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नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संविधान दिवस आयोजन - भारत जोड़ो यात्रा की सफ़लता

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      26 नवंबर - विधि दिवस - संविधान दिवस के रूप में 1949 से स्थापित हो गया था। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया और तभी से भारत गणराज्य में 26 नवंबर का दिन "संविधान दिवस - विधि दिवस" के रूप में मनाया जाता है.       देश में एक लम्बे समय तक कॉंग्रेस पार्टी की ही सरकार रही है और क्योंकि कॉंग्रेस पार्टी के ही अनथक प्रयासों से देश में संविधान का शासन स्थापित हुआ है इसलिए कॉंग्रेस पार्टी के द्वारा संविधान दिवस मनाया जाना आरंभ से ही उसकी कार्यप्रणाली में सम्मिलित रहा है किन्तु आज देश में कॉंग्रेस विरोधी विचारधारा सत्ता में है और उस विचारधारा ने कॉंग्रेस की विचारधारा और कार्यप्रणाली के ही विपरीत आचरण को ही सदैव अपने आचरण में सम्मिलित किया है और इसी का परिणाम है कि आज देश में बहुत से ऐसे शासनादेश सामने आए हैं जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आए हैं और इन्ही कुछ परिस्थितियों के मद्देनजर कॉंग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद श्री

भारत की शेरनी प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी - कोटि कोटि नमन 💐

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  अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी , वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी . ..................................................................... मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,, मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी . ....................................................................... पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने , वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी . ....................................................................... मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े , शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी . ....................................................................... बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत , उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी . ....................................................................... जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से , वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी . ........................................................................ कान जो सुन न सकते थे औरतों के मुहं

बाल दिवस विशेष - बच्चों के प्रति लापरवाही गलत

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  "वक़्त करता है परवरिश बरसों  हादिसा एक दम नहीं होता"  सभी जानते हैं कि हादसे एक दम जन्म नहीं लेते, एक लम्बे समय से परिस्थितियों के प्रति बरती गई लापरवाही हादसों की पैदाइश का मुख्य कारण होती है. भले ही अवैध रूप से चलाई जा रही पटाखा फैक्ट्री के हादसे हों या सड़कों में बनते जा रहे गड्ढों के कारण इ-रिक्शा पलटने के हादसे, बन्दरों के हमलों के कारण घरों में छोटी मोटी चोट लगने के हादसे, सब चलते रहते हैं और आम जनता से लेकर प्रशासन तक सभी इन्हें " बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले" कहकर टालते रहते हैं, क़दम उठाए जाते हैं तब जब पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के कारण दो - तीन गरीब महिला या कामगार बच्चे के शरीर के चीथड़े उड़ जाते हैं, जब इ-रिक्शा पलटने से स्कूल जाती हुई बच्ची की लाश उसके घर पहुंचाई जाती है, जब बन्दरों के हमले के कारण मन्दिर से घर आई सुषमा चौहान को असमय काल का ग्रास बनना पड़ता है.      क्यूँ नहीं विचार किया जाता इन परिस्थितियों पर इनके हादसे में तब्दील होने से पहले, प्रशासन की, सरकारी विभागों की तो छोड़िए वे तो तब ध्यान देंगे जब ऊपर से इन परिस्थितियों के राजनीतिक ल

कैराना पत्रकारिता का अजीम मंसूरी दौर

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      भारतीय मीडिया इतना पथभ्रष्ट कभी नहीं था, जितना अभी पिछले कुछ सालों से हुआ है. पत्रकारिता और  राजनीति एक दूसरे के बहुत महत्वपूर्ण पर्याय रहे हैं , पत्रकारिता ने हमेशा राजनीति की बखिया उधेड कर रख दी हैं, राजनीतिज्ञों की कोई भी योजना रही हो, किसी भी दल की, पत्रकारों की पारखी नजरों से कोई भी राजनीतिक चाल कभी छुपी नहीं रह सकी, यही नहीं भारतीय राजनीति में एक दबदबा कायम रहा है कैराना के राजनीतिज्ञों और पत्रकारों का जिसके कारण कैराना राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर चर्चाओं का मुद्दा रहा है किन्तु ये सब तथ्य अब पुराने पड़ चुके हैं, अब राजनीति का जो स्वरूप सामने है वह चापलूसी को ऊपर रखता है और कैराना वह राजनीति के हल्के में स्व बाबू हुकुम सिंह जी और मरहूम मुनव्वर हसन के बाद से अपनी पहचान खोता जा रहा है और पत्रकारिता भटक गई है केवल एक मसखरे अजीम मंसूरी की खबरों में, जो पहले अपने निकाह कराने की दरख्वास्त को लेकर प्रशासन को तंग करता है, फिर बरात ले जाने, निकाह स्थल पर गोदी में ले जाने, फिर दुल्हन बुशरा को घर लाने, उसकी मुँह दिखाई, बुशरा की डिमांड और अब खुशी में चुन्नी ओढ़कर नाचने की खबरों