प्रथम पाठशाला -प्रथम शिक्षक !

सोच
कारण निर्माण की
कारण विध्वंस की
सकारात्मक है
निर्माण करेगी ,
नकारात्मक है
करेगी विध्वंस ,
सोच का
बनना
संस्कार पर निर्भर ,
संस्कार मिलें
परिवार से ,
परिवार के संस्कार
बोये
माँ का प्यार
कहते हैं सभी
जानें हैं सभी
इसीलिए
परिवार प्रथम पाठशाला
माँ प्रथम शिक्षक !
.................................
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

टिप्पणियाँ

सहमत ...माँ ही प्रथम गुरु ... जो हाथ पकड़ कर सब कुछ सिखाती है ... निस्वार्थ भाव से ..
Anita ने कहा…
सही कहा है
ये छापें तो आजीवन साथ रहती हैं -माँ से मिले संस्कार ही आगे की नींव बनते हैं.
ये छापें तो आजीवन साथ रहती हैं -माँ से मिले संस्कार ही आगे की नींव बनते हैं.
Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
कल 05/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
सहमत हूँ
गज़ब की लेखनी
सादर
Unknown ने कहा…
सही कहा है
Unknown ने कहा…
सही कहा है
बहुत सुंदर
Asha Joglekar ने कहा…
शिक्षक दिवस पर सुंदर रचना। माँ ही प्रथम गुरु है।
Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…
sahi bat .....shayad antim shikshak bhi ma hi hai ....

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