रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
तानेज़नी पुरजोर है सियासत की गलियों में यहाँ ,
ताना -रीरी कर रहे हैं सियासतदां बैठे यहाँ .
इख़्तियार मिला इन्हें राज़ करें मुल्क पर ,
ये सदन में बैठकर कर रहे सियाहत ही यहाँ .
तल्खियाँ इनके दिलों की तलफ्फुज में शामिल हो रही ,
तायफा बन गयी है देखो नेतागर्दी अब यहाँ .
बना रसूम ये शबाहत रब की करने चल दिए ,
इज़्तिराब फैला रहे ये बदजुबानी से यहाँ .
शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ,
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
जिम्मेवारी ताक पर रख फिरकेबंदी में खेलते ,
इनकी फितरती ख़लिश से ज़ाया फ़राखी यहाँ .
देखकर ये रहनुमाई ताज्जुब करे ''शालिनी''
शास्त्री-गाँधी जी जैसे नेता थे कभी यहाँ .
शब्दार्थ :-तानेजनी -व्यंग्य ,ताना रीरी -साधारण गाना ,नौसीखिए का गाना
तलफ्फुज -उच्चारण ,सियाहत -पर्यटन ,तायफा -नाचने गाने आदि का व्यवसाय करने वाले लोगों का संघटित दल ,रसूम -कानून ,शबाहत -अनुरूपता ,इज़्तिराब-बैचनी ,व्याकुलता ,शाईस्तगी-शिष्ट तथा सभ्य होना ,हशमत -गौरव ,ज़ाया -नष्ट ,फ़राखी -खुशहाली
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
--
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (14-04-2014) के "रस्में निभाने के लिए हैं" (चर्चा मंच-1582) पर भी होगी!
बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
तानेज़नी पुरजोर है सियासत की गलियों में यहाँ ,
ताना -रीरी कर रहे हैं सियासतदां बैठे यहाँ .
इख़्तियार मिला इन्हें राज़ करें मुल्क पर ,
ये सदन में बैठकर कर रहे सियाहत ही यहाँ .
तल्खियाँ इनके दिलों की तलफ्फुज में शामिल हो रही ,
तायफा बन गयी है देखो नेतागर्दी अब यहाँ .
बना रसूम ये शबाहत रब की करने चल दिए ,
इज़्तिराब फैला रहे ये बदजुबानी से यहाँ .
शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ,
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
जिम्मेवारी ताक पर रख फिरकेबंदी में खेलते ,
इनकी फितरती ख़लिश से ज़ाया फ़राखी यहाँ .
देखकर ये रहनुमाई ताज्जुब करे ''शालिनी''
शास्त्री-गाँधी जी जैसे नेता थे कभी यहाँ .
शब्दार्थ :-तानेजनी -व्यंग्य ,ताना रीरी -साधारण गाना ,नौसीखिए का गाना
तलफ्फुज -उच्चारण ,सियाहत -पर्यटन ,तायफा -नाचने गाने आदि का व्यवसाय करने वाले लोगों का संघटित दल ,रसूम -कानून ,शबाहत -अनुरूपता ,इज़्तिराब-बैचनी ,व्याकुलता ,शाईस्तगी-शिष्ट तथा सभ्य होना ,हशमत -गौरव ,ज़ाया -नष्ट ,फ़राखी -खुशहाली
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
तानेज़नी पुरजोर है सियासत की गलियों में यहाँ ,
ताना -रीरी कर रहे हैं सियासतदां बैठे यहाँ .
इख़्तियार मिला इन्हें राज़ करें मुल्क पर ,
ये सदन में बैठकर कर रहे सियाहत ही यहाँ .
तल्खियाँ इनके दिलों की तलफ्फुज में शामिल हो रही ,
तायफा बन गयी है देखो नेतागर्दी अब यहाँ .
बना रसूम ये शबाहत रब की करने चल दिए ,
इज़्तिराब फैला रहे ये बदजुबानी से यहाँ .
शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ,
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
जिम्मेवारी ताक पर रख फिरकेबंदी में खेलते ,
इनकी फितरती ख़लिश से ज़ाया फ़राखी यहाँ .
देखकर ये रहनुमाई ताज्जुब करे ''शालिनी''
शास्त्री-गाँधी जी जैसे नेता थे कभी यहाँ .
शब्दार्थ :-तानेजनी -व्यंग्य ,ताना रीरी -साधारण गाना ,नौसीखिए का गाना
तलफ्फुज -उच्चारण ,सियाहत -पर्यटन ,तायफा -नाचने गाने आदि का व्यवसाय करने वाले लोगों का संघटित दल ,रसूम -कानून ,शबाहत -अनुरूपता ,इज़्तिराब-बैचनी ,व्याकुलता ,शाईस्तगी-शिष्ट तथा सभ्य होना ,हशमत -गौरव ,ज़ाया -नष्ट ,फ़राखी -खुशहाली