तेंदुआ कहाँ गया - शामली


उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कांधला थाना क्षेत्र के गांव कनियान भनेडा के जंगल में पिछ्ले माह जुलाई की 26 तारीख से तेंदुआ होने की आहट थी, जहां रात को तेंदुआ देखे जाने के बाद से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था , ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाकर तेंदुए की तलाश शुरू की, सूचना के तत्काल पश्चात रेंजर वन विभाग राजेश कुमार सहित वन विभाग की टीम खूंखार तेंदुए को पकड़ने के मौके पर पहुंच गई तथा तेंदुए की तलाश में वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान शुरू किया । काफी रात होने के चलते वन विभाग की टीम तेंदुए को नहीं पकड़ सकी। तेंदुए की धरपकड़ के लिए वन विभाग की टीम ने मौके पर सर्च अभियान चलाए. क्षेत्र में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में तेंदुआ देखे जाने की सूचना से दहशत व्याप्त होती रही । गांव कनियान के बाद अट्टा, भारसी, ग्राम पंचायत नाला में कुछ ग्रामीणों के द्वारा खेत के समीप तेंदुआ घूमते हुए देखे जाने की सूचना वन विभाग को दी गई पर तेंदुआ नहीं मिला और वन विभाग की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. इसके बाद तेंदुआ होने की सूचना आई कैराना क्षेत्र कर गाँव जगनपुर से. तेंदुए की वजह से जगनपुर के साथ ही आसपास के गांव कंडेला, शेखुपुरा, बराला और भूरा गांव के लोगों में भी दहशत व्याप्त है। किसान अपने खेतों पर जाने से घबरा रहे हैं। वहीं वन विभाग की टीम जगनपुर के जंगल में पिंजरा लगाकर रातभर सर्च अभियान चला कर भी तेंदुआ नहीं पकड़ सकी. 
 पिंजरे के अंदर तेंदुए को आकर्षित करने के लिए कुत्ता बांधा गया. जगनपुर के ग्राम प्रधान राकेश ने बताया कि सुबह के समय कंडेला निवासी मदन ने फोन पर बताया  कि उनके गांव के जंगल से तेंदुए को एक लावारिस घूमने वाले बछड़े को उठा कर ले जाते देखा गया। वहीं दरोगा जयकिशोर ने बताया कि मंगलवार सुबह उन्हें गोगवान के ग्रामीणों ने फोन करके बताया था कि सुबह करीब साढ़े 5 बजे गोगवान के खड़ंजे पर उन्होंने तेंदुआ जाते हुए देखा है। जिसके बाद वो गोगवान गए थे और ग्रामीणों से पूछताछ की थी लेकिन अभी तक तेंदुए द्वारा किसी भी ग्रामीण पर हमला करने की बात सामने नहीं आई है। उधर वन विभाग के बीट प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि जगनपुर में पिंजरा लगाया गया है लेकिन तेंदुए की अभी तक कोई सटीक सूचना नहीं मिली। ये सभी सूचनाएं 10 अगस्त तक मिलती रही और उसके बाद एकदम से बंद हो गई, 10 अगस्त 2022 के बाद न तो तेंदुए के देखे जाने की कोई सूचना आती है, न तेंदुए के पकड़े जाने की. आखिर कहां गया तेंदुआ? आखिर कब तक शामली जिले के ग्रामीण दहशत के साये में जीने के लिए मजबूर रहेंगे? क्या तेंदुआ पकड़ा जाएगा या फिर किसी की जिंदगी को लील जाएगा? अपराध, बन्दर, आवारा गौ वंश, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक शोषण के साथ साथ क्या क्या झेलना पड़ेगा शामली जिले के किसानों को, ग्रामीणों को, सब कुछ आज भविष्य के गर्त में है. 





शालिनी कौशिक 
एडवोकेट 
कैराना (शामली) 

 

टिप्पणियाँ

अनीता सैनी ने कहा…
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०८ -२०२२ ) को 'भूख'(चर्चा अंक -४५३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
Shalini kaushik ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी 🙏🙏
Sudha Devrani ने कहा…
ऐसी स्थिति वाकई भयावह रहती है...
सामयिक सूचना पर आधारित ।
Shalini kaushik ने कहा…
आलेख तेंदुए के पास पहुंच गया है और वह अपने दो बच्चों को लेकर ग्रामीण पर हमला करने के लिए आ गई है. टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद सुधा जी

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