प्रतिभा जी :एक आदर्श
प्रतिभा जी :एक आदर्श 
 
२४ जुलाई २०१२ वह दिन है जब हमारे देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी अपने पद से सेवानिवृत्त होंगी .प्रतिभा जी का इस पद को सुशोभित करना सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं के शीश को उंचा करता है कारण सभी जानते हैं जिस देश में महिलाओं के ३३ %आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिज्ञ जहर खाने या गंगा में कूदने की बाते करते हों वहां संविधान के सर्वोच्च पद पर एक महिला का सुशोभित होना बहुत मायने रखता है और प्रतिभा जी ने इसी पुरुष सत्तात्मक समाज को अपनी काबिलियत द्वारा आइना दिखाया है .प्रतिभा जी ने अपने कार्यकाल में बहुत से ऐसे कार्यों को अंजाम दिया है जिनके बारे में अधिसंख्य जनता को ये संदेह था कि एक महिला होने के कारण वे इन कार्यों को नहीं कर पाएंगी .जैसे कि सभी जानते हैं कि राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है और सेनाओं में आज भी लड़कियों का वह स्थान नहीं है जो कि लड़कों का है जबकि लड़कियों को जहाँ भी अवसर मिल रहे हैं वे अपनी श्रेष्ठता साबित कर रही हैं .ऐसी स्थितियों में अधिकांश की नज़रों में इस पद के लिए प्रतिभा जी कि योग्यता पर उँगलियाँ उठाई जा रही थी जो उन्होंने वापस उन्ही की और मोड़ दी है जो उठा रहे थे और उन लोगों को अपने दिमाग पर जोर डालने को विवश किया है जो लड़कियों की क्षमता को कम आंकते हैं .
२४ जुलाई २०१२ वह दिन है जब हमारे देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी अपने पद से सेवानिवृत्त होंगी .प्रतिभा जी का इस पद को सुशोभित करना सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं के शीश को उंचा करता है कारण सभी जानते हैं जिस देश में महिलाओं के ३३ %आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिज्ञ जहर खाने या गंगा में कूदने की बाते करते हों वहां संविधान के सर्वोच्च पद पर एक महिला का सुशोभित होना बहुत मायने रखता है और प्रतिभा जी ने इसी पुरुष सत्तात्मक समाज को अपनी काबिलियत द्वारा आइना दिखाया है .प्रतिभा जी ने अपने कार्यकाल में बहुत से ऐसे कार्यों को अंजाम दिया है जिनके बारे में अधिसंख्य जनता को ये संदेह था कि एक महिला होने के कारण वे इन कार्यों को नहीं कर पाएंगी .जैसे कि सभी जानते हैं कि राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है और सेनाओं में आज भी लड़कियों का वह स्थान नहीं है जो कि लड़कों का है जबकि लड़कियों को जहाँ भी अवसर मिल रहे हैं वे अपनी श्रेष्ठता साबित कर रही हैं .ऐसी स्थितियों में अधिकांश की नज़रों में इस पद के लिए प्रतिभा जी कि योग्यता पर उँगलियाँ उठाई जा रही थी जो उन्होंने वापस उन्ही की और मोड़ दी है जो उठा रहे थे और उन लोगों को अपने दिमाग पर जोर डालने को विवश किया है जो लड़कियों की क्षमता को कम आंकते हैं .
२५ नवम्बर २००९ वह ऐतिहासिक  दिन जब उसके वायु सेना के अत्याधुनिक सुखोई  -30 एम्.के.आई.लड़ाकू विमान  में तीनो सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर  राष्ट्रपति प्रतिभा   देवी सिंह पाटिल जी ने उड़ान भरी .प्रतिभा जी ये कार्य करने वाली भारत की दूसरी  राष्ट्रपति हैं उनसे पहले राष्ट्रपति कलाम जी ने ही ये कार्य किया था.
    इसके एक माह  बाद  प्रतिभा जी ने नौसेना  के एकमात्र  विमान वाहक  पोत  विराट  पर सवार होकर  परेड का निरीक्षण  २३ दिसंबर २००९ को किया .
भारतीय थल सेना व् वायु सेना के संयुक्त युद्धाभ्यास ''सुदर्शन शक्ति '' में राजस्थान के बाड़मेर में राष्ट्रपति प्रतिभा जी सेना की वर्दी में एक टी-90 टैंक  पर सवार होकर युद्धाभ्यास के अवलोकन के लिए पहुंची.युद्धक टैंक की सवारी करने वाली वे देश की पहली राष्ट्रपति हैं. 
गाँधीवादी विचारधारा  से प्रेरित  भारतीय वेशभूषा से सुशोभित प्रतिभा जी ने इस पद की गरिमा को नई ऊँचाइयाँ दी हैं और एक सामान्य भारतीय के दिमाग में लड़कियों के लिए नई सोच पैदा करने की परिस्थितियां पैदा की हैं प्रतिभा जी हम सभी के लिए सदैव आदर्श रहेंगी .प्रतिभा जी को समस्त देशवासियों की ओर से सस्नेह प्रणाम .
                                                              शालिनी  कौशिक 
                                                                {कौशल} 
 
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टिप्पणियाँ
ram ram bhai
सोमवार, 23 जुलाई 2012
कैसे बचा जाए मधुमेह में नर्व डेमेज से
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