संदेश

जनवरी, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोदी अमेरिका वाले

चित्र
मोदी अमेरिका वाले अमेरिका विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र है और इसका राष्ट्रपति विश्व का प्रथम व्यक्ति और इसलिए यह विश्व में जहाँ चलता है अपनी शर्तों पर चलता है .जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और वर्त्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आये तब यह वास्तविकता हमारे सामने आयी कि जब ये किसी देश में जाते हैं तब अपनी ही सुरक्षा में जाते हैं ये अपनी सुरक्षा स्वयं लेकर चलते हैं अन्य देश जिसका आतिथ्य ये स्वीकार करते हैं उसपर यकीन न करते हुए केवल व्यापारिक हित देखते हुए ये उसका निमंत्रण स्वीकार करते हैं .अब ये गुण हम अपने देश के एक कथित धरती पुत्र में भी देख रहे हैं .आज के समाचारों में ये बात काफी प्रचारित की जा रही है कि मेरठ रैली में नरेंद्र मोदी गुजरात पुलिस के घेरे में ही रहेंगे और और ''डी'' में रहेंगी सिर्फ गुजरात पुलिस कमांडो और ए.टी.एस.और मंच पर स्पेशल कमांडों की निगहबानी में भाषण देंगे मोदी .ये सब देखकर एक बात तो साफ़ है कि मोदी को पुलिस पर तो यकीन है पर केवल गुजरात की पुलिस पर और किसी जगह की पुलिस पर नहीं और चूँकि वे भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

धिक् पुरुष की गन्दी सोच

चित्र
दामिनी गैंगरेप कांड और इसके पहले हुए बलात्कार और इसके बाद निरंतर हो रहे बलात्कारों ने देश में एक बहस सी छेड़ दी है और अधिकांशतया ये बहस एक ही कोण पर जाकर ठहर जाती है और वह कोण है नारी विरोध ,नारी से सम्बंधित जितने भी अपराध हैं उन सबमे एक ही परंपरा रही है नारी को ही जिम्मेदार ठहराने की .ये पहली और आखिरी पीड़ित होती है जो स्वयं ही अपराधी भी होती है .ऐसा नहीं है कि मात्र पुरुष ही नारी पर दोषरोपण करते हैं नारी भी स्वयं नारी पर ही दोष मढ़ती है और इसी कड़ी में एक नया नाम जुड़ा है महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य और एन.सी.पी. नेता डॉ.आशा मिर्गी का ,जो कहती हैं कि नारी के साथ हो रहे इस अपराध के तीन ही कारण हैं -१-उसके अनुचित कपडे ,२-उसका अनुचित व्यवहार और ३- उसका अनुचित जगहों पर जाना ,बहुत गहराई से शोध किया गया है बलात्कार के कारणों का डॉ.आशा मिर्गी के कथन से तो यही लगता है और आश्चर्य है कि ऐसा वे तब कह रही हैं जब वे महाराष्ट्र जैसे राज्य की निवासी हैं जहाँ इस तरह के अपराधों की संख्या देश में सबसे ज्यादा होनी चाहिए क्योंकि उनके हिसाब से अनुचित कपडे ,अनुचित व्यव्हार व् अनुचित जगहों पर जाना इस अपराध

तेरी रब ने बना दी जोड़ी

चित्र
एक फ़िल्मी गाना शायद सभी ने सुना होगा - ''सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से , कि खुश्बू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से .'' और आम आदमी पार्टी चाहे आम आदमी का कितना ही चोला ओढ़ ले चाहे अपनी सफलता को कितना ही अपनी जन लोकप्रियता में तोल ले किन्तु 'जैसे कि कागज़ के फूलों से कभी खुश्बू नहीं आ सकती ,जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका हो तो वह देर-सवेर दिख ही जाता है तो यही दिखने लगा है .सत्ता हाथ में आते ही आम आदमी पार्टी पर यह सफलता पचाए नहीं पच रही रोज़ नए नाटक ,यही कहना होगा क्योंकि इन्हें कोई काम नहीं है सिवाय इसके कि किसी भी तरह ऐसा कुछ किया जाये कि कॉंग्रेस अपना समर्थन वापस ले ले और हम अपने को पीड़ित दिखाकर जनता से सहानुभूति वोट ले ले .राहुल गांधी की लोकप्रियता से मुफ्त में प्रचार पाने वाले कुमार विश्वास आज राहुल गांधी के नाम की ही बदौलत एक जाना पहचाना नाम हैं और लगातार लगे हुए हैं कुछ भी ऐसा करने में जिससे जनता एक ऐसी पार्टी को समर्थन देने के लिए राहुल जी के पार्टी को नकार दे और इसलिए जानते हैं कि इसका आसान तरीका है जनता की भावनाओं को भड़काने का और वे यही कर र

ग़ज़ल-पहेली

चित्र
  सियासत से बचो इसकी ,करीब ऐसे दिन आये , छुरी घोपे जिन हाथों से ,उन्हीं को जोड़कर आये , महारत इसको हासिल है ,क़त्ल में और खुशामद में , संभल जाओ वतन वालो ,ये नेता जब नज़र आये . ......................................................... मुशफ़िक़ है मुआ ऐसा ,जल्लाद शरम खाये , मुस्कान से ये अपनी ,मुर्दा मुझे कर जाये , मौका परस्त ऐसा ,मेराज समझ मुझको , मैयत मेरी सजाकर ,मासूम बनकर आये . ................................................. जन्मा ये जिस जमीं पर ,उसपर ही ज़ुल्म ढाये , जमहूर के गले लग ,जेबें भी क़तर जाये , करता खुशामदें है ,पाने को तख़्त आज , पाये जो गद्दी ,गरदनों पे छुरी फेर जाये . .................................. फितरत से है तकसीमी ,तंगदिल ही नज़र आये , तजवीज़ ये बड़ों की ,बिल्कुल न समझ पाये , कितने ही वार करले ,कितना ही मुंह छुपाले , नेता या आम इंसां ,करनी से बच न पाये . ....................................... तरक्की की सभी मंज़िल ,हमारा मुल्क चढ़ जाये , मगर जिसकी ये मेहनत है ,उसे ये देख न पाये , ये चाहे बांटना हमको ,हिन्दू और मुसलमाँ में , भले इसकी सियासत से ,लहू का दरिया बह जाये . ...

दिल्ली वापस केंद्रशासित हो

चित्र
संविधान के ६९ वे संशोधन अधिनियम १९९१ द्वारा संविधान में दो नए अनुच्छेद २३९ क क और २३९ क ख जोड़े गए हैं जिनके अधीन दिल्ली को एक नया दर्जा प्रदान किया गया .अनु.२३९ क क कहता है - ''कि संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली को अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के नाम से जाना जायेगा और अनुच्छेद २३९ के अधीन नियुक्त इसके प्रशासक को अब उपराज्यपाल कहा जायेगा .'' अनुच्छेद २३९ क क राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के लिए एक विधान सभा सृजित करता है .विधान सभा में सदस्यों की संख्या और इसके कार्यों से सम्बंधित सभी मामलों को संसद विधि द्वारा विनियमित करेगी . विधान सभा को राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के सम्पूर्ण अथवा किसी भाग के लिए राज्य सूची अथवा समवर्ती सूची में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति होगी किन्तु उसे राज्य सूची की प्रविष्टि १,२,१८ और ६४ ,६५ तथा ६६ के सम्बन्ध में विधि बनाने की शक्ति नहीं होगी .उपखण्ड [१] में का कुछ भी ,संघ राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के मामले के सम्बन्ध में विधि बनाने के लिए संसद की शक्तियों का अल्पीकरण नहीं करेगी . और राज्य सूच

सच्चाई ये ज़माने की थोड़ी न मुकम्मल ,

चित्र
ज़िंदगी उस शख्स की सुकूँ से गुज़र सकी , औलाद जिसकी दुनिया में काबिल न बन सकी . ..................................... बेटे रहे हैं साथ वही माँ-बाप के अपने , बदकिस्मती से नौकरी जिनकी न लग सकी . .................................................. बेटी करे बढ़कर वही माँ-बाप की खातिर , मैके के दम पे सासरे के सिर जो चढ़ सकी . ............................. भाई करे भाई का अदब उसी घडी में , भाई की मदद उसकी गाड़ी पार कर सकी . ............................................... बहन बने भाई की तब ही मददगार , अव्वल वो उससे उल्लू अपना सीधा कर सकी . .................................................. बीवी करे है खिदमतें ख्वाहिश ये दिल में रख , शौहर की शख्सियत से उसकी साख बन सकी . .............................................. शौहर करे है बीवी का ख्याल सोच ये , रखवाई घर की दासी से बेहतर ये कर सकी . ................................................ सच्चाई ये ज़माने की थोड़ी न मुकम्मल , तस्वीर का एक रुख ही ''शालिनी ''कह सकी . .... शालिनी कौशिक [कौशल ]

तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,

चित्र
तिरंगा   शान   है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए , फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए . ............................................... रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके , मुस्तकिल   पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए . ............................................. मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी, शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए . ............................... क़सम खाई तले   इसके ,भगा देंगे फिरंगी को , इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए . .................................. शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का , हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए . .................................. वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका , पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए . ........................ दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका , ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए . ............................ शालिनी कौशिक [कौशल]