कल उनकी पीढियां तक इस्तेकबाल करेंगी .
न बदल पायेगा तकदीर तेरी कोई और ,
तेरे हाथों में ही बसती है तेरी किस्मत की डोर ,
अगर चाहेगा तो पहुंचेगा तू बुलंदी पर
तेरे जीवन में भी आएगा तरक्की का एक दौर .
तू अगर चाहे झुकेगा आसमां भी सामने ,
दुनिया तेरे आगे झुककर सलाम करेगी .
जो आज न पहचान सके तेरी काबिलियत ,
कल उनकी पीढियां तक इस्तेकबाल करेंगी .
तकदीर बनाने के लिए सुनले मेहरबां,
दिल में जीतने का हमें जज्बा चाहिए .
छूनी है अगर आगे बढ़के तुझको बुलंदी
क़दमों में तेरे जोश और उल्लास चाहिए .
मायूस होके रुकने से कुछ होगा न हासिल ,
उम्मीद के चिराग दिल में जलने चाहियें .
चूमेगी कामयाबी आके माथे को तेरे
बस इंतजार करने का कुछ सब्र चाहिए .
क्या देखता है बार-बार हाथों को तू अपने ,
रेखाओं में नहीं बसती है तकदीर किसी की .
गर करनी है हासिल तुझे जीवन में बुलंदी
मज़बूत इरादों को बना पथ का तू साथी .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
टिप्पणियाँ
रेखाओं में नहीं बसती है तकदीर किसी की .
गर करनी है हासिल तुझे जीवन में बुलंदी
मज़बूत इरादों को बना पथ का तू साथी .
बहुत सुन्दर रचना पहले मजबूत इरादा बढ़िया सोच फिर बढ़िया कर्म और उसकी छाया सा ही बढ़िया नतीजा .ॐ शान्ति .
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