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नवंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कितना बदल गया इंसान ..........

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कितना बदल गया इंसान .......... पड़ोस में आंटी की सुबह सुबह चीखने की आवाज़ सुनाई दी .... ''अजी उठो ,क्या हो गया आपको ,अरे कोई तो सुनो ,देखियो क्या हो गया इन्हें ...'' हालाँकि हमारा घर उनसे कुछ दूर है किन्तु सुबह के समय कोलाहल के कम होने के कारण उनकी आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी ,मैंने ऊपर से आयी अपनी बहन से कहा कि ''आंटी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही हैं लगता है कि अंकल को कुछ हो गया है ,वैसे भी वे बीमार रहते हैं ''वह ये सुनकर एकदम भाग ली और उसके साथ मैं भी घर को थोडा सा बंदकर भागी ,वहाँ जाकर देखा तो उनके घर के बराबर में आने वाले एक घर से दो युवक उनकी सहायता के लिए आ गए थे किन्तु अंकल को जब डाक्टर को दिखाया तो वे हार्ट-अटैक के कारण ये दुनिया छोड़ चुके थे किन्तु आंटी के बच्चे दूर बाहर रहते हैं और उनके आने में समय लगता इसलिए उन्हें यही कहा गया कि अंकल बेहोश हैं .उनके पास उनके घर का कोई आ जाये तब तक के लिए मैं भी वहीँ रुक गयी .बात बात में मैंने उनसे पूछा कि आंटी ये सामने वाली आंटी क्या आजकल यहाँ नहीं हैं ?मेरा प्रश्न सुनकर उनकी आँख भर आयी और वे कहने लगी कि यह

एक और नौकर अपनी गरीबी की भेंट चढ़ गया .

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कहने के लिए देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री किन्तु जो कहना चाहिए वह कोई नहीं कहता जो कि वास्तव में शर्मनाक भी है और दुखद भी क्योंकि ये पहला मामला होगा जिसमे माँ-बाप ने अपनी बेटी को मारा और उसके बाद अपने अपराध को स्वीकार नहीं किया ,आमतौर पर जिन मामलों में ऑनर किलिंग होती है वहाँ अपनी संतान को मारने के बाद व्यथित माँ-बाप स्वयं अपने अपराध को स्वीकार लेते हैं किन्तु यहाँ मामला उल्टा ही है ,यहाँ न केवल अपराध को अलग रूप देने की कोशिश की गयी बल्कि कानून को भी धोखा देने के लिए भरसक प्रयत्न किये गए . आरुषि हेमराज की हत्या मामले को कोई अलग रूप देने की तो आवश्यकता ही नहीं थी एक सामान्य घटना को देखते हुए फ़ौरन ही ये मान लिया गया कि हेमराज से उसके अवैध ताल्लुकात थे और राजेश तलवार ने ये देखा और अचानक व् गम्भीर प्रकोपन के अधीन हेमराज व् आरुषि की हत्या की किन्तु समझ में ये नहीं आता कि जो बात सब समझ चुके हैं वह बात राजेश और नुपुर किससे छिपा रहे हैं ? एक नौकर की स्थिति यहाँ बहुत ख़राब है इसका ताज़ा मामला डॉ.जागृति ने दिखा ही दिया है और सभी देखते भी हैं कि जिस घर में नौकर हैं वहाँ कोई भी गलत काम हो

भ्रष्टाचार का वास्तविक दोषी कौन ?

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२० मार्च २०११ का हिंदुस्तान देखिये क्या कहता है- करप्शन कप का जारी खेल,पैसे की है रेलमपेल, कलमाड़ी के चौके तो ए-राजा के छक्के,सब हैं हक्के-बक्के, बना कर गोल्ड नीरा यादव हो गयी क्लीन-बोल्ड, नीरा राडिया की फील्डिंग,और वर्मा-भनोट की इनिंग, सी.बी.आई ने लपके कुछ कैच, हसन अली मैन ऑफ़ द मैच , आदर्श वालों की बैटिंग, बक अप जीतना है वर्ल्ड करप्शन कप. हांग-कांग स्थित पोलटिकल एंड इकोनोमिक रिस्क कंसल्टेंसी का खुलासा भ्रष्टाचार में भारत चौथे नंबर पर और स्थानीय स्तर के नेता राष्ट्रिय स्तर के नेताओं के मुकाबले अधिक भ्रष्ट . २४ मार्च २०११ के हिंदुस्तान के नक्कारखाने शीर्षक के अंतर्गत राजेंद्र धोद्परकर लिखते हैं''यहूदी की लड़की''नाटक का प्रख्यात संवाद है , ''तुम्हारा गम गम है हमारा गम कहानी , तुम्हारा खून खून है,हमारा खून पानी.'' अमेरिका के राष्ट्रपति थिओडोर रूजवेल्ट का एक वाक्य है  ,जो उन्होंने निकारागुआ के तानाशाह सोमोजा के बारे में कहा था कि''यह सही है कि वह है लेकिन वह हमारा है [छूटे हुए शब्द का

प्रतिबन्ध की लाइन में मोदी राहुल व् भंसाली

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प्रतिबन्ध की लाइन में मोदी राहुल व् भंसाली   आज मोदी की खुनी पंजा टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने उन्हें आगे से सतर्क रहने को कहा ,इससे पहले राहुल गांधी को मुज़फ्फरनगर दंगों के सम्बन्ध में यहाँ के युवकों से आई.एस.आई.के संपर्क की बात पर उन्हें भी चुनाव आयोग ने चेताया था .इधर भंसाली की रामलीला को लेकर कभी प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं तो कभी नाम बदलवाया जाता है .सवाल ये उठता है कि ये सब कदम जब ये लोग अपना मनचाहा कर चुके होते हैं तभी क्यूँ उठाये जाते हैं ?क्यूँ चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान नहीं लेता उच्चतम न्यायालय की तरह ?क्यूँ सेंसर बोर्ड को नहीं दिखता गलत शीर्षक व् भ्रमित करने के इरादे ?इसी कारण जो इन्हें करना होता है वे ये कर चुके होते हैं और इन आयोगों की कार्यप्रणाली भी ऐसी ही दृष्टिगोचर होती है जो इन्हें ये करने की आज़ादी देती है क्या इसके दुष्परिणाम जो जनता को भुगतने होते हैं वे उसी को दिखने चाहिए ?फिर इनके अस्तित्व का उद्देश्य ही क्या रह जाता है ? रोज़ रोज़ की ऐसी हरकतों से परेशानी जनता को ही झेलनी पड़ रही है ,कहीं दंगे तो कहीं आगजनी ,कहीं तोड़-फोड़ तो कहीं जाम किन्तु कानून व्यवस्था गायब .इन कार

मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक......

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सुषमा स्वराज कहती हैं -''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .'' और आश्चर्य है कि ऐसी सही सोच रखने वाली सुषमा जी जिस पार्टी से सम्बध्द हैं उसी पार्टी ने जिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है उन्ही ने मर्यादित भाषा की सारी सीमायें लाँघ दी हैं.व्यक्तिगत आक्षेप की जिस राजनीती पर मोदी उतर आये हैं वह राजनीति का स्तर निरंतर नीचे ही गिरा रहा है .सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर वे यह समझ रहे हैं कि अपने लिए प्रधानमन्त्री की सीट सुरक्षित कर लेंगे जबकि उनसे पहले ये प्रयास भाजपा के ही प्रमोद महाजन ने भी किया था उन्होंने शिष्ट भाषण की सारी सीमायें ही लाँघ दी थी किन्तु तब खैर ये थी कि वे भाजपा के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नहीं थे . अटल बिहारी वाजपेयी जी जैसे सुलझे हुए नेतृत्व में रह चुकी यह पार्टी जानती होगी कि कैसे संसदीय व् मर्यादित भाषा के इस्तेमाल के द्वारा अपन

जन्मदिन ये मुबारक हो '' इंदिरा'' की जनता को ,

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  अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी , वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी . .............................................................................. मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,, मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी . ........................................................................................ पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने , वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी . ....................................................................................... मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े , शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी . ....................................................................................... बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत , उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी . .............................................................................. जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से , वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी . ..........................

उचित समय पर उचित निर्णय -हार्दिक धन्यवाद् भारत सरकार

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उचित समय पर उचित निर्णय -हार्दिक धन्यवाद् भारत सरकार Bharat Ratna AWARD INFORMATION TYPE Civilian Category National Description An image of the Sun along with the words "Bharat Ratna", inscribed in Devanagari  script, on a  peepal  leaf Instituted 1954 Last awarded 2013 Total awarded 43 Awarded by Government of India Ribbon First awardee(s) Sarvepalli Radhakrishnan ,  Sir C.V. Raman ,  C. Rajagopalachari Last awardee(s) Sachin Tendulkar , Prof. CNR Rao रोटी ,आटा ,नमक ,प्याज़ ,नरेंद्र मोदी की बढ़ती असभ्यता ,राहुल गांधी का बढ़ता प्रभाव ,केजरीवाल के बढ़ते किलोमीटर और शीला दीक्षित के प्रति लोगों का सम्मान ,महंगाई का घेरा ,मंगल पर भारत का फेरा सब एक तरफ रखा रह गया तब जब एक खबर कानों में पड़ी ऐसी पड़ी कि सब मैल छंट गया और सब कुछ सही सही सुनाई देने लगा और वह ख़ुशी थी इस खबर के रूप में - Sachin first sportsperson to win country's highest civilian honour ... ''सचिन को भारत रत्न का मिलना हर भारतीय के लिए वह ख़ुशी है जो भारत सरकार ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न

सियासत-सेवा न रहकर खेल और व्यापार हो गयी .

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सियासत आज सिर पर सवार हो गयी , सेवा न रहकर खेल और व्यापार हो गयी . ....................................................................... मगरमच्छ आज हम सबके मसीहा हैं बने फिरते, मुर्शिद की हाँ में हाँ से ही मोहब्बत हो गयी . ........................................................................ बेबस है अब रिआया फातिहा पढ़ रही है , सियासी ईद पर वो शहीद हो गयी . .............................................................................. फसाद अपने घर में खुद बढ़के कर रहे हैं , अवाम इनके हाथों की शमशीर हो गयी . ........................................................................ शह दे रहे गलत की शहद भरी छुरी से , शहज़ादा देख शाइस्तगी काफूर हो गयी . ............................................................................ दायजा बनी दानिश अब इनकी महफ़िलों में , मेहनत की रोटी इनकी रखैल हो गयी . .............................................................. कहते हैं पहरेदारी हम कर रहे वतन की , जम्हूरियत जनाज़े में यूँ तब्दील हो गयी . ................................................

विवाह-पैसे से अधिक प्यार की दरकार .

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देवोत्थान एकादशी आ गयी बजने लगे बैंड बाजे ,चारों ओर बहुत पहले से ही शादी ब्याह के इस मुहूर्त की शोभा होने लगती है ,चहल-पहल बढ़ने लगती है ओर इससे भी बहुत पहले होने लगता है लड़के वालों के घर का नव-निर्माण बिलकुल ऐसे ही जैसे कि उन्हें वास्तव में इसी दिन की तलाश थी कि कब हमारे घर की लक्ष्मी आये औऱ हमारे घर की शोभा बढे . आरम्भ में तो ऐसा ही लगता है कि लड़के वाले बहु के आगमन की तैयारियां यही सब सोच कर करते हैं और जिस घर में रह रहे होते हैं चैन से आराम से ,सुकून से ,जिसमे उन्हें कोई परेशानी नहीं होती बल्कि एक ऐसा घर होता है वह उनके लिए जो कि आस-पास के सभी घरों से हर मायने में बेहतर होता है और तो और ऐसा कि उसके सामने अन्य कोई घर कबाड़े के अलावा कुछ नहीं होता किन्तु लड़के की शादी तय होते ही लड़के वाले उस घर में नए नए परिवर्तन करने लगते हैं न केवल रंगाई -पुताई अपितु फर्श से लेकर दीवार तक खिड़की से लेकर घर की चौखट तक वे पलट डालते हैं ,लगता था कि वास्तव में कितना उत्साह होता है बहु लाने का ,किन्तु जब असलियत मालूम हुई तो पैरों तले जमीन ही खिसक गयी क्योंकि ये उत्साह यहाँ लड़के को तो जीवनसाथी पाने का तो ह

चुनावी हथकंडा -एक लघु कथा .

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चुनावी हथकंडा -एक लघु कथा .   मम्मी-मम्मी देखो आंटी क्या कह रही हैं ?श्रुति को यूँ चीखते हुए देख मीना तेज़ी से अपना हाथ लिखने से रोककर बोली ,''क्या हुआ श्रुति !अब क्या कह दिया अरुणा आंटी ने ,मम्मी कल तक तो फिर भी बर्दाश्त की जद में था ,जब वे यह कहती थी कि मेरा एडमिशन स्कूल में उन्होंने कराया ,पापा को एक्सीडेंट से बचाया ,भैया को प्रमोशन दिलाया और आपको नॉमिनेट कराया ,पर आज तो वे जो कह रही हैं वह तो बर्दाशत की हद पार कर रहा है ,श्रुति मुंह फुलाते हुए बोली ,पर आज क्या कह दिया अरुणा ने बता तो ,मम्मी ,आज तो आंटी ये कह रही हैं ,''कि हमारा घर उन्हीं का है ,जो आपने और पापा ने उनके अपनों का क़त्ल कराकर ''खुनी पंजे व् जालिम हाथ ''से हासिल किया था .'' ''कोई बात नहीं बेटा कहने दे ,देश में संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है और जब देश में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कुछ भी ऊट-पटाँग बोल सकता है तो फिर वे क्यूँ नहीं ?वे भी तो कॉलोनी में चैयरमैन पद की प्रत्याशी हैं .'' ''अच्छा मम्मी ,ये आंटी का चुनावी हथकंडा है ,फिर कोई बात नही ,य

आजकल की सास

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आजकल की सास आजकल की सास बहू को पार लगा देगी , बेटे की नैया की पतवार डुबा देगी . ***************************************************** समधी बोला समधिन सुनले काम न आवे बिटिया को , समधिन बोले घर तो खुद ही खूब चला लेगी . ************************************************************* समधिन बोले सुन लो समधी माल तो लूंगी खरा खरा , कमी अगर की लेशमात्र भी आग लगा देगी . ******************************************************** बेटा बोला घरवाली को साथ मैं अपने रखूँगा , देख ये तेवर पूरे घर को सिर पे उठा लेगी . *********************************************************** रोटी दो ही मिलेंगी तुझको दाल मिलेगी चमचा भर , बस इतना दे सारे दिनभर नाच नचा लेगी . ******************************************************** बेटे की न बने बहू से रोटी गले से उतर रही , दोनों खुश दिख जाएँ अगर तकरार करा देगी . ********************************************************* बहू अगर न करने वाली कमी गायेगी सारे में , करे अगर वो सास की खातिर नाक चढ़ा लेगी . ******************************************************** नाकाबिल हो तो सि

कॉंग्रेस का नहीं सही का समर्थन तो करो .

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कॉंग्रेस का नहीं सही का समर्थन तो करो . एक कहावत है शायद सभी ने सुनी होगी - ''देर आयद दुरुस्त आयद '' और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के मामले में कॉंग्रेस द्वारा इस पर रोक लगाये जाने का प्रस्ताव रखना एक ऐसा ही काम है किन्तु हमारे यहाँ एक परिपाटी बन गयी है कि जिसका विरोध करना है उसका विरोध ही करना है भले ही वह सही बात पर भी हो किन्तु देखा जाये तो ये एक गलत परंपरा है क्योंकि यदि हम सभी इन सर्वेक्षणों की गहराई में जाएँ तो ये आम भारतीय जनता का सही व् पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं करते जिसके लिए आज हम सभी लड़ रहे हैं .हम सभी चाहते हैं कि सत्ता में वह दल हो जिसे हमारा पूर्ण समर्थन हो किन्तु अपने इस मत के लिए हम आज सही बात पर बोलने वाली कॉंग्रेस को ये कहकर कि उसे अपनी हार का डर है इसलिए वह इन पर रोक लगाने की बात कर रही है जबकि ये कहकर हम स्वयं सत्य से मुंह मोड़ रहे हैं .हम सभी जानते हैं कि इन सर्वेक्षणों में सम्बंधित क्षेत्र के पूरे/आधे तो क्या चौथाई प्रतिनिधियों का मत भी सम्मिलित नहीं होता .यदि इसमें चुनाव में बहती हवा का २५% भी शामिल हो तो इस पर विचार किया जा सकता है किन्तु ये भी

''शालिनी''के दीप हजारों काम यही कर जायेंगे -दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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वसुंधरा के हर कोने को जगमग आज बनायेंगे , जाति-धर्म का भेद-भूलकर मिलकर दीप जलाएंगे . ....................................................................... पूजन मात्र आराधन से मात विराजें कभी नहीं , होत कृपा जब गृहलक्ष्मी को हम सम्मान दिलायेंगें . ............................................................................. आतिशबाजी छोड़-छोड़कर बुरी शक्तियां नहीं मरें , करें प्रण अब बुरे भाव को दिल से दूर भगायेंगे . .............................................................................. चौदह बरस के बिछड़े भाई आज के दिन ही गले मिले , गले लगाकर आज अयोध्या भारत देश बनायेंगे . ................................................................................... सफल दीवाली तभी हमारी शिक्षित हो हर एक बच्चा , छाप अंगूठे का दिलद्दर घर घर से दूर हटायेंगे . ............................................................................... भ्रष्टाचार ने मारा धक्का मुहं खोले महंगाई खड़ी , स्वार्थ को तजकर मितव्ययिता से इसको धूल चटाएंगे . ......................................................