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अप्रैल, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जिम्मेदारी से न भाग-जाग जनता जाग

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  दिल्ली के गांधीनगर में पांच वर्षीय गुडिया के साथ हुए दुष्कर्म ने एक बार फिर वहां की जनता को झकझोरा और जनता जुट गयी फिर से प्रदर्शनों की होड़ में .पुलिस ने एफ.आई.आर.दर्ज नहीं की ,२०००/-रूपए दे चुप बैठने को कहा और लगी पुलिस पर हमला करने -परिणाम एक और लड़की दुर्घटना की शिकार -ए.सी.पी. ने लड़की के ऐसा चांटा मारा कि उसके कान से खून बहने लगा .         बुरी लगती है सरकार की प्रशासनिक विफलता ,घाव करती है पुलिस की निर्दयता किन्तु क्या हर घटना का जिम्मेदार सरकार को ,पुलिस को कानून को ठहराना उचित है ?क्या हम ऐसे अपराधों के घटित होने में अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं देखते ?        १५ फरवरी सन १९९७कांधला   जिला मुजफ्फरनगर में एक दुकान में डाक्टरी कर रहे एक डाक्टर का सामान दुकान मालिक द्वारा नहर में डाल दिया गया ,सुबह जब वह अपने क्लिनिक में पहुंचा तो वहां कोई सामान न देख वह मामला समझ मार-पीट पर उतारू हो गया .दोनों तरफ से लोग जुटे और जुट गयी एक भीड़ जो तमाशबीन कही जाती है .वे डाक्टर को कुल्हाड़ी से ,लाठी से पीटते मारते रहे और जनता ये सब होते देखती रही .क्यों नहीं रोका किसी ने वह अपराध घटित होने से ?जबकि

नारी का ये भी रूप -लघु कथा

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नारी का ये भी रूप -लघु कथा   दृश्य -१  ''.....मम्मी -मम्मी  जल्दी करो  ब्रेकफास्ट देने में ,मेरे स्कूल की बस आने वाली है ,कहीं आज फिर से न छूट जाये .''   बेटा ! फ्रिज में ब्रैड रखी है और दूध भी ,तुम इतनी बड़ी हो कि खुद ले सकती हो ,मुझे बार बार परेशान मत किया करो ,आज मेरे क्लब में पार्टी है और मैंने फेसमास्क लगा रखा है इसलिए यहाँ से हिल भी नहीं सकती'',   अनीता ने अपनी दस वर्षीय बेटी हिना  को झिड़कते हुए कहा . दृश्य-दो ''.......अनीता आज हमें अभी तो डाक्टर के यहाँ जाना है इसलिए अभी कुछ मत बनाना ,दिन के लिए खिचड़ी भिगो देना बस यही बन जाएगी ,...''भाड़ में जाये खाना ''मेरा तो आज व्रत  है आप अपना खुद देखना ,दूसरे शहर से आई जिठानी पर भड़कते हुए अनीता ने अपनी पड़ोसन को आवाज लगाई और अपने बच्चों को बुलाकर खाने खिलने को कहकर अपना पर्स लटकाकर बाहर चली गयी .  दृश्य-तीन ''....बेटी रोज तो मैं घर का काम किसी तरह कर लेती हूँ पर आजकल जरा हाथ पैर काम नहीं करते, कुछ दिन घर का काम तो कर ले जब मेरी तबियत ठीक हो जाएगी तो मैं फिर से कर लूंगी .......आप

औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .

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  फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार , औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार . करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत  के साथ , माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार . मनसबी रखी रहे बाहर मेरे घर से , चौखट पे कदम रखते ही इनकी करो मनुहार . फैयाज़ी मेरे खून में ,फरहत है फैमिली , फरमाइशें पूरी करूँ ,ये फिर भी हैं बेजार . हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत , नादानी करें औरतें ,देती हमें दुत्कार . माँ का करूँ तो बीवी को बर्दाश्त नहीं है , मिलती हैं लानतें अगर बेगम से करूँ प्यार . बन्दर बना हूँ ''शालिनी ''इन बिल्लियों के बीच , फ़रजानगी फंसने में नहीं ,यूँ होता हूँ फरार .      शालिनी कौशिक            [ WOMAN ABOUT MAN ]   शब्दार्थ :फरमाबरदार -आज्ञाकारी ,बेजार-नाराज ,मक़बूलियत -कबूल किये जाने का भाव ,मनुहार-खुशामद,मनसबी-औह्देदारी ,फरहत-ख़ुशी ,फैयाजी-उदारता मकसूम -बंटा हुआ .फर्ज़ंगी -बुद्धिमानी .

कौन मजबूत? कौन कमजोर ?

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  इम्तिहान एक दौर चलता है जीवन भर ! सफलता पाता है कोई कभी थम जाये सफ़र ! कमजोर का साथ देना सीखा, ज़रुरत  मदद की उसे ही रहती . सदा साथ नर का देती रही , साया बन संग उसके खड़ी है रही , परीक्षा की घडी आये पुरुष की नारी बन सहायक सफलता दिलाती , मगर नारी चले मंजिल की ओर पीछे उसके दूर दूर तक वीराना रहे , और अकेली वह इम्तिहान में सफलता पाती ! फिर कौन मजबूत? कौन कमजोर ? दुनिया क्यों समझ न पाती ?     शालिनी कौशिक 

दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो .

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'' कुछ  छंद उन्हें अर्पित मेरे जिनके पाँव में छाले हैं ,  जो घोर अराजकता में भी मानवता के रखवाले हैं .''   ''प्राण के लिए प्रणव से प्रोटोकॉल तोड़ने की अपील  ''समाचार केवल अभिनेता मनोज कुमार की मार्मिक अपील ही नहीं है अपितु एक तमाचा है हमारे लोकतंत्र पर ,जहाँ ''जनता की ,जनता के द्वारा,जनता के लिए सरकार शासन करती है .जहाँ जनता की ही अनदेखी है ,जनता के ही साथ अन्याय है .हिरण्यगर्भा ,रत्नों की खान हमारा देश रत्नों का सम्मान करना जानता ही नहीं है .प्राण जैसे अभिनेता को जीते जी दादा साहेब फाल्के घोषित कर दिया गया किन्तु ये बहुत देर से किया गया है प्राण साहब को यह अवार्ड मिलने में देरी हुई' Updated on: Sat, 13 Apr 2013 04:16 PM (IST)                     मुंबई। बॉलीवुड में गुजरे जमाने के दमदार विलेन प्राण को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा का पूरे बॉलीवुड ने स्वागत किया है। हालांकि कुछ ने यह भी कहा है कि यह सम्मान उन्हें काफी देर से मिल रहा है। ऋषि कपूर ने उन्हें इस सम्मान को मिलने पर खुशी ... और पढ़ें » 

रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी

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 रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी  ''रिश्तों की ज़माने ने क्या रीत बनायी है ,    दुश्मन है मेरी जां का लेकिन मेरा भाई है .'' पुरुष :हमेशा से यही तो शब्द है जो समाज में छाया है ,देश में छाया है और अधिक क्या कहूं पूरे संसार पर छाया है .बड़े बड़े दावे,प्रतिदावे ,गर्वोक्ति पुरुष के द्वारा की जाती है स्वयं को विश्व निर्माता और नारी को उसमे दोयम दर्ज दिया जाता है .और पुरुष के इस दावे को हाल ही की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं ने पूर्णतया साबित भी कर दिया है .हर जगह हर काम में स्वयं की श्रेष्ठता का गान गाने वाला पुरुष अपने बारे में बिलकुल सही कहता है और सही है ''हर जगह अव्वल है ''.       २ अप्रैल २०१२ की शाम को कांधला [शामली ]में चार शिक्षिका बहनों पर तेजाबी हमला सुर्ख़ियों में था .हर ओर से इस मामले के खुलासे की मांग की जा रही थी जहाँ परिजन किसी रंजिश से इंकार कर रहे थे वहीँ पुलिस और आम जनता सभी के दिमाग में यह चल रहा था कि आखिर ऐसे ही कोई लड़कियों पर तेजाब क्यों फैंकेगा और आखिर खुलासा हो गया और ऐसा खुलासा जिसने न केवल कांधला कस्बे को शर्मसार किया बल्कि रिश

नरेन्द्र से नारीन्द्र तक

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नरेन्द्र से नारीन्द्र  तक       ''गाँधी का यह देश नहीं ,बस हत्यारों की मंडी है , राजनीति की चौपड़ में ,हर कर्ण यहाँ पाखंडी है .'' चन्द्र सेन जैन की यह अभिव्यक्ति की तो समस्त राष्ट्र के नेताओं के लिए गई है किन्तु क्या किया जाये उस पाखंड का जो गाँधी के गुजरात के मुख्यमंत्री में ही दिखाई दे रहा हो .सोशल वेबसाईट  व् माडिया के जरिये वहां के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने अनुरूप वातावरण बनाने में लगे हैं .जिस तरह बढ़ा चढ़ा कर उनके भाषणों की,गुजरात के विकास की तारीफ की जाती है ऐसा कुछ न तो उन्हें दूरदर्शन पर देखते सुनते लगता है [जबकि दूर के ढोल तो सुहावने कहे जाते हैं ]और न ही गुजरात के विकास के सम्बन्ध में अन्य गैर राजनीतिज्ञों के बयान सुनकर लगता है .जब तक लालू प्रसाद यादव रेलवे के मंत्री रहे ऐसे ही महिमा मंडन तब रेलवे की सफलता के होते थे ममता जी के आने पर ही सारी पोल खुली .         महिलाओं को लेकर मोदी जी की जागरूकता काबिले तारीफ है .अच्छा लगता है कि उन्होंने महिलाओं की ताकत को पहचाना किन्तु महिलाएं उनके इर्द-गिर्द खड़े होते वक्त  शायद यही भूल गयी कि उन्हें दिख रहा शख्स बि

चले डूबने कॉंग्रेसी

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सत्ता वह मद है जिसके नशे में नेता का बहकना लाज़मी है .यह नशा जब चढ़ता है तो बड़े से बड़े विपक्षी धुरंधर भी फ़ना कर दिए जाते हैं किन्तु जब उतरता है तो नेता व्यथित हो जाते हैं और अनाप-शनाप बकने की स्थिति में आ जाते हैं .आज कॉग्रेसी नेताओं की यही स्थिति होती जा रही है .२००४ से अब तक जो नशा इन्हें मदोन्मत्त किये था वह फ़िलहाल विरोधियों के सियासी तीरों के समक्ष नष्ट होता दिखाई दे रहा है और जैसा कि सभी जानते है कि -   ''विनाश काले विपरीत बुद्धि '' तो इसका साफ असर दिखाई दे रहा है .मनीष तिवारी जी जो वर्तमान में केन्द्रीय सूचना व् प्रसारण मंत्री हैं और राशिद अल्वी जी जो कॉंग्रेस प्रवक्ता हैं दोनों ही कॉंग्रेस हाईकमान की शैली से विपरीत दिशा में जाते नज़र आ रहे हैं .सोनिया गाँधी जी ने २ ० ० ७ में मोदी जी को ''मौत का सौदागर '' कहा और इस गलत नीति का दुष्प्रभाव उन्हें जनता ने तभी वहां के चुनाव में हार के रूप में दिया क्योंकि गलत नीति यहाँ कभी भी मानी नहीं की जा सकती और शायद इसी कारण सोनिया जी ने भी आगे अपने को इस तरह के गलत व्यक्तिगत कटाक्ष से दूर रखा और राहुल गाँधी जी भी

आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी

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आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी     सर सैय्यद अहमद खां ने कहा था - ''हिन्दू और मुसलमान भारत की दो आँख हैं .'' ये कथन मात्र कोई कथन नहीं सच्चाई से ओत -प्रोत एक भाव है .देश ने १ ९ ४ ७ में स्वतंत्रता प्राप्त की किन्तु उसके बाद से हिन्दू मुस्लिम का भारत पाक बटवारें के कारण हुए  विचारधारा में परिवर्तन ने और इसी कारण धीरे धीरे बढ़ते वैमनस्य ने आग में घी का काम किया ६ दिसम्बर १ ९ ९ २  को बाबरी मस्जिद विध्वंस ने .दोनों आँखें जब एक साथ काम करती हैं तभी मनुष्य सही काम करता है यदि दोनों आँखें विपरीत दिशा में काम करने लग जाएँ तो काम चौपट हो जाता है जैसा हमारे भारत वर्ष का फ़िलहाल हुआ है.हिन्दू मुस्लिम एकता ,जिसकी हमारे देश में मिसाल दी जाती थी ''बाँटो और राज करो ''की नीति ने तोड़ दी और रही सही कसर भारतीय जनता पार्टी के कथित हिन्दू प्रेम और समाजवादी पार्टी की मुस्लिमों पर कुर्बान होने की नीति ने खात्मे की और ही बढ़ा दी यह विनाश करने वाली गाड़ी अपनी तेज़ गति से निरंतर बढती ही जा रही थी कि एकाएक हमारे इन पार्टी के बुद्धिजीवी व् देशभक्त नेताओं में देश भक्ति जागी

झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,

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शामली में चार बहनों पर तेजाब उड़ेला  शामली में कांधला कस्बे में पहली  बार  हुई यह दर्दनाक घटना महिलाओं की सुरक्षा पर फिर से सवालिया निशान खड़े करती है .   Updated on: Tue, 02 Apr 2013 11:42 PM (IST) कांधला (शामली) : कस्बे में सरेशाम चार बहनों समेत पांच लड़कियों पर बाइक सवार तीन युवकों ने तेजाब फेंक दिया। इस घटना में तीन बहनें गंभीर रूप से झुलस गई। तीनों को दिल्ली रेफर किया गया है। एक युवती का कांधला में व किशोरी का शामली के निजी अस्पताल में उपचार किया गया है। चारों बहनें इंटर कालेज में परीक्षा ड्यूटी देकर घर जा रही थी। किशोरी वहां से गुजरते हुए तेजाब फेंकने के दौरान चपेट में आ गई। इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई और पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया।  मोहल्ला नई बस्ती निवासी मरहूम सलीम खां की एक पुत्री कमरजहां गांव जसाला के लाड्डो देवी कॉलेज में व दूसरी पुत्री आयशा कस्बे के हिंदू इंटर कालेज में ट्यूटर (शिक्षिका)है। इनकी अन्य दो बहनें ईशा व सोनम भी प्रशिक्षित शिक्षक हैं। चारों बहनों की हिंदू इंटर कॉलेज में बोर्ड की परीक्षा में ड्यूटी लगी हुई है। मंगलवार शाम को प

हर पार्टी ही रखे करिश्माई अदा है .

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  सियासत आज की देखो ज़ब्तशुदा है , हर पार्टी ही रखे करिश्माई अदा है . औलाद कहीं बेगम हैं डोर इनकी थामे , जम्हूरियत इन्हीं के क़दमों पे फ़िदा है . काबिल हैं सभी इनमे ,है सबमें ही महारत , पर घंटी बांधने को बस एक बढ़ा है . इल्ज़ाम  धरें माथे ये अपने मुखालिफ के , पर रूप उनसे इनका अब कहाँ जुदा है . आगे न इनसे कोई ,पीछे न खड़ा कोई , पर वोट-बैंक इनका अकीदत से बंधा है . बाहर भी बैठते हैं ,भीतर भी बैठते हैं , मुखालफ़त का जिम्मा इनके काँधे लदा है . जादू है ये सियासत अपनाई सब दलों ने , ''शालिनी'' ही नहीं सबको लगती खुदा है .             शालिनी कौशिक                    [कौशल]