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अक्तूबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी

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    "ध्रुव तारा भारत का" जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति  तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है  किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त  विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है  और  इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा। 19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था - &

धनतेरस संबधी सूचना

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  आज 22 अक्टूबर 2022 को सभी सनातन धर्मावलंबियों द्वारा धनतेरस का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यह बहुत ही पावन पर्व है और हिन्दुओं की आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है किन्तु कुछ भ्रम के कारण और कुछ 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण होने के कारण आज प्रातः काल से ही धनतेरस की खरीदारी आरंभ हो गई है जबकि धनतेरस की शुभ खरीदारी की बेला 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी.           अधिकांश रूप से धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का भी विधान होता है और उसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि में आरम्भ होता है और त्रयोदशी तिथि में व्रत का परायण होता है. सांय काल 6 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा है. धनतेरस त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और त्रयोदशी तिथि  सांय काल में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है. जो कि कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगी और हिन्दू धर्म में सूर्योदय कालीन तिथि से ही  तिथि की मान्यता होती है ऐसे में धनतेरस का पर्व कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाना सही और मान्य कहा जाए

ग्रहण और तुलसी

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 विशेष सूचना सभी सनातन धर्मावलंबी ध्यान दें कि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है इसलिए दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होने के कारण भोजन पानी की समस्त सामग्री में तुलसी के पत्ते डालकर उन्हें ग्रहण में सूर्य की नकारात्मक किरणों के विकिरण से दूषित होने से बचाने की सनातन धर्म में प्राचीन परंपरा है और इसके लिए आपको निम्न सावधानी बरतनी हैं - 1 - 24 अक्टूबर को अमावस्या सांय 5 बजकर 27 मिनट पर आरंभ हो रही है, ऐसे में तुलसी के पत्ते इससे पूर्व ही तोड़कर रख लें. 2- तुलसी को हमारे सनातन धर्म में पूजनीय की संज्ञा दी गई है, ऐसे में तुलसी के पत्ते तोड़ने से पूर्व तुलसी के आगे हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक तुलसी से पत्ते तोड़ने की अनुमति मांगनी चाहिए.  3- तुलसी के पत्ते वैसे तोड़ने नहीं चाहिए किन्तु यदि बहुत जरूरत में तोड़ने पड़ जाएं तो तुलसी के पत्ते तोड़ने में नाखून का प्रयोग न करें.         सूचनार्थ प्रस्तुत शालिनी कौशिक एडवोकेट  अध्यक्ष  मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड)