यू.पी.की डबल ग्रुप बिजली

Birds On The Wire Stock Photo - 1293150Birds On The Wire Stock Photography - 1293152 
लगे हुए थे एक माह से ,हिन्दू मुस्लिम भाई ,
थम गया था जीवन सारा ,चौपट हुई कमाई .


मना रहे थे अफसरों को ,देकर दूध मलाई ,
नेताओं ने भी आकर ,पीठ थी थपथपाई .


बिलबिलाते गर्मी से ,छत पर खाट जमाई,
पंखा झलते-झलते रहते ,नींद न फिर भी आई .


धरने करते नारे गाते ,बिछा के जब चटाई,
सीधी बातों से न माने ,तब की खूब पिटाई .


लातों के इन भूतों के ,तब बात समझ में आई ,
बिजली आने की परमिशन ,ऊपर से दिलवाई .


बजे नगाड़े ढोल तमाशे ,सबने खाई मिठाई ,
गले मिले और हाथ मिलकर ,दी गयी खूब बधाई .


डबल ग्रुप से ऐसी बिजली,देख के शामत आई ,
न चमकी दिन में आकर,न रात को पड़ी दिखाई .


                 शालिनी कौशिक 
                          [कौशल]

टिप्पणियाँ

Bhola-Krishna ने कहा…
शालिनी बेटा! ये 'डबल ग्रुप' क्या है ? यहाँ भारत के प्रादेशिक समाचार नहीं मिलते ! वैसे हम झेल चुके हैं १९९३ तक कामपुर की ऎसी गरमी !
हम तो पांचो बच्चों के साथ आंगन में चटाई बिछा कर बैठ जाते थे और "पवन पूत हनुमान" का आवाहन करते थे और ठंडी हवा चंलने लगती थी ! हमने अपनी रचना
"अंजनी सूत हे पवन दुलारे ,
हनुमत लाल राम के प्यारे"
ऐसे ही माहौल में बनाई थी !-
यू ट्यूब के 'भोला कृष्णा चेनेल' में सुन सकती हैं - अंकल आंटी [भोला-कृष्णा [
Ankur Jain ने कहा…
बेहद सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.....
Shikha Kaushik ने कहा…
interesting and real expression of life .thanks
बेनामी ने कहा…
बेहद सुंदर

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