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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शामली जनपद की जिला जज कोर्ट का कैराना हकदार

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   योगी सरकार का प्रदेश में सत्तारूढ होना प्रदेश के लिए लगभग सभी मायनों में प्रदेश के लिए लाभकारी दिखाई दे रहा है. योगी सरकार ने अपनी छठी कैबिनेट बैठक में लिये गये इन फैसलों से कैराना के अधिवक्ताओं में पुन:उममीद की किरण जगा दी वे फैसलै हैं - -फैजाबाद व अयोध्या को मिलाकर अयोध्या नगर निगम बनाया जाएगा। - बैठक में मथुरा-वृंदावन नगर निगम बनाने को भी दी मंजूरी। अब योगी सरकार से मेरा निवेदन जिस मांग को लेकर है वह यह है शामली 28 सितम्बर २०११ को मुज़फ्फरनगर से अलग करके एक जिले के रूप में स्थापित किया गया .जिला बनने से पूर्व शामली तहसील रहा है और यहाँ तहसील सम्बन्धी कार्य ही निबटाये जाते रहे हैं. न्यायिक कार्य दीवानी ,फौजदारी आदि के मामले शामली से कैराना और मुज़फ्फरनगर जाते रहे हैं और जिला बनने से लेकर आज तक शामली तरस रहा है एक जिले की तरह की स्थिति पाने के लिए क्योंकि सरकार द्वारा अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए जिलों की स्थापना की घोषणा तो कर दी जाती है किन्तु सही वस्तुस्थिति जो क़ि एक जिले के लिए चाहिए उसके बारे में उसे न तो कोई जानकारी चाहिए न उसके लिए कोई प्रयास ही सरकार द्वारा

न भाई ! शादी न लड्डू

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  ''शादी करके फंस गया यार ,     अच्छा खासा था कुंवारा .'' भले ही इस गाने को सुनकर हंसी आये किन्तु ये पंक्तियाँ आदमी की उस व्यथा का चित्रण करने को पर्याप्त हैं जो उसे शादी के बाद मिलती है .आज तक सभी शादी के बाद नारी के ही दुखों का रोना रोते आये हैं किन्तु क्या कभी गौर किया उस विपदा का जो आदमी के गले शादी के बाद पड़ती है .माँ और पत्नी के बीच फंसा पुरुष न रो सकता है और  न हंस सकता है .एक तरफ माँ होती है जो अपने हाथ से अपने बेटे की नकेल निकलने देना नहीं चाहती और एक तरफ पत्नी होती है जो अपने पति पर अपना एक छत्र राज्य चाहती है .     आम तौर पर भी यह देखने में आया है कि लड़के की शादी को तब तक के लिए टाल दिया जाता है जब तक उसकी बहनों का ब्याह न हो जाये क्योंकि एक धारणा यह भी प्रबल है कि लड़का शादी के बाद पत्नी के काबू में हो जाता है और फिर वह घर का कुछ नहीं करता जबकि जब अपनी लड़की को ब्याहते हैं तो ये चाहते हैं कि लड़का अपनी पत्नी का मतलब उनकी बेटी का हर तरह से ख्याल रखे और उसे कोई भी कष्ट न होने दे ,किन्तु बहु के मामले में उनकी सोच दूसरे की बेटी होने के कारण परिवर्तित हो ज

.............तभी कम्बख्त ससुराली ,

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थी कातिल में कहाँ हिम्मत  ,मुझे वो क़त्ल कर देता  ,         अगर  मैं  अपने  हाथों  से  ,न  खंजर  उसको  दे  देता  . ............................................................................... वो  बढ़  जाए  भले  आगे  ,लिए  तलवार  हाथों  में  , मिले  न  जिस्म  मेरा  ये  ,क़त्ल  वो  किसको  कर  लेता  . ................................................................................. बढ़ाते  हैं  हमीं  साहस  ,जुर्म  करने  का  मुजरिम  में  , क्या  नटवर  लाल  सबके  घर  ,तिजोरी  साफ़  कर  लेता  . .......................................................................... जला  देते  हैं  बहुओं  को  ,तभी  कम्बख्त  ससुराली  , बेचारी  बेटियों  का  जब  ,मायका साथ  न  देता  . ......................................................................... कहीं गुंडे नहीं पलते  ,न गुंडागर्दी चलती है  , समझकर '' शालिनी '' को जब  ,ज़माना साथ है देता  . ..................................................................... शालिनी कौशिक     [कौशल    ]       

हम मजबूरों की एक और मजबूरी - बाल मजदूरी

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”बचपन आज देखो किस कदर है खो रहा खुद को , उठे न बोझ खुद का भी उठाये रोड़ी ,सीमेंट को .” ........................................................................ ”लोहा ,प्लास्टिक ,रद्दी आकर बेच लो हमको , हमारे देश के सपने कबाड़ी कहते हैं खुद को .” ....................................................................... ”खड़े हैं सुनते आवाज़ें ,कहें जो मालिक ले आएं , दुकानों पर इन्हीं हाथों ने थामा बढ़के ग्राहक को .” ........................................................................... ”होना चाहिए बस्ता किताबों,कापियों का जिनके हाथों में , ठेली खींचकर ले जा रहे वे बांधकर खुद को .” ....................................................................... ”सुनहरे ख्वाबों की खातिर ये आँखें देखें सबकी ओर , समर्थन ‘शालिनी ‘ का कर इन्हीं से जोड़ें अब खुद को .” ................................................................ शालिनी कौशिक [कौशल ] COPY CODE SNIPPET

हिंदी ब्लॉगिंग हिंदी को मान दिलवाने में सक्षम

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            हिंदी ब्लॉग्गिंग आज लोकप्रियता के नए नए पायदान चढ़ने में व्यस्त है .विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं की तानाशाही आज टूट रही है क्योंकि उनके द्वारा अपने कुछ चयनित रचनाकारों को ही वरीयता देना अनेकों नवोदित कवियों ,रचनाकारों आदि को हतोत्साहित करना होता था और अनेकों को गुमनामी के अंधेरों में धकेल देता था किन्तु आज ब्लॉगिंग के जरिये वे अपने समाज ,क्षेत्र और देश-विदेश से जुड़ रहे हैं और अपनी भाषा ,संस्कृति ,समस्याएं सबके सामने ला रहे हैं . ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आज सर्वाधिक हिंदी क्षेत्रों के चिट्ठाकार जुड़े हैं और.अंग्रेजी शुदा इस ज़माने में हिंदी के निरन्तर कुचले हुए स्वरुप को देख आहत हैं किन्तु हिंदी को उसका सही स्थान दिलाने में जुटे हैं और इस पुनीत कार्य में ज़माने से जुड़े रहने को अंग्रेजी से २४ घंटे जुड़े रहने वाले भी हिंदी में ब्लॉग लेखन में व्यस्त हैं . हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं मातृभाषा भी है और दिल की गहराइयों से जो अभिव्यक्ति हमारी ही कही जा सकती है वह हिंदी में ही हो सकती है क्योंकि अंग्रेजी बोलते लिखते वक़्त हम अपने देश से ,समाज से ,अपन

लो भई योगी सरकार गई काम से

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हाय रे!  योगी सरकार ऐसी गलती कैसे कर गयी, सुबह का अखबार देख केवल मेरा ही नहीं बल्कि सारी महिलाओं का माथा ठनक गया. समाचार कुछ यूँ था- "बसों में मुफत सफर करेंगी 60 साल से ऊपर की महिलायें"     समाचार  ही ऐसा था कि किसी के भी मुंह से योगी सरकार के लिए आशीर्वाद को हाथ नहीं उठे,  वजह कोई जानना कठिन थोड़े ही है, वो तो सब जानते ही हैं.       इस दुनिया में आदमी हो या औरत, अपनी उमर कोई भी बताना नहीं चाहता और योगी सरकार के इस निर्णय के मुताबिक मुफत सफर के लिए जो परिचय पत्र बनेगा उसमें उमर का साक्षय लिया जायेगा, बस हो गया साबित कि मुफत सफर वाली औरत, यानी साठ साल से ऊपर, यानी बूढी, भला कौन औरत अपने को बूढी सुनना चाहेगी.      लो भई योगी सरकार गई काम से. शालिनी कौशिक (कौशल) 

सोशल मीडिया

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जनलोकपाल का मुद्दा और जनांदोलन कोई ऐसी नयी बात नहीं थी पहले भी ऐसे बहुत से मुद्दे लेकर जनांदोलन होते रहे  और थोड़ी बहुत असहज परिस्थितियां सरकार के लिए उत्पन्न करते रहे किन्तु यह आंदोलन अन्ना और केजरीवाल की अगुआई में एक ऐसा आंदोलन बना कि सरकार की जड़ें हिला दी कारण था इसका सोशल साइट्स से भी जुड़ा होना और सोशल साइट्स के माध्यम से जनता के एक बहुत बड़े वर्ग की इसमें भागीदारी और इसी का परिणाम रहा दशकों से लटके जनलोकपाल के मुद्दे पर सरकार का सकारात्मक कदम उठाना। रेप ,गैंगरेप रोज़ होते हैं थोड़ी चर्चा का विषय बनते हैं और फिर भुला दिए जाते हैं किन्तु १६ दिसंबर २०१२ की रात को हुआ दामिनी गैंगरेप कांड देश ही नहीं सम्पूर्ण विश्व को हिला गया और इसका कारण भी वही था सोशल साइट्स ,सोशल साइट्स के माध्यम से रातो रात ये खबर सारे विश्व में फ़ैल गयी और इन सोशल साइट्स ने ही जगा दी संवेदना सदियों से सोयी उस दुनिया की जो रेप ,गैंगरेप की दोषी पीड़िता को ही मानते रहे सदा सर्वदा और पहली बार दुनिया उठ खड़ी हुई एक पीड़िता के साथ इस अपराध के खिलाफ उसके लिए न्याय की मांग करने को . महंगाई ,भ्रष्टाचार ,मह

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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अर्पण करते स्व-जीवन शिक्षा की अलख जगाने में , रत रहते प्रतिपल-प्रतिदिन  शिक्षा की राह बनाने में . .......................................................................................... आओ मिलकर करें स्मरण नमन करें इनको मिलकर , जिनका जीवन हुआ सहायक हमको सफल बनाने में . ......................................................................................... जीवन-पथ पर आगे बढ़ना इनसे ही हमने सीखा , ये ही निभाएं मुख्य भूमिका हमको राह  दिखाने में    . ....................................................................................... खड़ी बुराई जब मुहं खोले हमको खाने को तत्पर , रक्षक बनकर आगे बढ़कर ये ही लगे बचाने में . ................................................................................... मात-पिता ये नहीं हैं होते मात-पिता से भी बढ़कर , गलत सही का भेद बताकर लगे हमें समझाने में . ................................................................................... पुष्प समान खिले जब शिष्य प्रफुल्लित मन हो इनका , करें अनुभव गर्व यहाँ ये