गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है .



A Hindu devotee tries to take a holy dip in the flooded waters of river Ganges in the northern Indian town of Haridwar
गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है .
 
ख़ुदा ने आज़माया है ,अज़ाब हम पर आया है .
किया अजहद ज़ुल्म हमने ,अदम ने ये बताया है .


कस्साबी नारी सहे ,मुहं सी आदमजाद  की .
इन्तहां ज़ुल्मों की उसपर ,उफान माँ का लाया है .


करे खिलवाड़ कुदरत से ,आज के इन्सां बेखटके ,
खेल अपना दिखा रब ने ,कहकहा यूँ लगाया है .


गेंहू के संग में है पिसती ,सदा घुन ही ये बेचारी ,
किसी की कारस्तानी का ,किसी को फल चखाया है .


लूटकर बन्दों को उसके ,खजाने अपने हैं भरते ,
सभी को जाना है खाली ,काहे इतना जुटाया है .


खबीस काम कर-करके ,खरा करने मुकद्दर को ,
पहुंचना रब की चौखट पर ,बवंडर ये मचाया है .


कुफ्र का बढ़ना आदम में ,समझना खिलक़त से बढ़कर ,
चूर करने को मदहोशी ,सबक ऐसे सिखाया है .


गज़ब पड़ना अजगैबी का ,हदें टूटी बर्दाश्त की ,
गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है .


समझ लें आज कबीले ,सहमकर कहती ''शालिनी '',
गालिबन ये हमारी ही ,करम रेखों का साया है .


शब्दार्थ-अजगैबी-दैवी ,अजहद-बहुत ,आज़माना -परीक्षा लेना ,अज़ाब-पाप के बदले में मिलने वाला फल ,अदम-परलोक,काहे -किसलिए ,उफान-उबाल,आदमजाद-आदमी,आदिल-इंसाफ करने वाला ,कस्साबी-कसाई का काम ,कुफ्र-नास्तिकता ,खबीस-नापाक,खरा -निष्कपट,गज़ब पड़ना -अचानक भरी संकट पड़ना ,गालिबन-सम्भावना है कि,करम रेख-भाग्य में लिखी हुई बात .

     शालिनी कौशिक 
             [कौशल]



टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
you are very right .
Rajendra kumar ने कहा…
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतिकरण,आभार।
Sarik Khan Filmcritic ने कहा…
लीग से हटकर लिखा आपने
बहुत बढि़या
G.N.SHAW ने कहा…
सठिक चित्रण
बेनामी ने कहा…
बहुत बढि़या
Bhola-Krishna ने कहा…
शालिनी बेटा, बेशक ये हमारे कर्मों का ही फल है !
Macks ने कहा…
sahi kaha Shalini ji........
गेंहू के संग में है पिसती ,सदा घुन ही ये बेचारी ,
किसी की कारस्तानी का ,किसी को फल चखाया है ..

बहुत खूब ... ये तो होता ही है अक्सर ... ज़माने की रीत लिख दी ...
बेनामी ने कहा…
बहुत ख़ूब

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