दू को बढ़ावा देने की बात की जाती है जबकि हमारे लगभग सभी धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत में हैं और संस्कृत इस वक़्त प्राचीन सशक्त अवस्था में नहीं है क्यूँ संस्कृत को बढ़ावा देने की बात नहीं की जाती इसलिए तो क्योंकि जानते हैं कि संस्कृत के अनुयायी पहले से ही हमारे साथ हैं जोड़ना तो उर्दू के अनुयायियों को है .न केवल मुस्लिम बच्चियां बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही बहुत से समुदायों की बच्चियां भी शिक्षा से दूर हैं क्यूँ सभी बच्चियों की शिक्षा की बात नहीं की गयी इसलिए तो कि वे तो कहीं नहीं जा रहे ,पहले मुस्लिम को इस नाम पर जोड़ तो लें ,क्या ये ध्रुवीकरण नहीं है ? क्या वही ध्रुवीकरण होता है जो भाजपा परिभाषित करे ?क्या इसकी परिभाषा केवल भाजपा ही कर सकती है ?
क्यूँ भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार वोटों की सियासत के लिए कॉंग्रेस को कोसते है जबकि खुद भी इसी राह पर चलते हुए
''हिन्दू को राम राम ,मुस्लिम को सलाम
मेरा यह पैगाम पूरे देश में पहुंचाइये ,
आपके ही क्षेत्र से चुनाव में खड़ा हुआ हूँ
धक्के मार मार कर एक बार तो जिताइए .''
वोट बटोरने को आगे बढे जा रहे हैं .वोटों के लिए ही रोज ,इतने हिन्दुओं के गले मिले न मिले क्योंकि उनसे गले मिलने की ज़रुरत नहीं वे तो अपने ही पक्ष में हैं ,मुसलमान गले लगाये जा रहे हैं ,नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट का के उर्दू संस्करण का उद्घाटन होता है और वह करते हैं प्रख्यात अभिनेता सलमान खान के सलीम खान केवल इसलिए कि वे एक मुसलमान हैं नहीं तो और क्या विशेष बात है इनकी और कांग्रेस की नीतियों में जो अलग किया जा सके वोटों के ध्रुवीकरण के मामले में. इसके बारे में तो बस यही कहा जा सकता है -
''हिन्दू को राम राम ,मुस्लिम को सलाम
मेरा यह पैगाम पूरे देश में पहुंचाइये ,
आपके ही क्षेत्र से चुनाव में खड़ा हुआ हूँ
धक्के मार मार कर एक बार तो जिताइए .''
वोट बटोरने को आगे बढे जा रहे हैं .वोटों के लिए ही रोज ,इतने हिन्दुओं के गले मिले न मिले क्योंकि उनसे गले मिलने की ज़रुरत नहीं वे तो अपने ही पक्ष में हैं ,मुसलमान गले लगाये जा रहे हैं ,नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट का के उर्दू संस्करण का उद्घाटन होता है और वह करते हैं प्रख्यात अभिनेता सलमान खान के सलीम खान केवल इसलिए कि वे एक मुसलमान हैं नहीं तो और क्या विशेष बात है इनकी और कांग्रेस की नीतियों में जो अलग किया जा सके वोटों के ध्रुवीकरण के मामले में. इसके बारे में तो बस यही कहा जा सकता है -
''शमा कहती है ग़ालिब ने बनाया मुझको ,
जिसके भी हाथ लगे उसने ही जलाया मुझको .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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