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इंदिरा गांधी :भारत का वास्तविक शक्तिपुंज और ध्रुवतारा

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जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति  तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है  किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त  विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है  और  इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा। १९ नवम्बर १९१७ को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -''वह भारत की नई आ

गैंगरेप:मृत्युदंड पर बहस ज़रूरी

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मृत्युदंड एक ऐसा दंड जिसका समर्थन और विरोध हमेशा से होता रहा है पर जब जब इसके विरोध की आवाज़ तेज हुई है तब तब कोई न कोई ऐसा अपराध सामने आता रहा है जिसने इसकी अनिवार्यता पर बल दिया है हालाँकि इसका  समर्थन और विरोध न्यायपालिका में भी रहा है किन्तु अपराध की नृशंसता इस दंड की समाप्ति के विरोध में हमेशा से खड़ी रही है और इसे स्वयं माननीय न्यायमूर्ति ए.पी.सेन ने ''कुंजू कुंजू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य क्रिमिनल अपील ५११ [१९७८] में स्वीकार किया है .     ''कुंजू कुंजू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के वाद में अभियुक्त एक विवाहित व्यक्ति था जिसके दो छोटे बच्चे भी थे .उसका किसी युवती से प्रेम हो गया और उससे विवाह करने की नीयत से उसने अपनी पत्नी और दोनों बच्चों की रात में सोते समय निर्मम हत्या कर दी .''      इस वाद में यद्यपि न्यायाधीशों ने 2:1 मत से इन तीन हत्याओं के अभियुक्त की मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया जाना उचित समझा परन्तु न्यायमूर्ति ए .पी. सेन ने अपना विसम्मत मत व्यक्त करते हुए अवलोकन किया -   '' अभियुक्त ने एक राक्षसी कृत्य किया है तथा अपनी पत

कॉलेजियम :भला दूध की रखवाली बिल्ली को थोड़े ही ...

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'' लोकतंत्र गैर निर्वाचित लोगों का तंत्र नहीं बन सकता '' जेटली जी के द्वारा कहा गया यह कथन गरिमा विहीन है क्योंकि वे स्वयं एक गैर निर्वाचित व्यक्ति हैं और जिस वक्त उन्हें भारतीय लोकतंत्र की वर्तमान सरकार में वित्त-मंत्री का दर्जा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया [ He was the party's candidate for Amritsar (replacing Navjot Singh Sidhu) for Indian general election, 2014 which he lost to Congress candidate Amarinder Singh ] [विकिपीडिया से साभार ] और अब भी वे सीधे निर्वाचित नहीं हैं बल्कि भाजपा की चुनावी रणनीति से राज्य सभा से निर्वाचित हैं जिसका रास्ता राजनीतिक दल अपने उस नेता को संसद में पहुँचाने के लिए आज़माते हैं जिसे जनता कभी भी अपने वोट दे जितना पसंद नहीं करती इसलिए इनकी कही बात तो पहले ही कोई वजन नहीं रखती और अगर हम अपने संविधान की दृष्टि से देखें तो आरम्भ से ही नकारने वाली बात है क्योंकि संविधान में सर्वोच्च न्यायालय को स्वतंत्र न्यायपालिका का दर्जा दिया गया है और संविधान के संरक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गयी है जो कि इस परिस्थिति में नामुमकिन

मैगी प्रकरण :सरकार वही कोक-पेप्सी वाली

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लैब टेस्ट में पास हुई मैगी, जल्द ‌‌किचन में होगी वापसी मैगी नूडल्स निर्माता कंपनी नेस्ले इंडिया के लिए राहत भरी खबर है। नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि मुंबई हाईकोर्ट के आदेश पर तीन प्रयोगशालाओं में हुई जांच में मैगी के सभी नमूने सही पाए गए हैं। प्रयोगशाला टेस्ट में पास होने के बाद नेस्ले इंडिया ने राहत की सांस ली है। वहीं नेस्ले इंडिया का कहना है कि जल्द ही मैगी की बाजार में वापसी होगी। मैगी में लेड की मात्रा की अधिक संभावना के चलते मुबंई हाईकोर्ट के आदेश पर मैगी के 90 नमूनों की तीन प्रयोगशलाओं में जांच की गई। कोर्ट के आदेश पर तीन प्रयोगशालाओं में यह जांच की गई। नेस्ले इंडिया की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मैगी के सभी 90 नमूनों के जांच के नतीजे आ गए हैं। सभी नमूने जांच में खरे पाए गए हैं। तीन प्रयोगशालाओं में नेस्ले इंडिया के छह प्रकार के उत्पादों के सभी 90 नमूनों को सही कारार दिया गया है। इन सभी नमूनों में लेड की मात्रा उपयुक्त यानि कि सीमा के भीतर पाई गई।[साभार अमर उजाला ] ये तो होना ही था हमने पहले ही अपनी एक पोस्ट में इसका जिक्र किया था लिंक ये है  -[मैगी -ये भारत

कहे ये जिंदगी पैहम -न कोशिश ये कभी करना .

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 ................................................................. दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना , बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.  .................................................................... नहीं ला सकते हो जब तुम किसी के जीवन में सुख चैन , करूँ महरूम फ़रहत से-न कोशिश ये कभी करना . ............................................................ चाहत जब किसी की तुम नहीं पूरी हो कर सकते , करो सब जो कहूं तुमसे-न कोशिश ये कभी करना . ................................................................ किसी के ख्वाबों को परवान नहीं हो तुम चढ़ा सकते , हक़ीकत इसको दिखलाऊँ-न कोशिश ये कभी करना . ............................................................ ज़िस्म में मुर्दे की जब तुम सांसे ला नहीं सकते , बनाऊं लाश जिंदा को-न कोशिश ये कभी करना . .......................................................... समझ लो '' शालिनी '' तुम ये कहे ये जिंदगी पैहम , तजुर्बें मेरे अपनाएं-न

बेटी के आंसू बहने से ,माँ रोक सकी है कभी नहीं .

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बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं , तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,मेरी न है कभी नहीं . ...................................................................... नौ महीने कोख में रखा ,सपने देखे रोज़ नए , तुझको लेकर मेरे मन में ,भेद नहीं है कभी नहीं . .................................................................. माँ बनने पर पूर्ण शख्सियत ,होती है हर नारी की , बेटे या बेटी को लेकर ,पैदा प्रश्न है कभी नहीं . ....................................................................... माँ के मन की कोमलता ही ,बेटी से उसको जोड़े , नन्ही-नन्ही अठखेली से ,मुहं मोड़ा है कभी नहीं . ......................................................................... सबकी नफरत झेल के बेटी ,लड़ने को तैयार हूँ, पर सब खो देने का साहस ,मुझमे न है कभी नहीं . .................................................................... कुल का दीप जलाने को ,बेटा ही सबकी चाहत , बड़े-बुज़ुर्गों  की आँखों का ,तू तारा है कभी नहीं . ...................................

सुप्रीम कोर्ट : आधार अनिवार्य करे .

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     उच्चतम न्यायालय को आधार की अनिवार्यता पर एक बार फिर विचार करना चाहिए क्योंकि आधार की अनिवार्यता बहुत सी धांधलियों को इस देश में रोक सकती है और सबसे बड़ी धांधली पर जिस पर इसकी अनिवार्यता से रोक लगेगी वह है इस लोकतंत्र के दुरूपयोग पर रोक क्योंकि यहाँ हर व्यक्ति को मत देने का अधिकार है और इस अधिकार का यहाँ सदुपयोग कम दुरूपयोग ज्यादा है . लोकतंत्र जनता की सरकार कही जाती है और जनता का एक वोट देश की तकदीर बदल सकता है किन्तु जनता यहाँ जितनी ईमानदारी से अपना कर्त्तव्य निभाती है सब जानते हैं .पहले जब वोटर आई.डी. कार्ड नहीं होता था तब एक ही घर से राजनीति में भागीदारी के इच्छुक लोग ऐसे ऐसे लोगों के वोट बनवा लेते थे जिनका दुनिया में ही कोई अस्तित्व नहीं होता था फिर धीरे धीरे फोटो पहचान पत्र आये और इनके कारण बहुत सी वोट ख़त्म हो गयी किन्तु वोट के नाम पर की जाने वाली धांधली ख़त्म नहीं हुई .बहुत से ऐसे वोटर हैं जिनके पास एक ही शहर में अलग अलग पतों के वोटर कार्ड हैं और यही नहीं ऐसी बेटियों की वोट अभी भी वर्त्तमान में है जिनकी शादी हो गयी और वे अपने घर से विदा हो गयी और ऐसे में उनकी वोट म

नारी रूप में जन्म न देना प्रभु

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 कई बार पहले भी देख चुकी 'चक दे इंडिया' को फिर एक बार देख रही थी .बार बार कटु शब्दों से भारतीय नारी का अपमान किया गया किन्तु एक वाकया जिसने वाकई सोचने को मजबूर कर दिया और भारतीय नारी की वास्तविक स्थिति को सामने लाकर खड़ा कर दिया वह वाक्य कहा था फ़िल्म में क्रिकेट खिलाडी अभिमन्यु सिंह ने चंडीगढ़ की हॉकी खिलाडी प्रीति से , ''हार जाओगी तो मेरी बीवी बनोगी ,जीत जाओगी तो भी मेरी बीवी बनोगी ऐसा तो नहीं है कि वर्ल्ड कप से से आओगी तो सारा हिंदुस्तान तुम्हारा नाम जप रहा होगा .'' कितना बड़ा सच कहा अभिमन्यु ने और इससे हटकर भारतीय नारी की स्थिति और है भी क्या ,फ़िल्म में काम करती है तो हीरो के बराबर मेहनत किन्तु मेहनताना कम ,खेल में खेलने में बराबर मेहनत किन्तु पुरुष खिलाडी के मुकाबले कम मैच फीस .खेलों में क्रिकेट में पुरुष टीम भी और महिला टीम भी किन्तु पुरुष टीम के पीछे पूरा भारत पागल और महिला टीम के प्रति स्वयं महिला भी नहीं .पुरुष टीम वर्ल्ड कप जीत लाये इसके लिए एक महिला [पूनम पांडे ] निर्वस्त्र तक होने को तैयार जबकि पुरुषों में महिला टीम के प्रदर्शन तक को लेकर कोई

बैंकों व् डाकघरों को कबाड़घर बनाया इंटरनेट ने

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बैंक और डाकघर भारतीय नागरिक के लिए आज एक आवश्यकता बन चुके हैं और भारतीय सरकार ने इनके सञ्चालन में पूरी ईमानदारी बरतते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाया है .आइये पहले नज़र डालें भारत में अब तक की बैंकिंग व् डाकघरों की व्यवस्था पर संक्षेप में - भारत में बैंकिंग https://hi.wikipedia.org/s/xxn मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से भारत की बैंकिंग-संरचना भारत  में आधुनिक  बैंकिंग  सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है। भारत के आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत ब्रिटिश राज में में हुई। १९वीं शताब्दी के आरंभ में  ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  ने ३ बैंकों की शुरुआत की -  बैंक आफ बंगाल  १८०९ में, बैंक ओफ़ बॉम्बे  १८४० में और  बैंक ओफ़ मद्रास  १८४३ में। लेकिन बाद में इन तीनों बैंको का विलय एक नये बैंक 'इंपीरियल बैंक' में कर दिया गया जिसे सन १९५५ में ' भारतीय स्टेट बैंक ' में विलय कर दिया गया।  इलाहबाद बैंक  भारत का पहला निजी बैंक था। भारतीय रिजर्व बैंक  सन १९३५ में स्थापित किया गया था और बाद में  पंजाब नेशनल बैंक ,  बैंक ऑफ़ इंडिया ,  केनरा बैंक  और  इंडियन बैंक  स्थापित हु