विवाह-पैसे से अधिक प्यार की दरकार .




देवोत्थान एकादशी आ गयी बजने लगे बैंड बाजे ,चारों ओर बहुत पहले से ही शादी ब्याह के इस मुहूर्त की शोभा होने लगती है ,चहल-पहल बढ़ने लगती है ओर इससे भी बहुत पहले होने लगता है लड़के वालों के घर का नव-निर्माण बिलकुल ऐसे ही जैसे कि उन्हें वास्तव में इसी दिन की तलाश थी कि कब हमारे घर की लक्ष्मी आये औऱ हमारे घर की शोभा बढे .
आरम्भ में तो ऐसा ही लगता है कि लड़के वाले बहु के आगमन की तैयारियां यही सब सोच कर करते हैं और जिस घर में रह रहे होते हैं चैन से आराम से ,सुकून से ,जिसमे उन्हें कोई परेशानी नहीं होती बल्कि एक ऐसा घर होता है वह उनके लिए जो कि आस-पास के सभी घरों से हर मायने में बेहतर होता है और तो और ऐसा कि उसके सामने अन्य कोई घर कबाड़े के अलावा कुछ नहीं होता किन्तु लड़के की शादी तय होते ही लड़के वाले उस घर में नए नए परिवर्तन करने लगते हैं न केवल रंगाई -पुताई अपितु फर्श से लेकर दीवार तक खिड़की से लेकर घर की चौखट तक वे पलट डालते हैं ,लगता था कि वास्तव में कितना उत्साह होता है बहु लाने का ,किन्तु जब असलियत मालूम हुई तो पैरों तले जमीन ही खिसक गयी क्योंकि ये उत्साह यहाँ लड़के को तो जीवनसाथी पाने का तो होता ही है उससे भी कहीं ज्यादा उसे और उसके परिजनों को होता है एक ऐसे दहेज़ का जिसके लिए वे बचपन से लेकर आज तक अपने लड़के को पढ़ाते आये थे ,उसकी ज़रूरतों को पूरा करते आये थे ,कुल मिलाकर उनका निवेश अब चार गुना होकर मिलने का समय आ जाता है और यही कारण है लड़के वालों का घर में बहुत से नव-परिवर्तन कराने का ,जिनके लिए सारा धन वे लड़की वालों से लेने वाले हैं .
आज लोगों ने इस सम्बन्ध को इतना निम्न स्तर प्रदान कर दिया है कि कहीं भी शादी -ब्याह के सुअवसर पर दोनों पक्ष के लोगों में मेल-मिलाप की ख़ुशी नहीं दिखाई देती अपितु दिखाई देता है कोरा आडम्बर और एक दुसरे को पैसे में नीचा दिखाने की भावना जिसने इस सुन्दर अवसर को निकृष्ट स्वरुप प्रदान कर दिया है .
कौन समझाए कि ये अवसर दो लोगों के ही मेल-मिलाप का नहीं अपितु दो परिवारों दो संस्कृतियों के मेल का अवसर है और लड़का हो या लड़की दोनों के लिए एक नव जीवन की शुरुआत है जिसमे उन्हें सभी का प्यार व् सहयोग आवश्यक है न कि दिखावा और नीच-ऊंच की भावना .अगर इस सम्बन्ध को एक मीठा एहसास देना है तो इसमें प्यार भरें ,विश्वास भरें न कि पैसे और कुटिलता फिर देखिये ये मधुरता की मिसाल अवश्य कायम करेगा .



टिप्पणियाँ
मित्रों कुछ व्यस्तता के चलते मैं काफी समय से
ब्लाग पर नहीं आ पाया। अब कोशिश होगी कि
यहां बना रहूं।
आभार
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (15-11-2013) को "आज के बच्चे सयाने हो गये हैं" (चर्चा मंचःअंक-1430) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
kisee ka diya paisa kitane din chalega?
Bahu ko diya pyar to dugana ha kar milega.