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श्री राहुल गांधी - एक महान राष्ट्रनायक

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          श्री राहुल गांधी जी आज भारत में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक आम भारतीयों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ चुके हैं. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने भारत को तोड़ने का इरादा रखने वालों के दिलों को बहुत तगड़ा झटका दिया है और इसी कारण राहुल गांधी जी के विरोधी कभी राहुल गांधी द्वारा महिलाओं, ल़डकियों से हाथ मिलाने को लेकर उन पर कटाक्ष करते हैं तो कभी यात्रा में मात्र सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी बताकर राहुल गांधी जी के भारत जोड़ने के प्रयास की हँसी उड़ाते हैं ऊपर से गोदी मीडिया के द्वारा भरसक कोशिश की जाती है कि भारत जोड़ो यात्रा को भारत में कोई प्रचार न मिले किन्तु आज भारत जोड़ो यात्रा एक क्रांति बन चुकी है और इतिहास गवाह है कि क्रांति कभी दबाई नहीं जा सकती है बल्कि क्रांति को जितना दबाया जाता है वह उतना ही रौद्र रूप लेकर उभरती है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम इसकी गवाही देता है और आज भारत जोड़ो यात्रा भी एक ऐसी ही क्रांति बन गई है जिसमें कॉंग्रेस पार्टी के युवा नेता पूर्व कॉंग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी ने अपनी पूरी जीवन शक्ति लगा दी है.                   कन्याकुमार

हिन्दू बड़े दिलवाले-Marry Christmas

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        व्हाटसएप और ट्विटर पर आज राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में लगभग हर किसी के खाते नज़र आते हैं और इसीलिए मन की हर बात को इन पर साझा किया जाना एक आम चलन बनता जा रहा है और इसी कारण ये अकाउंट सामाजिक सौहार्द और भारतीय संस्कृति के लिए काफी हद तक, अगर सच ही कहा जाए तो, खतरनाक बनते जा रहे हैं.       पिछले कुछ दिनों से ट्विटर और व्हाटसएप के स्टेटस पर 25 दिसंबर के लिए कट्टर हिन्दुत्व, स्वयंसेवक बनने और तुलसी पूजन जैसे संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं और वह मात्र इसलिए कि 25 दिसंबर को ईसाई धर्मावलंबियों का पवित्र त्यौहार "क्रिसमस" मनाया जाता है. ऐसी ट्वीट, ऐसे स्टेटस एक चिंता सी पैदा कर रहे हैं कि क्या यही लिखा है हमारे महान भारत की महान संस्कृति में कि हम दूसरे की खुशियों में आग लगाने का कार्य करें. वह संस्कृति जो कबीरदास की पन्क्तियों में हमें प्रेरित करती है  "ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए,    औरन को सीतल करे, आपहु सीतल होय."        आज उसी भारतीय संस्कृति को मैला करने का, दूषित करने का आगाज हो रहा है और यह कहना भी देरी ही होगी कि आज ऐसा करना आरंभ किया गया है जबकि बीते भा

राहुल गांधी - कलियुग के श्री राम

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7 सितंबर 2022 से भारत जोड़ो यात्रा का आरंभ और तब से निरंतर देशवासियों के समक्ष राहुल गांधी जी के देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ, लोकप्रिय चेहरे का सामने आना राहुल गांधी जी के व्यक्तित्व में एक विराट स्वरूप का परिचय कराने के लिए पर्याप्त है. रह रहकर राहुल गांधी जी को लेकर भारतीय मीडिया और बीजेपी आईटी सेल ने जो कटाक्ष राहुल गांधी जी पर किए हैं उन्हें देखते हुए और उनके निर्णयों की दृढ़ता को देखते हुए मन में एकबारगी राहुल गांधी जी का विचार आने पर श्री राम की छवि उभरकर सामने आती है और आज लेखनी राहुल गांधी में श्री राम की छवि का ही तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर रही है -  श्री राम के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय तब आरंभ होता है, जब श्री राम के राजतिलक की महाराजा दशरथ तैयारी आरंभ करते हैं और तभी महारानी कैकयी श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लेती हैं और प्रभु श्री राम यह पता लगते ही महाराजा दशरथ की आज्ञा के बिना ही सत्ता को त्याग कर वनवास स्वीकार कर लेते हैं. भाजपा यदि तब अयोध्या में होती तो निश्चित रूप से श्री राम के लिए भी "पप्पू" शब्द का ही इस्तेमाल करती क्योंकि यह  बिल्कुल वह घड़ी है कल

अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹

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          3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया जाता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस पर भारत भर में अधिवक्ता दिवस होता है। राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थें, इन सबके पहले वह वक़ील रहें हैं.        वकालत विश्व भर में अत्यंत सम्मानीय और गरिमामय पेशा है। भारत में भी वकालत गरिमामय और सत्कार के पेशे के तौर पर हर दौर में बना रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों से अधिक योगदान किसी और पेशे का नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों ने जमकर लोहा लिया है।      अधिवक्ता समुदाय भारतीय राजनीति में स्वतंत्रता के पश्चात से ही नहीं बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन से ही महती भूमिका निभाता रहा है. 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम होने पर देश में स्वतंत्रता के लिए देश में आंदोलनों का आरंभ हुआ और हुआ देश हित में सबसे सक्रिय अधिवक्ता समुदाय का स्वतंत्रता आंदोलनों में पदार्पण.             महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, पंडित मोतीलाल नेहरू, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू, सी. आर. दा

संविधान दिवस आयोजन - भारत जोड़ो यात्रा की सफ़लता

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      26 नवंबर - विधि दिवस - संविधान दिवस के रूप में 1949 से स्थापित हो गया था। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया और तभी से भारत गणराज्य में 26 नवंबर का दिन "संविधान दिवस - विधि दिवस" के रूप में मनाया जाता है.       देश में एक लम्बे समय तक कॉंग्रेस पार्टी की ही सरकार रही है और क्योंकि कॉंग्रेस पार्टी के ही अनथक प्रयासों से देश में संविधान का शासन स्थापित हुआ है इसलिए कॉंग्रेस पार्टी के द्वारा संविधान दिवस मनाया जाना आरंभ से ही उसकी कार्यप्रणाली में सम्मिलित रहा है किन्तु आज देश में कॉंग्रेस विरोधी विचारधारा सत्ता में है और उस विचारधारा ने कॉंग्रेस की विचारधारा और कार्यप्रणाली के ही विपरीत आचरण को ही सदैव अपने आचरण में सम्मिलित किया है और इसी का परिणाम है कि आज देश में बहुत से ऐसे शासनादेश सामने आए हैं जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आए हैं और इन्ही कुछ परिस्थितियों के मद्देनजर कॉंग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद श्री

भारत की शेरनी प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी - कोटि कोटि नमन 💐

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  अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी , वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी . ..................................................................... मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,, मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी . ....................................................................... पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने , वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी . ....................................................................... मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े , शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी . ....................................................................... बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत , उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी . ....................................................................... जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से , वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी . ........................................................................ कान जो सुन न सकते थे औरतों के मुहं

बाल दिवस विशेष - बच्चों के प्रति लापरवाही गलत

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  "वक़्त करता है परवरिश बरसों  हादिसा एक दम नहीं होता"  सभी जानते हैं कि हादसे एक दम जन्म नहीं लेते, एक लम्बे समय से परिस्थितियों के प्रति बरती गई लापरवाही हादसों की पैदाइश का मुख्य कारण होती है. भले ही अवैध रूप से चलाई जा रही पटाखा फैक्ट्री के हादसे हों या सड़कों में बनते जा रहे गड्ढों के कारण इ-रिक्शा पलटने के हादसे, बन्दरों के हमलों के कारण घरों में छोटी मोटी चोट लगने के हादसे, सब चलते रहते हैं और आम जनता से लेकर प्रशासन तक सभी इन्हें " बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले" कहकर टालते रहते हैं, क़दम उठाए जाते हैं तब जब पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के कारण दो - तीन गरीब महिला या कामगार बच्चे के शरीर के चीथड़े उड़ जाते हैं, जब इ-रिक्शा पलटने से स्कूल जाती हुई बच्ची की लाश उसके घर पहुंचाई जाती है, जब बन्दरों के हमले के कारण मन्दिर से घर आई सुषमा चौहान को असमय काल का ग्रास बनना पड़ता है.      क्यूँ नहीं विचार किया जाता इन परिस्थितियों पर इनके हादसे में तब्दील होने से पहले, प्रशासन की, सरकारी विभागों की तो छोड़िए वे तो तब ध्यान देंगे जब ऊपर से इन परिस्थितियों के राजनीतिक ल

कैराना पत्रकारिता का अजीम मंसूरी दौर

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      भारतीय मीडिया इतना पथभ्रष्ट कभी नहीं था, जितना अभी पिछले कुछ सालों से हुआ है. पत्रकारिता और  राजनीति एक दूसरे के बहुत महत्वपूर्ण पर्याय रहे हैं , पत्रकारिता ने हमेशा राजनीति की बखिया उधेड कर रख दी हैं, राजनीतिज्ञों की कोई भी योजना रही हो, किसी भी दल की, पत्रकारों की पारखी नजरों से कोई भी राजनीतिक चाल कभी छुपी नहीं रह सकी, यही नहीं भारतीय राजनीति में एक दबदबा कायम रहा है कैराना के राजनीतिज्ञों और पत्रकारों का जिसके कारण कैराना राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर चर्चाओं का मुद्दा रहा है किन्तु ये सब तथ्य अब पुराने पड़ चुके हैं, अब राजनीति का जो स्वरूप सामने है वह चापलूसी को ऊपर रखता है और कैराना वह राजनीति के हल्के में स्व बाबू हुकुम सिंह जी और मरहूम मुनव्वर हसन के बाद से अपनी पहचान खोता जा रहा है और पत्रकारिता भटक गई है केवल एक मसखरे अजीम मंसूरी की खबरों में, जो पहले अपने निकाह कराने की दरख्वास्त को लेकर प्रशासन को तंग करता है, फिर बरात ले जाने, निकाह स्थल पर गोदी में ले जाने, फिर दुल्हन बुशरा को घर लाने, उसकी मुँह दिखाई, बुशरा की डिमांड और अब खुशी में चुन्नी ओढ़कर नाचने की खबरों

ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी

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    "ध्रुव तारा भारत का" जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति  तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है  किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त  विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है  और  इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा। 19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था - &

धनतेरस संबधी सूचना

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  आज 22 अक्टूबर 2022 को सभी सनातन धर्मावलंबियों द्वारा धनतेरस का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यह बहुत ही पावन पर्व है और हिन्दुओं की आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है किन्तु कुछ भ्रम के कारण और कुछ 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण होने के कारण आज प्रातः काल से ही धनतेरस की खरीदारी आरंभ हो गई है जबकि धनतेरस की शुभ खरीदारी की बेला 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी.           अधिकांश रूप से धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का भी विधान होता है और उसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि में आरम्भ होता है और त्रयोदशी तिथि में व्रत का परायण होता है. सांय काल 6 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा है. धनतेरस त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और त्रयोदशी तिथि  सांय काल में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है. जो कि कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगी और हिन्दू धर्म में सूर्योदय कालीन तिथि से ही  तिथि की मान्यता होती है ऐसे में धनतेरस का पर्व कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाना सही और मान्य कहा जाए

ग्रहण और तुलसी

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 विशेष सूचना सभी सनातन धर्मावलंबी ध्यान दें कि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है इसलिए दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होने के कारण भोजन पानी की समस्त सामग्री में तुलसी के पत्ते डालकर उन्हें ग्रहण में सूर्य की नकारात्मक किरणों के विकिरण से दूषित होने से बचाने की सनातन धर्म में प्राचीन परंपरा है और इसके लिए आपको निम्न सावधानी बरतनी हैं - 1 - 24 अक्टूबर को अमावस्या सांय 5 बजकर 27 मिनट पर आरंभ हो रही है, ऐसे में तुलसी के पत्ते इससे पूर्व ही तोड़कर रख लें. 2- तुलसी को हमारे सनातन धर्म में पूजनीय की संज्ञा दी गई है, ऐसे में तुलसी के पत्ते तोड़ने से पूर्व तुलसी के आगे हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक तुलसी से पत्ते तोड़ने की अनुमति मांगनी चाहिए.  3- तुलसी के पत्ते वैसे तोड़ने नहीं चाहिए किन्तु यदि बहुत जरूरत में तोड़ने पड़ जाएं तो तुलसी के पत्ते तोड़ने में नाखून का प्रयोग न करें.         सूचनार्थ प्रस्तुत शालिनी कौशिक एडवोकेट  अध्यक्ष  मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड)

रामा - श्यामा तुलसी - लगाने के नियम

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  श्यामा तुलसी - श्यामा तुलसी के पत्ते गहरे हरे रंग या बैंगनी रंग के होते हैं. श्यामा तुलसी का श्रीकृष्ण को बेहद पसंद थी. कहते हैं इसके पत्ते श्रीकृष्ण के रंग के समान होते हैं. कान्हा का एक नाम श्याम भी है इसलिए इसे श्यामा के नाम से जाना जाता है. रामा के मुकाबले इससे पत्तों में मीठापन नहीं होता. रामा तुलसी - रामा तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं. मान्यता है कि रामा तुलसी श्री राम को अति प्रिय थी इसलिए इसे रामा तुलसी के नाम से जाना जाता है. रामा तुलसी के पत्ते मीठे होते हैं. इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. पूजा पाठ में रामा तुलसी का उपयोग किया जाता है. घर में कौन सी तुलसी लगाएं - शास्त्रों के अनुसार रामा और श्यामा दोनों तुलसी का अपना महत्व है इसलिए दोनों को घर में लगाया जा सकता है. ज्यादातर घरों में रामा तुलसी का प्रयोग किया जाता है. इससे तरक्की के रास्ते खुलते हैं .तुलसी लगाने का शुभ दिन शास्त्रों के अनुसार तुलसी लगाने के लिए गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार का दिन शुभ माना गया है. गुरुवार तुलसी लगाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. वहीं शनिवार को तुलसी का पौधा ल

हिन्दी को मान दिलवाने में सक्षम - हिंदी ब्लॉगिंग

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             हिंदी ब्लॉग्गिंग आज लोकप्रियता के नए नए पायदान चढ़ने में व्यस्त है .विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं की तानाशाही आज टूट रही है क्योंकि उनके द्वारा अपने कुछ चयनित रचनाकारों को ही वरीयता देना अनेकों नवोदित कवियों ,रचनाकारों आदि को हतोत्साहित करना होता था और अनेकों को गुमनामी के अंधेरों में धकेल देता था किन्तु आज ब्लॉगिंग के जरिये वे अपने समाज ,क्षेत्र और देश-विदेश से जुड़ रहे हैं और अपनी भाषा ,संस्कृति ,समस्याएं सबके सामने ला रहे हैं . ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आज सर्वाधिक हिंदी क्षेत्रों के चिट्ठाकार जुड़े हैं और.अंग्रेजी शुदा इस ज़माने में हिंदी के निरन्तर कुचले हुए स्वरुप को देख आहत हैं किन्तु हिंदी को उसका सही स्थान दिलाने में जुटे हैं और इस पुनीत कार्य में ज़माने से जुड़े रहने को अंग्रेजी से २४ घंटे जुड़े रहने वाले भी हिंदी में ब्लॉग लेखन में व्यस्त हैं . हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं मातृभाषा भी है और दिल की गहराइयों से जो अभिव्यक्ति हमारी ही कही जा सकती है वह हिंदी में ही हो सकती है क्योंकि अंग्रेजी बोलते लिखते वक़्त हम अपने देश से ,समाज से ,अपने परिव

कैराना फिर अपराधियों के घेरे में

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कैराना वह कस्बा जो संगीत के क्षेत्र में किराना घराने की उपाधि से, धर्म के क्षेत्र में कांवड़ियों की मुख्य मध्यस्थ राह के रूप में, कानून के क्षेत्र में शामली जिले की जिला कोर्ट शामली स्थित कैराना के नाम से, राजनीतिक हल्कों में स्व बाबू हुकुम सिंह और मरहूम मुनव्वर हसन की कार्यस्थली और आपराधिक मामलों में व्यापारियों के भारी उत्पीड़न - हत्याओं के चलते कैराना पलायन से विश्व विख्यात रहा है और अपनी इसी खूबी के चलते राजनेताओं और सत्ता की धमक यहां नजर आती ही रहती है, इसी कारण वर्तमान योगी सरकार द्वारा कैराना क्षेत्र को लेकर खास ध्यान दिया गया और यहां पी ए सी कैंप की स्थापना की घोषणा की गई किन्तु पी ए सी कैंप की भूमि के शिलान्यास के कई माह बीतने के बावजूद सरकारी अन्य योजनाओं की भांति यह योजना भी ठंडे बस्ते में नजर आ रही है और इसका खासा असर दिखाई दे रहा है.  कैराना के प्राचीन सिद्ध पीठ मन्दिरों पर, जहां 1 सप्ताह के भीतर ही दो सिद्ध पीठ मन्दिरों में बहुत बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जाता है और पुलिस प्रशासन उन्हें खोलने में नाकाम दिखाई देता है.      ये चोरियां एक साधारण घटना के रूप में नहीं

तेंदुआ कहाँ गया - शामली

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उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कांधला थाना क्षेत्र के गांव कनियान भनेडा के जंगल में पिछ्ले माह जुलाई की 26 तारीख से तेंदुआ होने की आहट थी, जहां रात को तेंदुआ देखे जाने के बाद से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था , ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाकर तेंदुए की तलाश शुरू की, सूचना के तत्काल पश्चात रेंजर वन विभाग राजेश कुमार सहित वन विभाग की टीम खूंखार तेंदुए को पकड़ने के मौके पर पहुंच गई तथा तेंदुए की तलाश में वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान शुरू किया । काफी रात होने के चलते वन विभाग की टीम तेंदुए को नहीं पकड़ सकी। तेंदुए की धरपकड़ के लिए वन विभाग की टीम ने मौके पर सर्च अभियान चलाए. क्षेत्र में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में तेंदुआ देखे जाने की सूचना से दहशत व्याप्त होती रही । गांव कनियान के बाद अट्टा, भारसी, ग्राम पंचायत नाला में कुछ ग्रामीणों के द्वारा खेत के समीप तेंदुआ घूमते हुए देखे जाने की सूचना वन विभाग को दी गई पर तेंदुआ नहीं मिला और वन विभाग की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. इसके बाद तेंदुआ होने की सूचना आई कैराना क्षेत्र कर गाँव जगनपुर से.  तेंदुए

फलक पर आज फहराए

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  तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए , फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए . ............................................... रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके , मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए . ............................................. मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी, शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए . ............................... क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को , इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए . .................................. शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का , हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए . .................................. वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका , पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए . ........................ दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका , ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए . ............................ शालिनी कौशिक एडवोकेट