रद्द हो गौतमबुद्ध नगर लोकसभा चुनाव
अभी तक प्राप्त समाचारों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के चुनाव पर ग्रहण लग सकता है। कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ देने को लेकर दायर याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। इस पर सुनवाई नौ अप्रैल को होगी।जिला कांग्रेस अध्यक्ष (कार्यकारी) मुकेश यादव और जिला उपाध्यक्ष विक्रम कसाना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक अधिकारों का संरक्षक है और जैसे कि यहाँ बहुत से मामलों में कंपनी भी वादी /प्रतिवादी हो सकती है ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल भी एक कंपनी के समान है और इस नाते उच्चतम न्यायालय से स्वयं के लिए न्याय की आशा कर सकता है और यही नहीं बहुत से मामले ऐसे हैं जिनमे न्यायालय स्वतः संज्ञान भी लेता है फिर एक उम्मीदवार जिसे कोई राजनीतिक दल अपना प्रतिनिधि बनाकर चुनाव में उतारता है उसके द्वारा ऐसे समय में चुनाव से हटना जब राजनीतिक दल किसी अन्य को चुनाव में न उतार सकता हो उस उम्मीदवार के विरुद्ध चुनावी अपराध के रूप में ग्रहण करते हुए दल को अन्य उम्मीदवार उतारने का मौका देने के लिए न्यायालय स्वयं कोई पहल क्यूँ नहीं करता ?अगर ऐसे में पार्टी कोई आवेदन इस सम्बन्ध में न करे तो ये उसके भी तो अधिकार का हनन है जो कि उसे इस लोकतंत्र के प्रतिनिधि होने के नाते मिला है और उम्मीदवार ने ये अपनी किसी परेशानी /मत विरोध के कारण किया या साज़िश के तहत ये विचार तो बाद में भी किया जा सकता है किन्तु अगर एक बार चुनाव होकर निबट जाएँ तो पार्टी को उसके अधिकार के हनन से जो क्षति हुई है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता और इस तरह से ये किसी भी दल के विरोधी दल के लिए भविष्य़ में उसे चुनाव लड़ने से रोकने का एक बड़ा हथियार हो सकता है इसलिए इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट को कड़ा कदम उठाते हुए गौतमबुद्ध नगर के चुनाव को रद्द करना चाहिए और इस तरह से हटने वाले उम्मीदवार को जो कि पार्टी से अन्य उम्मीदवार खड़ा करने का अधिकार छीनता है एक लम्बे समय तक चुनाव में उतरने से रोक लगाने का दंड अवश्य मिलना चाहिए .
हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक अधिकारों का संरक्षक है और जैसे कि यहाँ बहुत से मामलों में कंपनी भी वादी /प्रतिवादी हो सकती है ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल भी एक कंपनी के समान है और इस नाते उच्चतम न्यायालय से स्वयं के लिए न्याय की आशा कर सकता है और यही नहीं बहुत से मामले ऐसे हैं जिनमे न्यायालय स्वतः संज्ञान भी लेता है फिर एक उम्मीदवार जिसे कोई राजनीतिक दल अपना प्रतिनिधि बनाकर चुनाव में उतारता है उसके द्वारा ऐसे समय में चुनाव से हटना जब राजनीतिक दल किसी अन्य को चुनाव में न उतार सकता हो उस उम्मीदवार के विरुद्ध चुनावी अपराध के रूप में ग्रहण करते हुए दल को अन्य उम्मीदवार उतारने का मौका देने के लिए न्यायालय स्वयं कोई पहल क्यूँ नहीं करता ?अगर ऐसे में पार्टी कोई आवेदन इस सम्बन्ध में न करे तो ये उसके भी तो अधिकार का हनन है जो कि उसे इस लोकतंत्र के प्रतिनिधि होने के नाते मिला है और उम्मीदवार ने ये अपनी किसी परेशानी /मत विरोध के कारण किया या साज़िश के तहत ये विचार तो बाद में भी किया जा सकता है किन्तु अगर एक बार चुनाव होकर निबट जाएँ तो पार्टी को उसके अधिकार के हनन से जो क्षति हुई है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता और इस तरह से ये किसी भी दल के विरोधी दल के लिए भविष्य़ में उसे चुनाव लड़ने से रोकने का एक बड़ा हथियार हो सकता है इसलिए इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट को कड़ा कदम उठाते हुए गौतमबुद्ध नगर के चुनाव को रद्द करना चाहिए और इस तरह से हटने वाले उम्मीदवार को जो कि पार्टी से अन्य उम्मीदवार खड़ा करने का अधिकार छीनता है एक लम्बे समय तक चुनाव में उतरने से रोक लगाने का दंड अवश्य मिलना चाहिए .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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