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लोक अदालत का आज की न्याय व्यवस्था में स्थान

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   राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा अपने निर्णय   "श्याम बच्चन बनाम राजस्थान राज्य एस.बी. आपराधिक रिट याचिका नंबर 365/2023" में यह स्पष्ट किया गया है कि लोक अदालतों के फैसले पक्षकारों की आपसी सहमति पर ही दिए जा सकते हैं.      राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि लोक अदालतों के पास कोई न्यायनिर्णय शक्ति नहीं है और केवल पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर अवार्ड दे सकती है। अदालत के सामने यह सवाल उठाया गया कि क्या विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अध्याय VI के तहत लोक अदालतों के पास न्यायिक शक्ति है या केवल पक्षकारों के बीच आम सहमति पर निर्णय पारित करने की आवश्यकता है। अदालत ने कहा, "उपर्युक्त प्रावधानों का एकमात्र अवलोकन यह स्पष्ट करता है कि जब न्यायालय के समक्ष लंबित मामला (जैसा कि वर्तमान मामले में) को लोक अदालत में भेजा जाता है तो उसके पक्षकारों को संदर्भ के लिए सहमत होना चाहिए। यदि कोई एक पक्ष केवल इस तरह के संदर्भ के लिए न्यायालय में आवेदन करता है तो दूसरे पक्ष के पास न्यायालय द्वारा निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पहले से ही सुनवाई का अवसर होना चाहिए कि मामला लोक अदालत में भेजने के ल