संदेश

जुलाई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

''जितनी देखी दुनिया सबकी दुल्हन देखी ताले में''

चित्र
कविवर गोपाल दास ''नीरज ''ने कहा है - ''जितनी देखी दुनिया सबकी दुल्हन देखी ताले में कोई कैद पड़ा मस्जिद में ,कोई बंद शिवाले में , किसको अपना हाथ थमा दूं किसको अपना मन दे दूँ , कोई लूटे अंधियारे में ,कोई ठगे उजाले में .'' धर्म के   ये ही दो रूप हमें भी दृष्टिगोचर होते हैं .कोई धर्म के पीछे अँधा है तो किसी के लिए धर्म मात्र दिखावा बनकर रह गया है .धर्म के नाम पर सम्मेलनों की ,विवादों की ,शोर-शराबे की संख्या तो दिन-प्रतिदिन तेजी से बढती जा रही है लेकिन जो धर्म का मर्म है उसे एक ओर रख दिया गया है .आज जहाँ देखिये कथा वाचक कहीं भगवतगीता ,कहीं रामायण बांचते नज़र आयेंगे ,महिलाओं के सत्संगी संगठन नज़र आएंगे .विभिन्न समितियां कथा समिति आदि नज़र आएँगी लेकिन यदि आप इन धार्मिक समारोहों में कथित सौभाग्य से  सम्मिलित होते हैं तो ये आपको पुरुषों का  बड़े अधिकारियों, नेताओं से जुड़ने का बहाना ,महिलाओं का एक दूसरे की चुगली करने का बहाना  ही नज़र आएगा . दो धर्म विशेष ऐसे जिनमे एक में संगीत पर पाबन्दी है तो गौर फरमाएं तो सर्वाधिक कव्वाली,ग़ज़ल गायक आपको उसी ध

आखिर प्रधानमंत्री ने स्वीकारी नेहरू-गांधी परिवार की श्रेष्ठता

चित्र
आज एकाएक एक शेर याद आ गया .कुछ यूँ थी उस शेर की पंक्तियाँ - ''कैंची से चिरागों की लौ काटने वालों , सूरज की तपिश को रोक नहीं सकते . तुम फूल को चुटकी से मसल सकते हो लेकिन फूल की खुशबू को समेट नहीं सकते .'' सियासत आदमी से जो न कहलवादे मतलब सब कुछ कहलवा सकती है सही शब्दों में कहूँ तो उगलवा सकती है और ऐसा ही हो गया जब प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू में जाने माने कॉंग्रेसी दिग्गज गिरधारी लाल डोगरा के जन्म शताब्दी समारोह में गिरधारी जी के २६ बार बजट पेश करने पर अपने विचार प्रस्तुत करते वक्त अपने मुख कमल से जो उद्गार व्यक्त किये वे उनके न चाहते हुए भी उस सच्चाई को सबके सामने ला रहे थे जिससे भाजपाई और स्वयं प्रधानमंत्री भी आज तक बचते आ रहे थे , वे विचार कुछ यूँ थे - ''यह तभी संभव होता है जब आपकी व्यापक स्वीकार्यता हो .'' और ये वे शब्द हैं जिससे आने वाले वक्त में कॉंग्रेसियों को स्वयं के हाईकमान को लेकर एक बार फिर गर्व करने का अवसर मिल गया क्योंकि सभी जानते हैं कि नेहरू गांधी परिवार ही देश पर शासन सत्ता को सबसे लम्बे समय तक सँभालने वाला परिवार है और आज उस प

भुलाकर मज़हबी मुलम्मे ,मुहब्बत से गले मिल लें ,-तभी हो ईद मुबारक

चित्र
मुबारकबाद सबको दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे , महक इस मौके में भर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे , ********************************************* मुब्तला आज हर बंदा ,महफ़िल -ए -रंग ज़माने में , मिलनसारी यहाँ भर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे , ************************************************************* मुक़द्दस दूज का महताब ,मुकम्मल हो गए रमजान , शमा हर रोशन अब कर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे , ********************************************************** रहे मज़लूम न कोई ,न हो मज़रूह हमारे से , मरज़ हर दूर अब कर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे . ************************************************************* ईद खुशियाँ मनाने को ,ख़ुदा का सबको है तौहफा , मिठास मुरौव्वत की भर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे . ******************************************************************** भुलाकर मज़हबी मुलम्मे ,मुहब्बत से गले मिल लें , मुस्तहक यारों का कर दूँ ,जुदा अंदाज़ हैं मेरे . *************************************************************** फ़तह हो बस शराफत की ,तरक्की पाए बस

केवल अशिक्षितों को दोष क्यों इसके जिम्मेदार पढ़े-लिखे रूढ़िवादी भी -विश्व जनसँख्या दिवस

चित्र
World Population Day Date July 11 Next time 11 July 2015 Frequency annual [World Population Day  is an annual event, observed on July 11 every year, which seeks to raise awareness of  global population  issues. The event was established by the Governing Council of the  United Nations Development Programme  in 1989. It was inspired by the public interest in Five Billion Day on July 11, 1987-approximately the date on which the world's population reached five billion people. The world population (as of January 1, 2014; 9:24 UTC) is estimated to be 7,137,661,030. [ 1 ] Jansankhya Sthirata Kosh( JSK ) is doing every effort to draw the attention of the Media and the masses towards the issues of Population Stabilization, JSK will organize a "Walkathon towards Population Stabilization" at India Gate on 11th July 2015. In this Walkathon thousand of youths from Universities, Colleges and various public and private colleges are expected to participate.] आज विश्व जनसँख्

भाजपा के एक और गलत-ज्ञानी

चित्र
Governor of Rajasthan and chancellor Kalyan Singh on Tuesday once again created a controversy by suggesting that the word ‘adhinayak’ in the national anthem should be removed as it praises the British rulers of pre-Independence era. गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर भारत के बँगला साहित्य के शिरोमणि कवि थे. उनकी कविता में प्रकृति के सौंदर्य और कोमलतम मानवीय भावनाओं का उत्कृष्ट चित्रण है. "जन गण मन" उनकी रचित एक विशिष्ट कविता है जिसके प्रथम छंद को हमारे राष्ट्रीय गीत होने का गौरव प्राप्त है. गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर, काव्यालय की ओर से, आप सबको यह कविता अपने मूल बंगला रूप में प्रस्तुत है.  बंगला मूल जन गण मन शब्दार्थ जन गण मन अधिनायक जय हे  भारत भाग्य विधाता  पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग  विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा  उच्छल जलधि तरंग  तव शुभ नामे जागे  तव शुभ आशिष मागे  गाहे तव जय गाथा  जन गण मंगल दायक जय हे  भारत भाग्य विधाता  जय हे जय हे जय हे  जय जय जय जय हे अहरह तव आह्वान प्रचारित शुनि तव उदार वाणी हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी पूर

हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द को चोट पहुंची है .

चित्र
''किसने ये जहर घोला है हवाओं में , किसने खोदी हैं कब्रें प्यार की .'' ये सवाल आज वेस्ट यू.पी. के स्थानीय निवासियों की जुबान पर भी है और दिल में भी .ईद हो या दीवाली यहाँ की जनता मिल-जुल कर मनाती आई है .ईद की सिवईयाँ हो या दीवाली की मिठाई अपना स्वाद ही खो देती हैं जब उसमे हिन्दू-मुस्लिम के प्रेम की मिठास न मिली हो और इस बार ईद पहली बार उसी प्रेम का अभाव में मनाई जाएगी ऐसा महसूस हो रहा है . कारण केवल एक है यहाँ के बाज़ारों में इन दिनों हिन्दुओं की दुकानों पर मुसलमान भाई-बहनों की भीड़ का अभाव .बाजार में हिन्दुओं की दुकानें अधिक हैं इसलिए यहाँ लगभग सुनसान की स्थिति यह साफ तौर पर बता रही है कि अभी हाल में हुए दंगों ने सदियों के आपसी प्रेम सद्भाव को चोट तो अवश्य पहुंचाई है और ये चोट कभी भरेगी या नासूर बनकर रिसेगी अभी इस सम्बन्ध में कुछ भी कहना मुश्किल है क्योंकि अभी राजनीतिक पहल इसे तोड़ने का ही काम करती दिखाई दे रही है और यह दुखद है क्योंकि जिनके हाथों में देश -प्रदेश की बागडोर है उनका दायित्व ये बनता है कि वे इस प्रेम को मीठे -ठन्डे जल से सींचे न कि उष्ण पानी से .ये समय