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तलवार अपने हाथों से माया को सौंपिये.

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बेबाक बोलना हो बेबाक बोलिये, पर बोलने से पहले अल्फाज तोलिये. ..................................................... दावा-ए-सर कलम का करना है बहुत आसां, अब हारने पर अपने न कौल तोडिये. ....................................................... बारगाह में हो खडे बन सदर लेना तान, इन ताना-रीरी बातों की न मौज लीजिए. .......................................................... पाकीजा खयालात अगर जनता के लिये हैं, मांगने से पहले हक उनका दीजिए. ...................................................... सच्चाई दिखानी है माया को स्मृति, अपने कहे हुए से पीछे न लौटिये. ............................................... मुश्किल अगर हो काटना, अपने ही हाथों सिर, तलवार अपने हाथों से माया को सौंपिये. ............................................................. अब सर-कलम न मुद्दा रह गया स्मृति, सरकार की इज्जत की ना नीलामी बोलिये. ................................................................. ये "शालिनी" दे रही है, खुल तुमको चुनौती, कानून के मजाक की ना राह खोलिये. .....................................

ये था सरकारी मंसूबा - जाट आरक्षण

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देश एकबार फिर आरक्षण की आग में झुलस रहा है और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हरियाणा सरकार आंदोलनकारियों की मांग मानने को राजी हो गई है और ये सब तब जब लोगों की दुकानों में आग लगा दी गई, बाजार लूट लिए गए, बसों, ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया गया, मतलब क्या निकला यही ना कि इस देश मे अगर किसी को अपनी बात मनवानी है तो उसे जनजीवन को अस्त-व्यस्त करना होगा, तोड़फोड़ करनी होगी, सरकारी प्रतिष्ठानों में आग लगानी होगी. मात्र दो दिन में जाटों ने देश हिला दिया जबकि ये केवल एक राज्य में आरक्षण मांगने चले थे लेकिन अपना हित साधने में सफल रहे और इस तरह एक संदेश सारे देश के बरसों से जुटे आंदोलनकारियों को दे गये विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाइकोर्ट खंडपीठ की मांग में लगे वकीलों के समुदाय को. और संदेश यह है - "खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले , खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है." इसलिए सरकार का इनके प्रति सही कदम न उठाते हुए इनकी नाजायज मांगों को स्वीकार करना देश में अराजकता को फैलाने में सहयोग करना ही कहा जाएगा क्योंकि सेना को भी वहां कार्यवाही करने को त

वास्तव में ऐसा प्रधानमंत्री पहले कभी नहीं मिला

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कहने वाले कह गए हैं - ''कोई दुश्मन भी मिले तो करो बढ़कर सलाम ,  पहले खुद झुकता है औरों को झुकाने वाला .''    अपने शपथ ग्रहण समारोह से लेकर आजतक भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की कई मुलाकातें भी हो चुकी हैं और कई उपहारों का आदान प्रदान भी ,जो शायद करने वाले भारतीय प्रधानमंत्री के अनुपम ह्रदय की मिसाल कही जा सकती है क्योंकि हमने आजतक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को पाक समकक्ष पर इतना उदार नहीं देखा होगा हो भी क्यों न भारत देश को आजतक इतना श्रेष्ठ प्रधानमंत्री मिला ही कहाँ था ?और वे भाजपा के हैं जो कि शायद देश का एकमात्र संगठन है [आर.एस.एस. के बाद आर.एस.एस.राजनीतिक संगठन नहीं है न ] जो देश से प्यार करता है और इसीलिए  देश के सबसे बड़े दुश्मन से अपने सिद्धांतों को ताक पर रखकर भी मिलता रहता है ये इनके देश से प्यार करने की एक अद्भुत मिसाल है और इस मिसाल के कारण हमें इन्हें शत शत नमन करना ही चाहिए .अभी अभी प्राप्त समाचारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच अगले महीने अमेरिका में मुलाकात हो सकती है। दोनों

हर्ष फायरिंग प्रतिबंधित हो

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हर्ष फायरिंग एक ऐसा शब्द जो पूरी तरह से निरर्थक कार्य कहा जा सकता है और इससे ख़ुशी जिसे मिलती हो मिलती होगी लेकिन लगभग 10 हर्ष फायरिंग १ जान तो ले ही लेती है ये अनुमान संभवतया लगाया जा सकता है .अभी हाल ही में कैराना ब्लॉक प्रमुख के चुनाव की मतगणना के बाद हुई हर्ष फायरिंग में एक बच्चे को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया और कितनी ही बार ये शादी ब्याह में भी लोगों के लिए मृत्यु का कारण बनती है तब भी इस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया जा रहा जैसे की यह कोई बहुत आवश्यक कार्य हो जैसे किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा ज़रूरी है ,जैसे रामायण पाठ से पहले हनुमान जी का आह्वान आवश्यक है वैसे ही लगता है कि ये हर्ष फायरिंग भी ख़ुशी के इज़हार का सबसे ज़रूरी कार्य है और भले ही कितने लोग इसके कारण शोक में डूब जाएँ लेकिन इसका किया जाना प्रतिबंधित नहीं किया जायेगा क्योंकि अभी हाल में ही हुई हर्ष फायरिंग से कैराना क्षेत्र में स्थिति ऐसी आ गयी कि वहां फ़ोर्स बुलानी पड़ गयी इतने पर भी बस यह निर्देश की इसके लिए पहले पुलिस को सूचना देनी होगी अगर यह इतनी ही ज़रूरी है तो फिर परमाणु के प्रयोग पर ही क्यों प्रतिबन्ध

मीडियाई वेलेंटाइन / तेजाबी गुलाब

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मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब                                  १४ फरवरी अधिकांशतया वसंत ऋतू के  आरम्भ का समय है .वसंत वह ऋतू जब प्रकृति  नव स्वरुप ग्रहण करती है ,पेड़ पौधों पर नव कोपल विकसित होती हैं ,विद्या की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिन भी धरती वासी वसंत पंचमी को ही मनाते हैं .इस दिन विद्यार्थियों के लिए विद्या प्राप्ति के क्षेत्र में पदार्पण शुभ माना जाता  है.ये सब वसंत के आगमन से या फरवरी के महीने से सम्बन्ध ऐसे श्रृंगार हैं जिनसे हमारा हिंदुस्तान उसी प्रकार सुशोभित है जिस प्रकार विभिन्न धर्मों ,संस्कारों ,वीरों ,विद्वानों से अलंकृत है .यहाँ की शोभा के विषय में कवि लिखते हैं -     ''गूंजे कहीं शंख कहीं पे अजान है ,   बाइबिल है ,ग्रन्थ साहब है,गीता का ज्ञान है , दुनिया में कहीं और ये मंजर नहीं नसीब ,   दिखलाओ ज़माने को ये हिंदुस्तान है .''  ऐसे हिंदुस्तान में जहाँ आने वाली  पीढ़ी के लिए आदर्शों की स्थापना और प्रेरणा यहाँ के मीडिया का पुनीत उद्देश्य हुआ करता था .स्वतंत्रता संग्राम के समय मीडिया के माध्यम से ही हमारे क्रांतिकारियों ने देश की जनता में

सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं .WHY ?

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आमतौर पर यदि हम ध्यान दें तो जहाँ देखो सौतेली माँ की ही बुराई जोरों पर होती है.किसी भी बच्चे की माँ अगर सौतेली है तो उसके साथ सभी की सहानुभूति होती है किन्तु कहीं भी सौतेले बाप का जिक्र नहीं किया जाता जबकि मेरी अपनी जानकारी में यदि मैं देखती हूँ तो हर जगह भेदभाव ही पाती हूँ.अभी हाल में ही मेरी जानकारी की एक लड़की का निधन हो गया  वह लम्बे समय से बीमार थी किन्तु कहा गया कि लम्बे इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो पाई.सभी को उसके पिता से बहुत सहानुभूति थी और सभी यही कह रहे थे कि ये तो अपनी लड़की से बहुत प्यार करते थे और दुःख में इनके आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.ये मुझे बाद में पता चला की वह लड़की अपनी माँ के साथ आयी थी अर्थात उसकी माँ की ये दूसरी शादी थी और उस लड़की के वे दूसरे पिता थे.अब कीजिये गौर इसके दूसरे पहलू पर यदि यह स्थिति किसी महिला के साथ होती तो सब क्या कहते-''सौतेली माँ थी मगरमच्छी आंसू बहा रही थी.इसीने उसकी कोई देखभाल नहीं की इसीलिए वह मर गयी.''आखिर ये हर जगह नारी और पुरुष की स्थिति में अंतर क्यों कर दिया जाता है? मेरी सहेली की बहन की जिससे श