लोक अदालत

 On 26.05.1988, President Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji wrote a letter to District Judge Muzaffarnagar regarding Lok Adalat to request him to conduct Lok Adalat in Kairana on July 31, 1988, as well as requested That there should be a system for disposal of civil, criminal, revenue and consolidation cases in the said proposed Lok Adalat.

 दिनाँक 26.05.1988 को अध्यक्ष बार एसोसिएशन कैराना बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी ने जनपद न्यायाधीश मुजफ्फरनगर को लोक अदालत के सम्बन्ध में पत्र लिखा जिसमें उनसे अनुरोध किया कि 31 जुलाई 1988 को लोक अदालत कैराना में करना उचित समझा जाए, साथ ही यह निवेदन भी किया कि उक्त प्रस्तावित लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी, राजस्व व चकबंदी के मुकदमों के निस्तारण की व्यवस्था हो.




On 22.07.1991 President of Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji wrote a letter to the Additional Chief Judicial Magistrate, Kairana, regarding the Lok Adalat to be held in Kairana Court, in which Babuji requested him to contact the District Judge of Muzaffarnagar and try to get ready the photocopies of 500 chargesheets pending in the court of Kairana , so that the accused of the pending chargesheet can also be summoned for the said Lok Adalat.

 दिनाँक 22.07.1991 को अध्यक्ष बार एसोसिएशन कैराना बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी ने कैराना कचहरी में आयोजित होने वाली लोक अदालत के सम्बन्ध में श्रीमान अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कैराना के नाम एक पत्र लिखा, जिसमें बाबूजी ने उनसे निवेदन किया कि वे जनपद न्यायाधीश मुजफ्फरनगर से सम्पर्क स्थापित कर कैराना के न्यायालय में विचाराधीन 500 चार्जशीट की फोटो कॉपियां तैयार कराने का प्रयास करें जिससे लोक अदालत में विचाराधीन चार्जशीट के अभियुक्तों को भी समन किया जा सके.



On 24.01.1996, President of Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji wrote a letter to Hon'ble Justice Shri BS Lamba, President, Uttar Pradesh Legal Aid and Advisory Board regarding the cases to be disposed of in Lok Adalats, in which he had informed that judicial officers Due to lack of clear instructions to the Lok Adalats were adopting a soft attitude , due to this many litigants go back without getting their case settled by the Lok Adalats. At the same time, it was also requested that about the matters to be settled by Lok Adalats, the necessary instructions of the Board should also be made known to the Bar Associations so that the advocates can also encourage the litigants through Lok Adalats.

 दिनाँक 24.01.1996 को अध्यक्ष बार एसोसिएशन कैराना बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी ने माननीय न्यायमूर्ति श्री बी एस लम्बा, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश कानूनी सहायता व परामर्श बोर्ड को लोक अदालतों में निस्तारित होने वाले मुकदमों के सम्बन्ध में पत्र लिखा जिसमें उन्हें बताया कि न्यायिक अधिकारियों को लोक अदालतों में नरम रुख अपनाए जाने के स्पष्ट निर्देश न होने के कारण, अनेक वादकारी लोक अदालतों के द्वारा अपना मामला निबटाये बिना वापिस चले जाते हैं. साथ ही ये भी अनुरोध किया कि लोक अदालतों द्वारा निबटाये जाने वाले मामलों के बारे में, बोर्ड के आवश्यक निर्देशों से बार संघों को भी अवगत कराएं जिससे अधिवक्तागण  भी लोक अदालतों के माध्यम से वादकारी गणों को प्रोत्साहित कर सकें.










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