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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आधुनिक महिलाएं और मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध

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''आंधी ने तिनका तिनका नशेमन का कर दिया , पलभर में एक परिंदे की मेहनत बिखर गयी .'' फखरुल आलम का यह शेर उजागर कर गया मेरे मन में उन हालातों को जिनमे गलत कुछ भी हो जिम्मेदार नारी को ठहराया जाता है जिसका सम्पूर्ण जीवन अपने परिवार के लिए त्याग और समर्पण पर आधारित रहता है .किसी भी सराहनीय काम का श्रेय लेने के नाम पर जब सम्पूर्ण समाज विशेष रूप से पुरुष वर्चस्ववादी समाज आगे बढ़ सीना तान कर खड़ा हो जाता है तो समाज में घटती अशोभनीय इन वारदातों का ठीकरा नारी के सिर क्यों फोड़ते हैं ?जबकि मासूम बच्चियां जिस यौन दुर्व्यवहार की शिकार हो रही हैं उसका कर्ता-धर्ता तो पुरुष ही है . आधुनिक महिलाएं आज निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ रही हैं और ये बात पुरुष सत्तात्मक समाज को फूटी आँख भी नहीं सुहाती और इसलिए सबसे अधिक उसकी वेशभूषा को ही निशाना बनाया जाता है .सबसे ज्यादा आलोचना उसके वस्त्र चयन को लेकर ही होती है .जैसे कि एक पुराने फ़िल्मी गाने में कहा गया- ''पहले तो था चोला बुरका, फिर कट कट के वो हुआ कुरता , चोले की अब चोली है बनी चोली के आगे क्या होगा ? ये फैशन यूँ ही बढ़ता गया , और क

दुष्कर्म - नारी नहीं है बेचारी

दुष्कर्म आज ही नहीं सदियों से नारी जीवन के लिए त्रासदी रहा है .कभी इक्का-दुक्का ही सुनाई पड़ने वाली ये घटनाएँ आज सूचना-संचार क्रांति के कारण एक सुनामी की तरह नज़र आ रही हैं और नारी जीवन पर बरपाये कहर का वास्तविक परिदृश्य दिखा रही हैं . भारतीय दंड सहिंता में दुष्कर्म ये है - भारतीय दंड संहिता १८६० का अध्याय १६ का उप-अध्याय ''यौन अपराध ''से सम्बंधित है जिसमे धारा ३७५ कहती है- [ I.P.C. ] Central Government Act Section 375 in The Indian Penal Code, 1860 375. Rape.-- A man is said to commit" rape" who, except in the case hereinafter excepted, has sexual intercourse with a woman under circumstances falling under any of the six following descriptions:- First.- Against her will. Secondly.- Without her consent. Thirdly.- With her consent, when her consent has been obtained by putting her or any person in whom she is interested in fear of death or of hurt. Fourthly.- With her consent, when the man knows that he is not her h

ललित मोदी तो मुझसे भी मिले थे तो क्या .....

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आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी का नया खुलासा कांग्रेस आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा सकता है। पिछले कई दिनों से अपने बयानों से भाजपा और कांग्रेस नेताओं को परेशान कर रहे मोदी ने शुक्रवार को किए ट्वीट में कहा है कि लंदन में गांधी परिवार से मिलकर उन्हें खुशी होगी। लंदन के एक रेस्‍टोरेंट में प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा से मैं अलग-अलग मिल चुका हूं। उधर प्रियंका का बयान ये है - कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका वाड्रा ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी से मुलाकात की बात से इनकार किया है। प्रियंका के दफ्तर ने शुक्रवार शाम को एक बयान जारी कर ललित मोदी के इस दावे को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह प्रियंका और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा से लंदन के एक रेस्तरां में मिले थे। सवाल ये उठता है कि ललित मोदी एक भारतीय हैं और ललित कुमार मोदी, (जन्म नवंबर 29, 1963) इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष और कमीशनर, चैंपियंस लीग के अध्यक्ष,BCCI के उपाध्यक्ष और पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वह मोदी इंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निर्देशक और गॉडफ्रे फिलिप्

भाजपा में भी हैं राहुल गांधी मौजूद

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ललित मुद्दे पर बोले भाजपा सांसद, भगोड़े की मदद करना है गलत पूर्व गृह सचिव एवं मौजूदा भाजपा सांसद आर के सिंह ललित मोदी मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बचाने के भाजपा के प्रयासों पर पानी फेरते दिख रहे हैं। अपने हालिया बयान में उन्होंने कहा है कि एक भगोड़े की मदद करना गलत है। आर के सिंह ने सरकार से अपील की है कि सरकार ललित मोदी को वापस भारत लाने के लिए हर संभव कदम उठाए ताकि वो कानून का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी भगोड़े की मदद करता है तो वो गलत है। अगर कोई भगोड़े से मिलता है तो ये बिल्कुल ही गलत है। जिसने भी मदद की है वो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि ललित मोदी नोटिस और कई समनों का सामना कर रहे हैं और एसे भगोड़े की मदद करना या उससे कोई मीटिंग करना गलत है। [अमर उजाला से साभार ] अपनी ही सरकार के कदम पर इस प्रकार ऊँगली उठाकर पूर्व गृह सचिव व् मौजूदा भाजपा सांसद आर के सिंह ने ये तो ज़ाहिर कर ही दिया है कि भाजपा भी केवल चापलूसों की पार्टी नहीं है बल्कि भाजपा में भी ऐसे बुद्धिजीवी व् साहसी कार्यकर्ता मौजूद हैं जो कॉंग्रेस के राहुल

शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ....

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तानेज़नी पुरजोर है सियासत  की  गलियों में यहाँ , ताना -रीरी कर रहे हैं  सियासतदां  बैठे यहाँ . इख़्तियार मिला इन्हें राज़ करें मुल्क पर , ये सदन में बैठकर कर रहे सियाहत ही यहाँ . तल्खियाँ इनके दिलों की तलफ्फुज में शामिल हो रही , तायफा बन गयी है देखो नेतागर्दी अब यहाँ . बना रसूम ये शबाहत रब की करने चल दिए , इज़्तिराब फैला रहे ये बदजुबानी से यहाँ . शाईस्तगी  को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं , रफ्ता-रफ्ता  नीलाम  हशमत मुल्क की करते यहाँ . जिम्मेवारी ताक पर रख फिरकेबंदी में खेलते , इनकी फितरती ख़लिश से ज़ाया फ़राखी यहाँ . देखकर ये रहनुमाई ताज्जुब करे ''शालिनी'' शास्त्री-गाँधी जी जैसे नेता थे कभी यहाँ . शब्दार्थ :-तानेजनी -व्यंग्य ,ताना रीरी -साधारण गाना ,नौसीखिए का गाना तलफ्फुज -उच्चारण ,सियाहत -पर्यटन ,तायफा -नाचने गाने आदि का व्यवसाय करने वाले लोगों का संघटित दल , रसूम -कानून ,शबाहत -अनुरूपता  ,इज़्तिराब-बैचनी  ,व्याकुलता   , शाईस्तगी- शिष्ट  तथा सभ्य होना ,हशमत -गौरव  ,ज़ाया -नष्ट  ,फ़राखी -खुशहाली

बसाने में एक बगिया ,कई जीवन लग जाते हैं .

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सरकशी बढ़ गयी देखो, बगावत को बढ़ जाते हैं , हवाओं में नफरतों के गुबार सिर चढ़ जाते हैं . ........................................................................... मुहब्बत मुरदार हो गयी,सियासी चालों में फंसकर , अब तो इंसान शतरंज की मोहरें नज़र आते हैं. .......................................................................... मुरौवत ने है मोड़ा मुंह ,करे अब क़त्ल मानव को , सियासत में उलझते आज इसके कदम जाते हैं . ........................................................................ हुई मशहूर ये नगरी ,आज जल्लाद के जैसे , मसनूई दिल्लगी से नेता, हमें फांसी चढाते हैं . .......................................................................... कभी महफूज़ थे इन्सां,यहाँ जिस सरपरस्ती में , सरकते आज उसके ही ,हमें पांव दिख जाते हैं . ............................................................................ सयानी आज की नस्लें ,नहीं मानें बुजुर्गों की , रहे जो साथ बचपन से ,वही दुश्मन बन जाते हैं . ............................................................................ जलाते फिर र