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अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कैराना फिर अपराधियों के घेरे में

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कैराना वह कस्बा जो संगीत के क्षेत्र में किराना घराने की उपाधि से, धर्म के क्षेत्र में कांवड़ियों की मुख्य मध्यस्थ राह के रूप में, कानून के क्षेत्र में शामली जिले की जिला कोर्ट शामली स्थित कैराना के नाम से, राजनीतिक हल्कों में स्व बाबू हुकुम सिंह और मरहूम मुनव्वर हसन की कार्यस्थली और आपराधिक मामलों में व्यापारियों के भारी उत्पीड़न - हत्याओं के चलते कैराना पलायन से विश्व विख्यात रहा है और अपनी इसी खूबी के चलते राजनेताओं और सत्ता की धमक यहां नजर आती ही रहती है, इसी कारण वर्तमान योगी सरकार द्वारा कैराना क्षेत्र को लेकर खास ध्यान दिया गया और यहां पी ए सी कैंप की स्थापना की घोषणा की गई किन्तु पी ए सी कैंप की भूमि के शिलान्यास के कई माह बीतने के बावजूद सरकारी अन्य योजनाओं की भांति यह योजना भी ठंडे बस्ते में नजर आ रही है और इसका खासा असर दिखाई दे रहा है.  कैराना के प्राचीन सिद्ध पीठ मन्दिरों पर, जहां 1 सप्ताह के भीतर ही दो सिद्ध पीठ मन्दिरों में बहुत बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जाता है और पुलिस प्रशासन उन्हें खोलने में नाकाम दिखाई देता है.      ये चोरियां एक साधारण घटना के रूप में नहीं

तेंदुआ कहाँ गया - शामली

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उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कांधला थाना क्षेत्र के गांव कनियान भनेडा के जंगल में पिछ्ले माह जुलाई की 26 तारीख से तेंदुआ होने की आहट थी, जहां रात को तेंदुआ देखे जाने के बाद से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था , ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाकर तेंदुए की तलाश शुरू की, सूचना के तत्काल पश्चात रेंजर वन विभाग राजेश कुमार सहित वन विभाग की टीम खूंखार तेंदुए को पकड़ने के मौके पर पहुंच गई तथा तेंदुए की तलाश में वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान शुरू किया । काफी रात होने के चलते वन विभाग की टीम तेंदुए को नहीं पकड़ सकी। तेंदुए की धरपकड़ के लिए वन विभाग की टीम ने मौके पर सर्च अभियान चलाए. क्षेत्र में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में तेंदुआ देखे जाने की सूचना से दहशत व्याप्त होती रही । गांव कनियान के बाद अट्टा, भारसी, ग्राम पंचायत नाला में कुछ ग्रामीणों के द्वारा खेत के समीप तेंदुआ घूमते हुए देखे जाने की सूचना वन विभाग को दी गई पर तेंदुआ नहीं मिला और वन विभाग की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. इसके बाद तेंदुआ होने की सूचना आई कैराना क्षेत्र कर गाँव जगनपुर से.  तेंदुए

फलक पर आज फहराए

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  तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए , फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए . ............................................... रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके , मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए . ............................................. मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी, शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए . ............................... क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को , इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए . .................................. शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का , हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए . .................................. वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका , पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए . ........................ दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका , ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए . ............................ शालिनी कौशिक एडवोकेट 

लड्डू नहीं है शादी

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      ''शादी करके फंस गया यार ,           अच्छा खासा था कुंवारा .''           भले ही इस गाने को सुनकर हंसी आये किन्तु ये पंक्तियाँ आदमी की उस व्यथा का चित्रण करने को पर्याप्त हैं जो उसे शादी के बाद मिलती है .आज तक सभी शादी के बाद नारी के ही दुखों का रोना रोते आये हैं किन्तु क्या कभी गौर किया उस विपदा का जो आदमी के गले शादी के बाद पड़ती है .माँ और पत्नी के बीच फंसा पुरुष न रो सकता है और  न हंस सकता है .एक तरफ माँ होती है जो अपने हाथ से अपने बेटे की नकेल निकलने देना नहीं चाहती और एक तरफ पत्नी होती है जो अपने पति पर अपना एक छत्र राज्य चाहती है .         आम तौर पर भी यह देखने में आया है कि लड़के की शादी को तब तक के लिए टाल दिया जाता है जब तक उसकी बहनों का ब्याह न हो जाये क्योंकि एक धारणा यह भी प्रबल है कि लड़का शादी के बाद पत्नी के काबू में हो जाता है और फिर वह घर का कुछ नहीं करता जबकि जब अपनी लड़की को ब्याहते हैं तो ये चाहते हैं कि लड़का अपनी पत्नी का मतलब उनकी बेटी का हर तरह से ख्याल रखे और उसे कोई भी कष्ट न होने दे ,किन्तु बहु के मामले में उनकी सोच दूसरे की बेटी होने के

राखी - एक भावना

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 राखी एक भावना भाई - बहन के प्यार की बचपन के दुलार की बहन बांधेगी एक धागा मीठा खिलायेगी और भाई बहन को देगा उपहार जिसमें छिपा होगा उसका प्यार बचपन में बस इतना ही है राखी का त्योहार अब उठता है प्रश्न  राखी का सही अर्थ कौन बतलायेगा, भाई को सही फ़र्ज़ कौन समझायेगा किताबें धरी की धरी रह गई मोबाइल और नेट की ही पीढ़ी बन गई. करो सर्च गूगल पर फोटो छपे हैं कहीं भाव राखी के नहीं लिखे गए हैं. हमारे बडों की है ये जिम्मेदारी बताएं बच्चों को सच्चाई सारी कि सुनले तू बेटा भले ना दे पैसे न दे उपहार उठा अपने कांधे पर बहन की रक्षा का भार. रक्षा बंधन पर्व की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹 द्वारा शालिनी कौशिक एडवोकेट

बुजुर्ग मोहपाश छोडकर कानून अपनाएं

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  जुबैर अहमद ने अपने ब्लॉग ''बी.बी.सी ''में लिखा कि राजेश खन्ना जी को शायद तनहाइयाँ  मर गयी .तन्हाई शायद यही तन्हाई उनकी जिंदगी में अनीता आडवानी के साथ लिव -इन- रिलेशन के रूप में गुज़र रही थी  न केवल फिल्मो में बल्कि आज सभी जगह देश हो या  विदेश शहर हो या गाँव अपनों के साथ छोड़ने पर बड़ी उम्र के लोग तनहाइयों में जीवन गुज़ारने को विवश हैं और उनमे से कितने ही ये रास्ता अपनाने लगे हैं जिसकी शायद उन्होंने  उम्र  के आरंभिक दौर में आलोचना की होगी. कुछ समय पहले शामली [उत्तर प्रदेश ]में ओम प्रकाश -गसिया प्रकरण चर्चा में रहा .बेटों ने बाप की वृद्धावस्था में देखभाल नहीं की और एक अन्य महिला ने जब सेवा -सुश्रुषा की तो उसे अपनी पेंशन जो स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें मिलती है ,दिलाने के लिए उन्होंने कोर्ट-मैरिज की सोची  ये समाचार फैलते ही बेटों के आराम में खलल पड़ा और उन्होंने इसे रोकने को एडी चोटी का जोर लगा दिया .हाल ये है कि प्रतिष्ठा व् जायदाद बच्चों के लिए बूढ़े माँ-बाप से ऊपर स्थान रखते हैं और जब प्रतिष्ठा पर आंच आती है या जायदाद छिनने की  नौबत  आती है तब उन्हें बूढ़े माँ-

अधिवक्ता एक बार फिर सर्वोच्च शिखर पर

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    6 अगस्त 2022 को देश के 14 वें उपराष्ट्रपति के रूप में जगदीप धनखड़ जी का चयन मात्र एक राजनीतिज्ञ, एक किसान पुत्र की ही जीत नहीं है बल्कि यह एक बार फिर अधिवक्ता समुदाय का भारतीय राजनीति में दखल और प्रभाव दिखा गया है यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा कि इसमें जीत या हार किसी की भी होती किन्तु पद के लिए चुना एक अधिवक्ता ही जाता.            धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गाँव 'किठाना' में जाट के घर हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा किठाना गांव के स्कूल में हुई। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। स्कूली शिक्षा के बाद जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के प्रतिष्ठित महाराज कॉलेज जयपुर में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने फिजिक्स में BSE की डिग्री ली| साल 1978  में उन्होंने जयपुर विश्वविद्यालय में एलएलबी कोर्स में एडमिशन लिया। कानून की डिग्री लेने के लेने बाद जगदीप धनखड़ ने वकालत शुरू कर दी और साल 1990 में जगदीप धनखड़ को राजस्थान हाईकोर्ट

पुरुष मन की कल्पना

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  अधिकार  सार्वभौमिक सत्ता  सर्वत्र प्रभुत्व  सदा विजय  सबके द्वारा अनुमोदन  मेरी अधीनता  सब हो मात्र मेरा  कर्तव्य  गुलामी  दायित्व ही दायित्व  झुका शीश  हो मात्र तुम्हारा  मेरे हर अधीन का  बस यही कल्पना  हर पुरुष मन की . शालिनी कौशिक     

योगी जी कैराना में स्थापित करें जनपद न्यायालय शामली

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         2011 में 28 सितंबर को शामली जिले का सृजन किया गया. तब उसमें केवल शामली और कैराना तहसील शामिल थी. इससे पहले शामली और कैराना तहसील मुजफ्फरनगर जनपद के अंतर्गत आती थी. कुछ समय बाद शामली जिले में ऊन तहसील बनने के बाद अब शामली जिले के अंतर्गत तीन तहसील कार्यरत हैं. 2018 के अगस्त तक शामली जिले का कानूनी कार्य मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत ही कार्यान्वित रहा किन्तु अगस्त 2018 में शामली जिले की कोर्ट शामली जिले में जगह का चयन न हो पाने के कारण कैराना में आ गई और इसे नाम दिया गया -" जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना. "         2018 से अब तक मतलब जुलाई 2022 तक शामली जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जिला जज की कोर्ट के लिए जगह का चयन हो जाने के बाद शासन द्वारा 51 एकड़ भूमि जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के लिए आवंटित की गयी थी, जिसमें चाहरदीवारी के निर्माण के लिए 4 करोड़ की धन राशि अवमुक्त की गई थी जिससे अब तक केवल बाउंड्रीवाल का ही निर्माण हो पाया है. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 295 करोड़ रुपये का ए

मौत

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दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है , आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है . ............................................................... बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी , मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है . ................................................................. बेवफा है जिंदगी न करना मौहब्बत , रफ्ता-रफ्ता ज़हर का अंजाम मौत है . ............................................................... महबूबा बावफ़ा है दिल के सदा करीब , बढ़कर गले लगाती मुमताज़ मौत है . ................................................................. महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के , मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है . ................................................................. करती नहीं है मसखरी न करती तअस्सुब, मनमौजी जिंदगी का तकब्बुर मौत है . ................................................................ ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से , तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है . ................................................................. तक़रीर नहीं सुनती न करती तकाजा , न पड़ती तकल्लुफ में तकदीर म